हरियाणा से निगाह के बाद पश्चिमी व उत्तरी सीमा की सुरक्षा पुख्ता, अब पूर्वी सीमाओं पर फोकस
अंबाला एयरबेस पर राफेल युद्धक विमानों के तैनात होने के साथ ही भारत ने पश्चिमी व उत्तरी सीमाओं पर सुरक्षा और पुख्ता कर ली है। इसके बाद अब पूर्वी सीमाओं पर फोकस होगा।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। पांच राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल करने के लम्हे को गेम चेंजर बताने के पीछे भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की दूरगामी और बड़ी रणनीतिक सोच छिपी है। पांचों राफेल के जरिये भारत ने पश्चिमी और उत्तरी वायु सीमाओं की सुरक्षा को तो पुख्ता कर लिया। अब केंद्र सरकार का फोकस देश की पूर्वी सीमाओं को मजबूत करने पर होगा। इसी के मद्देनजर इसकी अगली स्कवाड्रन पश्चिमी बंगाल के हाशिमआरा एयरफोर्स स्टेशन पर बनाई जाएगी, जहां अक्टूबर में राफेल विमानों की दूसरी खेप उतरने की संभावना है।
अब भारतीय रक्षा उद्योग में दिखेगा मोदी का मेक इन इंडिया
इसके अलावा केंद्र सरकार का जोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया (आत्मनिर्भर भारत) अभियान को डिफेंस इंडस्ट्री में लागू करने पर रहेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अंबाला में स्पष्ट कहा कि मोदी सरकार भविष्य में मेक इन इंडिया की तर्ज पर सुरक्षा उपकरणों का निर्माण करेगी। अंबाला में राफेल के हवाई करतब दिखाने के दौरान भारत ने उसके मुकाबले अपने देश में निर्मित तेजस को उतारकर पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि भले ही उसकी वायुसेना के बेड़े में राफेल को शामिल कर लिया गया है, लेकिन भारत में तैयार तेजस भी किसी मुकाबले में कम नहीं है।
राफेल से कम नहीं हमारा तेजस, भारत ने दुनिया के सामने दिखाई तेजस की भी ताकत
अंबाला एयरबेस पर हालांकि मिग-21, जगुआर और सुखोई विमान भी मौजूद थे, लेकिन राफेल के मुकाबले करतब दिखाने के लिए तेजस को तमिलनाडू से विशेष तौर पर मंगलवाया गया, ताकि आसमान में प्रदर्शन के दौरान बताया जा सके कि हम किसी से कम नहीं हैं। राजनाथ सिंह का पूरा भाषण लोकल डिफेंस इंडस्ट्री को प्रोत्साहित करने पर रहा। एयर डिस्पले के दौरान तेजस ने इसे साबित भी करके दिखाया। आसमान में पांच फ्रांसिसी राफेल के मुकाबले दो भारतीय तेजस विमानों ने अपने करतब दिखाकर दुनिया के सामने जबरदस्त प्रदर्शन किया है।
पश्चिमी बंगाल के हाशिमपुरा एयरफोर्स स्टेशन पर उतरेगी राफेल विमानों की अगली खेप
वायुसेना के बेड़ में राफेल के आने से भारत की पड़ोसी देशों खासकर चीन व पाकिस्तान से संभावित खतरे की चिंता काफी हद तक कम हो गई है। अंबाला एयरबेस पर वायुसेना के बेड़े में राफेल के शामिल होने से चीन के प्रभाव वाला एलएसी (लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल) तथा एलओसी (लाइन आफ कंट्रोल) पाकिस्तान के प्रभाव वाला हिस्सा काफी हद तक सुरक्षित हुआ है। इन दोनों की सुरक्षा पुख्ता करने के बाद अब भारत पड़ोसी देशों के हमले का मुंहतोड़ जवाब देने में न केवल सक्षम हुआ है, बल्कि अब उसकी चिंता पूर्वी सीमाओं को मजबूत करने को लेकर है।
पश्चिमी वायु सीमाओं में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, जम्मू कश्मीर और राजस्थान से सटी पड़ोसी देशों की सीमाएं आती हैं, जबकि पूर्वी वायु सीमाओं में अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, सिक्किम, पश्चमी बंगाल समेत अन्य राज्यों की चीन के साथ लगती सीमाएं आती हैं। फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने भी भारत को पूरी तरह से आश्वस्त किया है कि वह अपने सुरक्षा बंदोबस्त को लेकर चिंतित न हो, क्योंकि फ्रांस की ओर से बाकी बचे 31 राफेल विमानों की डिलीवरी उसे समय से कर दी जाएगी। फ्रांस के इस आश्वासन के बाद भारत भी अब काफी हद तक बेचिंत हो गया है।