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नई कर प्रणाली से इस राज्य को उठाना पड़ा पांच हजार करोड़ का नुकसान

जीएसटी लागू होने के बाद केंद्रीय खजाने में मोटी रकम डाल रहे हरियाणा को खुद के राजस्व में खासी चपत लग रही है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 10:31 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 08:40 AM (IST)
नई कर प्रणाली से इस राज्य को उठाना पड़ा पांच हजार करोड़ का नुकसान
नई कर प्रणाली से इस राज्य को उठाना पड़ा पांच हजार करोड़ का नुकसान

जेएनएन, चंडीगढ़। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद केंद्रीय खजाने में मोटी रकम डाल रहे हरियाणा को खुद के राजस्व में खासी चपत लग रही है। 1 जुलाई 2017 से शुरू नई कर प्रणाली में प्रदेश को एक साल में करीब 5000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। आइजीएसटी (एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर) निपटान के तहत हरियाणा को केंद्र से प्रतिपूर्ति में अभी तक सिर्फ 952 करोड़ रुपये मिले हैं।

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हालांकि जीएसटी लागू होने के बाद हरियाणा का टैक्स बेस बढ़ा है। प्रति व्यक्ति पूंजी राजस्व संग्रह में देशभर में अव्वल हरियाणा कुल जीएसटी संग्रहण में पांचवें नंबर पर है। जीएसटी से पहले वैट, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर के तहत प्रदेश में करीब सवा दो लाख कर दाता थे, जिनकी संख्या आज चार लाख के पार पहुंच चुकी। यह स्थिति तब है जब जीएसटी में डीलर्स के अनिवार्य पंजीकरण की सीमा पांच लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है।

जीएसटी के तहत प्रदेश में करदाताओं द्वारा रिटर्न दाखिल करने की दर भी राष्ट्रीय औसत से करीब सात फीसद अधिक है। प्रदेश में 98.27 करदाता टैक्स अदा कर रहे हैं। राजस्व संग्रह की दर में भी 24.10 फीसद का इजाफा हुआ है। 2016-17 में जहां सभी करों से 24,302 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में आए, वहीं 2017-18 में यह राशि 29,941 करोड़ रुपये पहुंच गई। वर्ष 2017-18 में जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश को 1506 करोड़ रुपये राजस्व मिला था, जो चालू सत्र के पहले तीन महीनों में 1,805 करोड़ हो चुका है।

वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि जीएसटी के तहत खाद्य पदार्थों पर छूट दी गई है। वैट के तहत खाद्यान्नों पर पांच फीसद कर लगाया गया है। खाद्यान्न से राज्य को कुल 1100 करोड़ रुपये मिले। आइजीएसटी निपटान के तहत हरियाणा को केंद्र से अभी बकाया प्रतिपूर्ति जल्द मिलने की उम्मीद है।

ई-वे बिल के डिफाल्टरों पर शिकंजा

ई-वे बिलों के सृजन में हरियाणा चौथे स्थान पर है। 1 अप्रैल से 30 जून के बीच लगभग 1.12 करोड़ ई-वे बिल सृजित किए गए। इस दौरान आबकारी एवं कराधान विभाग के अफसरों ने 1.10 लाख ई-वे बिलों की फिजिकल जांच की, जिनमें अनियमितताओं के 3358 मामले पकड़ में आए। दो महीनों में करीब 21.37 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया है।

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केंद्र पर दबाव डाल आधा दर्जन से अधिक वस्तुओं पर कम कराया टैक्स

वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के मुताबिक हरियाणा ने केंद्र से गुजारिश कर कई वस्तुओं पर जीएसटी कम कराने में सफलता पाई है। ट्रैक्टरों पर कर को 28 से घटाकर 12 और स्पेयर पाट्र्स पर टैक्स 28 से कम कर 18 फीसद कर दिया गया है। इसी तरह उर्वरकों पर कर 12 से घटाकर पांच, प्लाईवुड पर 28 से 18, वैज्ञानिक उपकरणों पर 18 से 12 और  कृषि उपकरणों को 12 फीसद के निचले स्लैब पर रखा गया है।
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