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जातीय आधार पर अपराध के आंकड़े मांगने पर केंद्र को नोटिस

एफआइआर में अपराधियों की जाति का कालम हटाने पर पंजाब व हरियाणा सहमत हैं, लेकिन नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो इसमें रोड़ा बन रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 09 Feb 2018 06:22 PM (IST)Updated: Mon, 12 Feb 2018 10:23 AM (IST)
जातीय आधार पर अपराध के आंकड़े मांगने पर केंद्र को नोटिस
जातीय आधार पर अपराध के आंकड़े मांगने पर केंद्र को नोटिस

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा व पंजाब सरकारों ने अपने राज्यों में दर्ज होने वाली एफआइआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) में अभियुक्त की जाति व धर्म के कालम को हटा दिया है। कुछ मामलों में केंद्रीय कानून की वजह से इस नीति को पूरी तरह लागू करने में दोनों राज्य अभी सक्षम नहीं हैं। इस पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है।

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शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट के ध्यान में लाया गया कि नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो सभी राज्यों से एफआइआर में जाति व धर्म की जानकारी मांगता है। पंजाब की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार पंजाब पुलिस नियम 1934 में संशोधन कर रही है। अतीत में एफआइआर में जाति व धर्म का उल्लेख करना ठीक था, लेकिन मौजूदा समय में यह प्रासंगिक नहीं है।

हरियाणा सरकार अदालत में स्पष्ट कर चुकी कि वह पुलिस नियमों में आवश्यक संशोधन करने जा रही है। हरियाणा की ओर से स्पष्ट किया गया कि एससी/एसटी से संबंधित केसों में जाति व धर्म का लिखा जाना जरूरी होगा। चंडीगढ़ प्रशासन भी जाति व धर्म का कालम हटाने के पक्ष में है। याचिका दाखिल करने वाले वकील एचसी अरोड़ा के मुताबिक पंजाब पुलिस नियम 1934 में एफआइआर में अभियुक्त और पीडि़त की जाति लिखे जाने का प्रावधान है, जो कि गलत है। अपराधी का कोई धर्म नहीं होता और न ही उसकी कोई जाति होती है।

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