रोहतक के बहुचर्चित अपना घर मामले में नौ दोषी करार, सजा का ऐलान 24 को
पंचकूला की अदालत ने रोहतक के बहुचर्चित अपना घर मामले में बुधवार को फैसला सुनाया। अदालत ने नौ आरोपितों को दोषी ठहराया। एक आरोपित को बरी कर दिया गया। सजा का ऐलान 24 अप्रैल को होगा।
जेएनएन, पंचकूला। यहां सीबीआइ कोर्ट ने राेहतक के बहुचर्चित अपना घर मामले में फैसला सुना दिया है। विशेष सीबीआइ अदालत के जज जगदीप सिंह ने बुधवार को अपना घर की संचालिका मुख्य आरोपित जसवंती देवी सहित नौ आरोपितों को बुधवार को दोषी करार दे दिया। इस मामले का खुलासा मई 2012 में हुआ था। रोहतक के अपना घर में दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, अनैतिक तस्करी, छेड़छाड़, और क्रूरता की शिकार बच्चियों व युवतियों को छह साल बाद न्याय मिला है। अदालत ने एक आरोपित अंग्रेज कौर हुड्डा को बरी कर दिया। दोषियों को सजा 24 अप्रैल को सुनाई जाएगी।
छह साल बाद दुष्कर्म, अनैतिक तस्करी, छेड़छाड़ के मामले के पीडि़त बच्चों को मिला न्याय
दोषियों में जसवंती के अलावा उसका भाई जसवंत, बेटी सुषमा ऊर्फ सिम्मी, दामाद जय भगवान, चचेरी बहन शीला, सहेली रोशनी, ड्राइवर सतीश, कर्मचारी रामप्रकाश सैनी, काउंसलर वीना शामिल हैं। सभी को सजा 24 अप्रैल को सुनाई जाएगी। इस केस में रोहतक की पूर्व बाल विकास परियोजना अधिकारी अंग्रेज कौर हुड्डा को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
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सीबीआई कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई और बचाव पक्ष दोनों पक्षों के सभी गवाहों की गवाहियां पूरी हो चुकी थी। मामले में अंतिम जिरह भी पूरी हो चुकी थी। फाइनल बहस के बाद 16 अप्रैल को फैसला सुनाया जाना था। इसमें सभी आरोपितों को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन एक आरोपित रोशनी देवी कोर्ट में पेश नहीं हो सकी। इसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके बाद आज फैसला सुनाया गया।
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मामले में सीबीआइ पक्ष के लगभग 121 गवाहों के बयान दर्ज हुए, जबकि बचाव पक्ष के 26 गवाहों के बयान किए गए। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की एक टीम ने तीन युवतियों के खुलासे के बाद 9 मई 2012 को रोहतक के अपना घर में छापा मारा था। जहां से लगभग 103 बच्चियों और युवतियों को मुक्त करवाकर पुलिस में केस दर्ज करवाया था।
अदालत में एक आरोपित को ले जाती पुलिस।
पूछताछ में बच्चियों एवं युवतियों ने बताया कि उनके साथ शारीरिक और मानसिक शोषण के अलावा कथित रूप से यौन शोषण, बंधुआ मजदूरी भी करवाई जाती थी। जून 2012 को ही मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई और अगस्त 2012 को चालान में सीबीआइ ने जसवंती देवी को मामले का मुख्य आरोपित बनाया था।
ट्रायल के दौरान आरोपितों पर दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, अनैतिक तस्करी, चोट, गंभीर चोट, छेड़छाड़, महिला की सहमति के बिना गर्भपात, अवैध अनिवार्य श्रम और बच्चों के साथ क्रूरता पर दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी थी। इस मामले में अंतिम बहस 14 फरवरी से शुरू हुई थी। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के 122 गवाहों की गवाही करवाई गई।
अदालत में एक आरोपित को ले जाती पुलिस।
इस मामले में 10-12 बच्चियों एवं युवतियों की गवाही महत्वपूर्ण थी, क्योंकि उनमें से कुछ ने मुख्य आरोपित की पहचान की थी और अपना घर में अपने प्रवास के दौरान के अनुभवों को बताया था। इस केस में बाद में जय भगवान और सतीश पर सामूहिक दुष्कर्म की धाराएं जोड़ी गई थी।
जगदीप सिंह ने ही सुनाई थी डेरा प्रमुख को सजा
सीबीआइ के विशेष न्यायधीश जगदीप सिंह ने इससे पहले 25 अगस्त 2017 को डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दो साध्वियों से दुष्कर्म मामले में दोषी करार देने के बाद 28 अगस्त 2017 को 20 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद सरकार द्वारा जगदीप सिंह को विशेष सुरक्षा मुहैया करवाई गई थी। अपना घर मामले में भी दोषियों को बड़ी सजा होने की संभावना है।
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घटनाक्रम
9 मई 2012 : एनसीपीसीआर ने सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त रोहतक के अपना घर में छापे मारे थे और 100 से ज्यादा बच्चियों और युवतियों को छुड़वाया था। इसके बाद अपना घर की प्रमुख जसवंती और उनके रिश्तेदारों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
8 जून 2012 : हरियाणा सरकार ने अपना घर को सील कर दिया और एक सप्ताह बाद सीबीआइ को जांच सौंप दी थी।
7 अगस्त 2012 : सीबीआइ ने पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ अदालत में 10 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया
23 सितंबर 2014 : सीबीआइ अदालत ने सभी अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए और ट्रायल शुरू हुआ।
14 फरवरी 2018 : गवाहियां पूरी हो गई और अंतिम बहस शुरू हुई
10 अप्रैल : अंतिम बहस पूरी हो गई।
18 अप्रैल : सीबीआइ अदालत ने 9 आरोपितों को दोषी करार दिया।