जींद के चुनावी रण में ताल ठोंक रहे उम्मीदवारों को नई टेंशन, सामने आई यह परेशानी
हरियाणा के जींद उपचुनाव मेें सभी दलों के प्रत्याशी नए खतरे से टेंशन में हैं। प्रत्याशियोें को अपनी पार्टी के नेताओं के भितरघात का डर सता रहा है।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। जींद में हो रहे उपचुनाव का प्रचार जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, मुकाबला कठिन होता दिखाई देर रहा है। मौजूदा हालात में किसी भी दल के लिए जीत आसान नहीं लग रही है। सत्तारूढ़ भाजपा के लिए चुनाव नाक का सवाल बन गया है तो दूसरे दलों का भविष्य भी इस चुनाव के नतीजों पर टिका है। इस बीच प्रत्याशियों के लिए नई टेंशन पैदा हो गई है और यह है भितरघात का खतरा। कोई भी दल ऐसा नहीं है, जिसके प्रत्याशी को जींद के इस रण में भितरघात की आशंका न हो।
जींद उपचुनाव में हावी दिख रहे जातीय समीकरण, लेकिन प्रत्याशी की छवि भी दिख रहा असर
सत्तारूढ़ भाजपा की बात करें तो पार्टी कार्यकर्ताओं को घर से निकालने में संगठन के पसीने छूट रहे हैं। यहां पूरी सरकार ने डेरा डाल लिया है। गैर जाट की राजनीति कर रही भाजपा को जहां अपने जाट नेताओं के सहारे जाट मत हासिल होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मंत्री पार्टी का बड़ा चेहरा हैैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला जाटों के साथ-साथ गैर जाट मतों पर अपनी पकड़ बनाने की कोशिश में जुटे हैं। उनके साथ चुनाव प्रचार में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर कंधे से कंधा मिलाकर जुटे हैं। जननायक जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहे दिग्विजय सिंह चौटाला को जाटों के साथ-साथ युवाओं का वोट हासिल होने की आस बनी हुई है। उनके लिए भाई दुष्यंत चौटाला पूरी ताकत से जुटे हुए हैं।
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इनेलो के उम्मेद सिंह रेढू पुराने नेता हैं। उन्हें जाट मतों के साथ-साथ कंडेला खाप के वोटों की भी उम्मीद है। कंडेला में सुरजेवाला और दिग्विजय को भी अच्छा समर्थन मिल रहा है। खाप नेता टेक राम कंडेला भाजपा को वोट दिलाने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन कंडेला खाप किसी एक उम्मीदवार के हक में ऐन वक्त पर कोई फैसला ले सकती है।
भाजपा सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के उम्मीदवार विनोद आशरी को गैर जाटों के साथ-साथ पिछड़े वर्ग के मतों का आस है। पार्टियों में भितरघात की अगर बात करें तो भाजपा के रणनीतिकार इसे खत्म करने में पूरी तरह से जुट चुके हैैं। उन्हें सफलता भी मिल रही है।
कांग्रेस में कई गुट बने हुए हैं, लेकिन सुरजेवाला के प्रत्याशी बनने के बाद गुटों में बंटे नेता एक हुए नजर आ रहे हैं। चुनाव के दौरान भी वह एक रहें, इसकी बेहद दरकार है। इनेलो को जननायक जनता पार्टी बनने का नुकसान उठाना पड़ सकता है।