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NCRB Report-2018: ‘उड़ता पंजाब’ से तेज हरियाणा, नशे में पांचवें व शराब से मौत मामले में तीसरे नंबर पर

NCRB Report-2018 नशे के मामले में भले ही पंजाब बदनाम है लेकिन हरियाणा उससे भी दो कदम आगे निकल गया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 09:53 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 08:48 AM (IST)
NCRB Report-2018: ‘उड़ता पंजाब’ से तेज हरियाणा, नशे में पांचवें व शराब से मौत मामले में तीसरे नंबर पर
NCRB Report-2018: ‘उड़ता पंजाब’ से तेज हरियाणा, नशे में पांचवें व शराब से मौत मामले में तीसरे नंबर पर

जेएनएन, चंडीगढ़। NCRB Report-2018: नशे के मामले में भले ही पंजाब बदनाम है, लेकिन हरियाणा उससे भी दो कदम आगे निकल गया है। उत्तर भारत के आठ राज्यों के साथ मिलकर नशे के खिलाफ अभियान चला रहा हरियाणा नशे के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर पांचवें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि जहरीली शराब से मौत के मामले में तीसरे नंबर पर। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार वर्ष 2018 में ड्रग्स के कारण हरियाणा में जहां 86 लोग मारे गए, वहीं नकली शराब से 162 की मौत हो गई।

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NCRB Report-2018 के मुताबिक हरियाणा में एक साल में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांसेज (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत दो हजार 587 मामले दर्ज हुए जो उत्तर भारत के राज्यों में सबसे ज्यादा है। पंजाब में हालात सुधरे हैं, हरियाणा में स्थिति और बिगड़ गई। यहां से राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी अवैध शराब पहुंचाई जा रही है। वर्ष 2018 में नकली शराब के सेवन से प्रदेश में 162 मौतें दर्ज हुईं, जबकि सर्वाधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में ऐसे 78 केस दर्ज हुए। इस दौरान पंजाब में 159 मौतें हुईं।

ड्रग्स से हुई मौतों में भी हरियाणा पंजाब से आगे रहा। ड्रग्स से देश में कुल 864 लोगों की जान गई जिनमें 709 पुरुष और 155 महिलाएं थी। ड्रग्स से हरियाणा में 86 लोगों की मौत के मुकाबले पंजाब 78 मौतों के साथ हरियाणा से एक स्थान नीचे रहा। हरियाणा-पंजाब के अलावा राजस्थान 153 मौतों के साथ देश में पहले नंबर पर रहा। इसके बाद मध्य प्रदेश में 94, कर्नाटक में 91 और उत्तर प्रदेश में 88 मौतें हुईं।

सिरसा में स्थिति गंभीर

ड्रग्स के सर्वाधिक मामले सिरसा में सामने आए हैं। राजस्थान और पंजाब से सटे इस जिले में जहां वर्ष 2014 के दौरान 1405 ड्रग एडिक्ट इलाज के लिए पहुंचे थे, वहीं 2018 में ऐसे लोगों की संख्या 18 हजार 551 पहुंच गई। पहले 25-30 वर्ष की आयु के युवा नशे की गिरफ्त में थे, लेकिन अब 15 से 20 साल के युवाओं की संख्या ज्यादा है। विधानसभा में नशे का मुद्दा उठाते रहे ऐलनाबाद से इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला इस मसले पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चिट्ठी लिखने से लेकर गृह मंत्री अनिल विज के दरबार में भी हाजिरी लगा चुके हैं।

राष्ट्रीय सर्वे की तर्ज पर सरकार कराएगी राज्य सर्वेक्षण

नशे और संगठित अपराध से निपटने के लिए मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) की तर्ज पर हरकोका (हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) लागू करने के बाद प्रदेश सरकार अब नशे पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण की तर्ज पर राज्य सर्वेक्षण कराएगी। यह सर्वेक्षण मुख्यतया तीन बिंदुओं पर आधारित होगा जिसमें नशे की सप्लाई पर रोक लगाने, नशेड़ी युवाओं के प्रबंधन एवं पुनर्वास और मादक पदाथोर्ं की खपत में कमी लाना शामिल है। इसके लिए केंद्रीय मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम बनाया जाएगा जिस पर पुलिस, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा शिक्षा विभाग नशे से संबंधित तमाम जानकारियां डालेंगे ताकि वास्तविक रणनीति तैयार कर इसे प्रभावशाली ढंग से लागू किया जा सके।

रिपोर्ट के आधार पर युवाओं को नशे से बचाने के लिए एक मजबूत तंत्र तैयार किया जा सकेगा। मौजूदा समय में मादक पदार्थों की बिक्री व इसके कारोबारियों पर अंकुश लगाने के लिए साझा रणनीति बनाने के लिए पंचकूला में अंतरराज्यीय नियंत्रण सचिवालय बनाया गया है। सभी राज्यों के नोडल अधिकारियों के वाट्स-एप नंबर, मोबाइल तथा ई-मेल की जानकारी इस पर उपलब्ध हैं। सूचनाओं का आदान-प्रदान करने से नशे का नेटवर्क तोड़ने में आसानी होगी।

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