हरियाणा के IAS अशोक खेमका भी चर्चा मेंं, अब सीएम मनोहरलाल के प्रोजेक्ट में फंसाया पेंच
हरियाणा के आइएएस अफसर ने पंचकूला मेें बनने वाले म्युजियम पर पेंच फंसा दिया है। यह म्युजियम सीएम मनोहरलाल के टॉप लिस्ट में है।
चंडीगढ़, जेएनएन। पूर्ववर्ती भूपेंद्र सिेंह हुड्डा सरकार के समय डीएलएफ-वाड्रा लैंड म्युटेशन रद करने वाले हरियाणा के आइएएस अशोक खेमका फिर चर्चाओं में हैं। इस बार मामला पंचकूला के सेक्टर पांच में प्रस्तावित अत्याधुनिक संग्रहालय के निर्माण से जुड़ा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जहां 23 साल पुराने इस प्रोजेक्ट पर तुरंत निर्माण कार्य शुरू करने के निर्देश दिए हैं, वहीं पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के प्रधान सचिव के नाते अशोक खेमका ने इसमें पेंच फंसा दिया है। खेमका ने कहा है कि निर्धारित शर्तें पूरी होने के बाद ही यह प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता है।
कहा, निर्धारित शर्तें पूरी होने के बाद ही शुरू किया जा सकता पंचकूला में प्रोजेक्ट
वर्ष 1996 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (तब हुडा) ने राज्य स्तरीय म्युजियम के निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग को दो एकड़ जमीन दी थी। अब खेमका ने पुरातत्व विभाग की बागडोर संभाली तो पता चला कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा पुरातत्व और संग्रहालय विभाग को सौंपी गई जमीन दो एकड़ (9,680 वर्ग गज) न होकर वास्तव में 1.83 एकड़ (8,860 वर्ग गज) है। भवन का कोई स्केच भी नहीं था।
हुडा ने दो एकड़ की जगह दी 1.83 एकड़ जमीन, खेमका ने एफएआर के 22 करोड़ रुपये और मुआवजा मांगा
हालांकि पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि 1.83 एकड़ भूमि पर भी यह प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता है। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट को टॉप प्रायोरिटी (प्राथमिकता) से पूरा करने के निर्देश देते हुए यह भी कह रखा है कि समय-समय पर इसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट उन्हेंं व्यक्तिगत रूप से दी जाए।
सीएम मनोहरलाल के सख्त निर्देशों के बावजूद खेमका ने दोहराया है कि कुछ आवश्यक शर्तों के बाद ही संग्रहालय का काम शुरू हो सकता है। इसके तहत नगर एवं आयोजना विभाग के प्रधान सचिव, एचएसवीपी के मुख्य प्रशासक और मुख्य वास्तुकार को आयामों के साथ भूखंड का उचित अधिकार सौंपना चाहिए। साथ ही 23 साल की देरी के लिए अतिरिक्त राशि की भरपाई और मुआवजा दिया जाए।
खेमका ने नगर एवं आयोजना विभाग के प्रधान सचिव एके सिंह को पत्र लिखकर कई गंभीर सवाल भी उठाए हैं। साथ ही मुख्य वास्तुकार को लिखा है कि राज्य पुरातत्व संग्रहालय के वास्तुशिल्प चित्र तैयार करने के लिए 150 के एफएआर (फ्लोर एरिया रेशो) के साथ 1.83 एकड़ का वास्तविक भूखंड क्षेत्र लें।
संग्रहालय की जमीन को लेकर यह है पूरा विवाद
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) ने संग्रहालय के लिए 185 रुपये प्रति वर्ग गज (कुल 17,90,800 रुपये) की दर से जमीन दी थी। पुरातत्व विभाग को यह भूखंड 23 अगस्त 1996 को आवंटित किया गया। 1997-1998 में पूरे भुगतान के बाद हुडा ने 22 मई 1998 को 100 फीसद एफएआर के साथ स्वामित्व सौंप दिया। 23 मई 2019 को लोक निर्माण विभाग ने पुरातत्व विभाग को सूचित किया कि भूखंड के वास्तविक आयाम जोनिंग योजना के अनुसार नहीं थे। हुडा ने 9,680 वर्ग गज के बजाय 8,860 वर्ग गज के भूखंड पर कब्जा दिया था।
एफएआर बढ़ाने पर हुडा ने लिए 22.88 करोड़
बाद में पुरातत्व विभाग ने हुडा को एफएआर 100 से बढ़ाकर 150 प्रतिशत करने का अनुरोध किया, जिसे अनुमति मिल गई थी। हालांकि हुडा ने इसके लिए 22.88 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान करने के लिए कहा। पुरातत्व विभाग ने मार्च और जुलाई 2017 में दो किस्तों में इस राशि का भुगतान किय
हुडा ने इस अतिरिक्त भुगतान राशि की गणना 14 हजार 520 वर्ग गज के पूर्ण उपयोग के लिए 19 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से की। खेमका ने पुरातत्व विभाग के 22 करोड़ रुपये के अतिरिक्त भुगतान को वापस करने की मांग की है। साथ ही कहा कि भूखंड के उचित कब्जे में देरी के लिए मुआवजा मिले। राज्य समेकित निधि को नुकसान के लिए जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
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