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भर्ती घोटाले में नए खुलासे, कांग्रेस शासन में भी भर्तियों में ठगी का चलता था खेल

कर्मचारी चयन आयोग में भर्तियों में भ्रष्‍टाचार के मामले में राेज नए खुलासे हाे रहे हैं। अब सामने आया है कि इस मामले में पक़ड़े गए आरोपित कांग्रेस शासन में भी ठगी का खेल कर रहे थे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 14 Apr 2018 09:39 AM (IST)Updated: Sat, 14 Apr 2018 08:47 PM (IST)
भर्ती घोटाले में नए खुलासे, कांग्रेस शासन में भी भर्तियों में ठगी का चलता था खेल
भर्ती घोटाले में नए खुलासे, कांग्रेस शासन में भी भर्तियों में ठगी का चलता था खेल

पंचकूला, [राजेश मलकानियां]। कर्मचारी चयन आयोग में भर्ती घोटाले के मामले में राेज नए खुलासे हाे रहे हैं। पूर्व की कांग्रेस सरकार में भी भर्तियों के नाम पर ठगी का धंधा चलता था। ठग इतने शातिर थे कि पैसा लेने के बाद आवेदकों के फर्जी दस्तावेज तैयार करवाते थे और फिर दो मिनट में इंटरव्यू तक करवाते थेे। सिंचाई विभाग में ट्रेसर एवं कोऑपरेटिव बैंक में सब इंसपेक्टर (सिविल) की नौकरी के लिए ठगे गए लोग अब सामने आने लगे हैं। चार शिकायतकर्ताओं ने पुलिस के समक्ष पेश होकर भर्ती घोटाले में पकड़े गए राजबीर और अनीता पर आरोप लगाए हैं।

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सूरजभान बोला : मेरा दोस्त लगवाता है नौकरी

सोनीपत के चार युवक अजय कुमार, संदीप कुमार, नरेंद्र एवं अजीत ने बताया कि वर्ष 2013 में गांव सिवानका गोहाना (सोनीपत) का सूरजभान उन्हें मिला था और उसने कहा था कि उसके एक दोस्त का कर्मचारी चयन आयोग में अच्छा तालमेल है और वह पैसे देकर नौकरियां लगवाता है।

बातचीत होने के बाद सूरजभान इन चारों के अलावा कुलदीप और प्रदीप को वर्ष 2013 में कालका (पंचकूला) में मुकेश सैनी के निवास पर मिलवाने ले आया। वहां मुकेश के अलावा राजबीर चौहान और अनीता मौजूद थे। मुकेश सैनी ने इन सभी 6 युवकों को बताया कि राजबीर चौहान व अनीता ही नौकरियां लगवाते हैं। उक्त लोगों ने इन 6 युवकों से नौकरी लगवाने के लिए 28 लाख रुपये की मांग की। पक्की नौकरी के लालच में ये पैसे देने को तैयार हो गए।

राजबीर ने भरवाए फार्म

शिकायतकर्ताओं के अनुसार, राजबीर ने उनके सर्टिफिकेट ले लिए और उसी ने सिंचाई विभाग में ट्रेसर एवं कोऑपरेटिव बैंक सब इंसपेक्टर (सिविल) के लिए फार्म भरा। क्वालीफिकेशन कम होने के कारण राजबीर ने ही उनके फर्जी दस्तावेज बनवाए। इसके बाद राजबीर, अनीता को 24 लाख रुपये नौकरी के लिए और चार लाख रुपये उधार दे दिए थे। इसके बाद राजबीर ने उन्हें रोल नंबर दे दिया। फरवरी 2014 में ट्रेसर के लिए इंटरव्यू हुआ। इस दौरान राजबीर ही इन सभी को अंदर कमरे में लेकर गया और दो से पांच मिनट में बाहर ले आया। इंटरव्यू लेने वालों ने इनसे कोई सवाल-जवाब नहीं किया।

नौकरी नहीं मिली तो सीएम विंडो पर दी शिकायत

सरकार बदलने के बाद शिकायतकर्ताओं ने चारों आरोपितों से नौकरी के बारे में पूछा तो कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने सीएम विंडो पर शिकायत दे दी। 18 अक्तूबर 2016 को पुलिस ने सूरजभान, मुकेश सैनी, राजबीर चौहान एवं अनीता के खिलाफ केस दर्ज कर लियाा। पुलिस ने केस दर्ज करते समय कुलदीप व प्रदीप को शिकायतकर्ता और अजय कुमार, संदीप कुमार, नरेंद्र व अजीत को गवाह बनाया।

यूं निकल गया एफआइआर से नाम

अजय कुमार, संदीप कुमार, नरेंद्र व अजीत के अनुसार एफआइआर दर्ज होने के बाद कुलदीप व प्रदीप के पिता जयपाल को पंचायत में राजबीर व अनीता ने चार लाख रुपये वापस कर दिए और लिखवा दिया कि हमें कोई कार्रवाई नहीं करवानी, जबकि इन चारों गवाहों से कोई बात नहीं की गई।

मुकेश को राजबीर ने दिया था चेक

इस मामले में कालका पुलिस द्वारा वीरवार को रिमांड पर लिए गए मुकेश सैनी ने पुलिस को बताया था कि 24 लाख रुपये चार हिस्सों में बंटने थे। इसमें राजबीर ने उसे 8 लाख रुपये का चेक दिया था, जोकि बाउंस हो गया। उसकी कॉपी पुलिस रिकॉर्ड में लगी है। राजबीर ने मात्र 2 लाख रुपये सूरजभान को दिए थे, बाकी पैसा राजबीर और अनीता ठग गए। अब पुलिस उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही।


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