AJL प्लॉट आवंटन मामले में हुड्डा का नया कदम, CBI की विशेष कोर्ट में लगाई अब यह अर्जी
हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल प्लाट आवंटन केस में नया कदम उठाया है। उन्होंने विशेष सीबीआइ कोर्ट में याचिका देकर खुद को डिस्चार्ज करने की मांग की है।
पंचकूला, जेएनएन। नेशनल हेराल्ड की कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को पंचकूला में प्लॉट आवंटन मामले में नया मोड़ आया है। इस मामले में आरोपित हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद को मुक्त (डिस्चार्ज) मांग की है। उन्होंने बृस्पतिवार को पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत (Special CBI Court) में इस संबंध में याचिका दायर की। इस पर कोर्ट ने सीबीआइ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिका दायर कर खुद को केस से डिस्चार्ज करने की अपील की, कोर्ट ने सीबीआइ से जवाब मांगा
भूपेंद्र सिंह हुड्डा बृहस्पतिवार को विशेष सीबीआइ कोर्ट में पेश हुए। इसी दौरान हुड्डा के वकील एसपीएस परमार की ओर से विभिन्न दलीलों देते हुए हुड्डा को इस मामले में डिस्चार्ज करने के लिए याचिका लगाई गई। इस पर कोर्ट की ओर से सीबीआइ को नोटिस कर इस जवाब मांगा गया। इस मामले में अब 18 सितंबर को सुनवाई होगी और सीबीआइ नोटिस पर उसी दिन जवाब देगी।
हुड्डा और अन्य आरोपित बृहस्पतिवार को विशेष सीबीआइ अदालत (Special CBI Court) में पेश हुए। बचाव पक्ष ने कहा है कि इस मामले में हुड्डा को फंसाने की कोशिश की जा रही है। हुड्डा ने कोई अनियमितता नहीं की है। हुड्डा के वकील ने उन्हें इस मामले से डिस्चार्ज (Discharge) करने की मांग करते हुए याचिका दायर की। इस पर कोर्ट ने सीबीआइ को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने को कहा।
पंचकूला की विेशेष सीबीआइ अदालत में पेश होने पहुंचे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा।
विशेष सीबीआइ कोर्ट में पेश हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य आरोपित
गौरतलब है कि 24 अगस्त 1982 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) के हिंदी अखबार नवजीवन को पंचकूला सेक्टर छह में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट (नंबर सी -17) अलॉट किया था। कंपनी को इस पर छह माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन वह 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। इसके बाद 30 अक्टूबर 1992 को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ( Haryana Urban Development Authority) यानि हुडा ने आवंटन को रद कर दिया था।
इसके बाद 18 अगस्त 1995 को नए आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई। इसी दौरान 14 मार्च 1998 को एजेएल की ओर से आबिद हुसैन ने हुडा के चेयरमैन को पूर्व प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की अपील की। 14 मई 2005 को हुडा के चेयरमैन ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा, लेकिन कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इन्कार कर दिया।
मामले के अनुसार 28 अगस्त 2005 को हुडा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट कर दिया। जबकि इसे 2005 की दरों पर जारी किया जाना चाहिए था। इसके साथ ही कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा। एजेएल अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज अखबारों का प्रकाशक रहा हैै।
हुडा के अध्यक्ष के नाते लपेटे में आए हुड्डा
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया। चूंकि मुख्यमंत्री हुडा के पदेन अध्यक्ष होते हैं और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। सतर्कता ब्यूरो ने 5 मई 2016 को भादसं की धारा 409, 420 और 120बी के तहत केस दर्ज किया था। 5 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने मामला सीबीआइ को सौंप दिया। सीबीआइ ने हुड्डा के खिलाफ 120बी, 420 एवं सेक्शन 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) डी के तहत चार्जशीट दाखिल की।
हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) को सन् 2005 में नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया गया। इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
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बता दें, प्लॉट आवंटन मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। अब इनके खिलाफ विशेष सीबीआइ कोर्ट में ट्रायल चलेगा।
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इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेरॉल्ड के स्वामित्व वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) को प्लाट आवंटन करने के मामले में बड़ी कार्रवाई की थी। ईडी ने कंपनी के पंचकूला सेक्टर 6 स्थित प्लाट सी 17 को अटैच कर दिया। ईडी द्वारा इस प्लाट को अटैच कर दिए जाने से इस पर कोई काम नहीं हो सकेगा।
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