Haryana Pollution: प्रदूषण पर सख्त हुआ एनजीटी, हरियाणा सरकार पर लगाया सौ करोड़ का हर्जाना
Haryana Pollution एजीटी ने प्रदूषण को लेकर हरियाणा के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है और उस पर 100 करोड़ रुपये का हर्जाना लगाया है। बंधवारी समेत कूड़ा प्रबंंधन सही तरीके से नहीं किए जाने के कारण हरियाणा के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana Pollution: पर्यावरण प्रदूषण पर सख्त रवैया अपनाते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा सरकार को 100 करोड़ रुपये का हर्जाना लगाया है और यह राशि जमा कराने के निर्देश दिए हैं। पर्यावरण को लगातार पहुंच रहे नुकसान की एवज में यह राशि जमा कराई जानी है।
बंधवाड़ी समेत विभिन्न कूड़ा निस्तारण प्लांट पर सही ढंग से काम नहीं होने पर एनजीटी का आदेश
एनजीटी ने हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव को पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए मुआवजे के तौर पर 100 करोड़ रुपये की राशि जमा करने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के अध्यक्ष की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है।
कन्सेशन एग्रीमेंट के अनुसार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कमेटी ठेकेदारों के काम का मूल्यांकन कर सकती है। इसमें अगर यह पाया जाता है कि ठेकेदार अपने काम को करने में विफल रहे हैं तो कमेटी उनको बदलने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर सकती है। एनजीटी ने पाया कि पर्यावरण, स्वास्थ्य और आसपास के वन क्षेत्रों के पास सालिड और लिक्विड वेस्ट को लेकर बेहतर प्रबंधन कर पाने में नगरपालिकाएं (शहरी निकाय) नाकाम हैं। गुरुग्राम में बंधवाड़ी लैंडफिल साइट है, जहां वर्षों से 33 लाख टन ठोस कचरा डंप किया जा रहा है।
कहा- कूड़ा प्रबंधन सही ढंग से नहीं होने की वजह से लोगों के साथ वन्य प्राणियों को भी नुकसान
ट्रिब्यूनल एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि एक अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना विकसित की गई और एक चीनी कंपनी इको ग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को साल 2017 में कांट्रैक्ट सौंपा गया था, लेकिन वह कंपनी कूड़ा निस्तारण के लिए कोई खास काम नहीं कर रही है। आरोप है कि कूड़ा निस्तारण के लिए उठाए गए कदम अपर्याप्त हैं, कचरे को जलाया जा रहा है, जिससे भारी वायु प्रदूषण हो रहा है।
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इसमें न केवल आसपास के निवासियों को परेशानी हो रही है, बल्कि उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। असोला भाटी वन्य जीव अभयारण्य में पक्षियों की 193 प्रजातियां, बड़ी संख्या में औषधीय पौधे और 80 से अधिक तितलियों की प्रजातियां हैं। वहां काला हिरन, गोल्डर सियार और तेंदुआ भी है, जिन पर इसका असर पड़ रहा है।
भूमि की वैकल्पिक व्यवस्था करना जरूरी
ट्रिब्यूनल ने निर्देश देते हुए यह भी कहा कि अगर किसी संयंत्र को लगाने की आवश्यकता है, जिसके लिए पर्यावरण मंजूरी (इसी) की जरुरत है, तो इसके लिए इंतजार करने की जरुरत नहीं है। एनजीटी ने कहा कि बंधवाडी स्थल जो पहले से ही कई वर्षों से अस्तित्व में है और 10 एकड़ भूमि जिसे पहले ही मंजूरी दे दी गई है, उसका उपयोग स्थानीय निकायों के अपशिष्ट प्रबंधन के लिए किया जा सकता है, उसके लिए भूमि की वैकल्पिक व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
कमेटी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए प्रदूषण में योगदान करने वालों से मुआवजे की वसूली के लिए वैधानिक नियामकों के साथ समन्वय करने के लिए स्वतंत्र होगी। एनजीटी के आदेश में कहा गया है कि कमेटी को छह महीने के भीतर नतीजे देने होंगे।