पड़ोसी नहीं दे रहा पानी, अब खुद बचाएंगे बूंद-बूंद
हरियाणा को पड़ोसी राज्य पंजाब पानी नहीं दे रहा है, ऐसे में उसने खुद का रास्ता निकालने का फैसला किया है। हरियाणा जलके मामले में आत्मनर्भ्रिर बनने के लिए बूंद-बूंद पानी बचाएगा।
चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। हरियाणा को पड़ोसी राज्य पंजाब उसके हिस्से का पानी नहीं दे रहा है, ऐसे मे राज्य सरकार ने जल संरक्षण का रास्ता अपनाने का फैसला किया है। वह अब बूंद-बूंद पानी बचाकर अपनी जरूरत पूरी रकने की कोशिश करेगा। हरियाणा वैसे पंजाब से अपने हिस्से का पानी हासिल करने को के लिए जी-जान से जुटा हुआ है, लेकिन वह इसके साथ ही इस मामले में अपने पैरों पर खड़ा होने का प्लान तैयार कर रहा है।
हरियाणा में तेजी से गिरते भूमिगत जल को अब भी नहीं रोका तो परिणाम घातक होंगे। 12 एमएएफ (मीट्रिक एकड़ फीट) पानी की कमी से जूझते प्रदेश में 117 ब्लॉकों में से 64 ब्लॉकों में पानी का अति दोहन बरकरार है।
प्रदेश के 117 ब्लाकों में से 64 में पानी का अति दोहन, 30 साल पहले ट्यूबवेल 25 हजार, अब 9 लाख हो गए
तीन दशक मेंं ट्यूबवेलों की संख्या 25 हजार से बढ़कर नौ लाख पहुंच गई है। यही वजह है कि 1980 में आठ मीटर पर मिलने वाला भूमिगत जल अब 17 से 18 मीटर नीचे पहुंच गया है। हिमाचल के परवाणू स्थित टिंबर ट्रेल में शनिवार को चिंतन शिविर के दूसरे दिन हरियाणा की यह भयावह तस्वीर निकल कर सामने आई।
प्रदेश को 32.76 एमएएफ पानी की जरूरत है जबकि मिलता है सिर्फ 20.73 एमएएफ। इसमें से 9.45 एमएएफ पानी कैनाल और 11.28 एमएएफ भूमि से मिल रहा है। पानी की हर बूंद का सदुपयोग विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता कर रहे लोक निर्माण मंत्री राव नरवीर सिंह ने कहा कि हमारे पास पानी के सीमित स्रोत हैं। इनका सदुयोग होना चाहिए ताकि बचे पानी अन्य कार्यों में लगाया जा सके।
तालाबों की सफाई कर बचाएंगे पानी
कुदरती पानी का संरक्षण करने के लिए सरकार सभी तालाबों की सफाई कराएगी। जलघरों पर सोलर सिस्टम लगाकर पानी का वाष्पीकरण रोका जाएगा। लीकेज और सीपेज को रोककर कैरियर चैनल दुरुस्त किए जाएंगे। एसटीपी से पानी रिसाइकल होगा तो वाटर हारवेस्टिंग को प्रमोट कर पानी को बचाने की कोशिश होगी।
किसानों को सिखाएंगे सिंचाई का सही तरीका
जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने कहा कि सबसे ज्यादा पानी की खपत खेती में होती है। ऐसे में किसानों को फसलों की सही सिंचाई का तरीका सिखाना होगा। केंद्रीय भूजल बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सुषील गुप्ता ने कहा कि हमें ग्रांउड वाटर प्रबंधन प्रणाली को अपनाना होगा।
सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव अनुराग रस्तोगी ने कम्युनिटी ट्यूबवेल सिस्टम को अपनाने का सुझाव दिया। सत्र के दौरान ओपन हाउस चर्चा में अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन और वीएस कुंडू, डीजीपी बीएस संधू, काडा के चीफ इंजीनियर राजीव बंसल, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के इंजीनियर इन चीफ मनपाल सिंह, सिंचाई विभाग के इंजीनियर इन चीफ वीरेंद्र सिंह, फतेहाबाद के उपायुक्त हरदीप सिंह ने भी अहम सुझाव दिए।