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जिंदगी के लिए खतरनाक प्लास्टिक वेस्ट को रीसाइकलर को बेचेगा नगर निगम

लोगों को रोजगार मिलेगा और नो प्लास्टिक मुहिम में भागीदारी भी बढ़ेगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 10:22 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 06:14 AM (IST)
जिंदगी के लिए खतरनाक प्लास्टिक वेस्ट को रीसाइकलर को बेचेगा नगर निगम
जिंदगी के लिए खतरनाक प्लास्टिक वेस्ट को रीसाइकलर को बेचेगा नगर निगम

राजेश मलकानियां, पंचकूला : नगर निगम द्वारा शहर से निकलने वाले प्लास्टिक वेस्ट को रीसाइकलर को बेचा जाएगा जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा और नो प्लास्टिक मुहिम में भागीदारी भी बढ़ेगी। कूड़ा उठाने वाले लोगों का एक सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाया जाएगा जोकि प्लास्टिक वेस्ट को अलग करेगा और उसके बाद उसे बेच दिया जाएगा। दरअसल देशभर में इन दिनों प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने और बेहतर वेस्ट मैनेजमेंट के जरिये प्रदूषण पर कंट्रोल करने की पहल की जा रही है। अगर हम थोड़ी-सी कोशिश करें तो बेकार चीजों का बेहतर तरीके से निस्तारण कर सकते हैं और पर्यावरण में अहम योगदान दे सकते हैं। इसके चलते नगर निगम पंचकूला यह अभियान छेड़ने जा रहा है। नगर निगम द्वारा प्लास्टिक की 10 बोतलें देने पर वीटा बूथ पर आधा किलो दूध के पैकेट का ऑफर पहले ही दिया गया है। इतना खतरनाक होता है प्लास्टिक

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-प्लास्टिक खतरनाक होता ही है लेकिन सिगल यूज प्लास्टिक सबसे ज्यादा खतरनाक है। यह सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल के लिए बनाया होता है। इनमें कैरी बैग, कप, पानी या कोल्ड ड्रिंक की बोतलें, स्ट्रॉ, फूड पैकेजिग आदि आते हैं।

-प्लास्टिक इस्तेमाल होने के बाद इधर-उधर फेंक दिया जाता है। बारिश के पानी या अन्य कारणों से ये प्लास्टिक नदियों, नालों और समुद्र में चला जाता है। इससे पानी का बहाव प्रभावित होता है। चूंकि प्लास्टिक जल्दी गलता नहीं है इस कारण सैकड़ों साल पानी में पड़ा रहता है।

-इस प्लास्टिक में केमिकल मिले होते हैं जो पानी के साथ इंसान के शरीर में भी आ जाते हैं। प्लास्टिक से जहरीली गैस निकलती हैं। धूप के संपर्क में आने पर इससे जहरीली गैसें और ज्यादा निकलती हैं। प्लास्टिक के कारण जमीन बंजर हो जाती है और खेती करना मुश्किल हो जाता है।

-प्लास्टिक के कूड़े को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड गैसों की मात्रा वायुमंडल में बहुत बढ़ जाती है। सस्ते में हो जाता है तैयार

दरअसल सिंगल यूज प्लास्टिक को बनाने में ज्यादा खर्चा नहीं आता। ऐसे में न केवल इसका उत्पादन बहुत अधिक हो रहा है बल्कि इस्तेमाल भी खूब हो रहा हैं जबकि यह मजबूत और पैकेजिंग के लिए परफेक्ट होता है। सब्जी, किराना आदि दुकानों पर मिलने वाले 50 माइक्रोन से कम के कैरी बैग सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं और ये ही सबसे ज्यादा खतरनाक भी हैं क्योंकि इन्हें रीसाइकल नहीं किया जा सकता। डस्टबिन में इस्तेमाल होने वाली काले रंग की थैलियां भी 50 माइक्रोन से कम प्लास्टिक की होती हैं। खरीददारी के लिए बैग ले जाएं

प्लास्टिक के कैरी बैग पर बैन की स्थिति में खरीदारों को दिक्कत होना स्वभाविक है। अगर आप किसी शोरूम में खरीदारी के लिए जाते हैं तो आपको कैरी बैग की जरूरत पड़ सकती है। अगर शोरूम से आप कैरी बैग मांगते हैं और उस बैग पर किसी कंपनी या उसी शोरूम का विज्ञापन है तो आपको हक है कि आप उस बैग की कीमत न दें। वहीं, अगर बैग पर कोई विज्ञापन नहीं है तो आपको बैग की कीमत देनी पड़ सकती है। बेहतर होगा कि शॉपिग के लिए आप अपना बैग साथ ले जाएं। प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने की आदत डालें

सामाजिक कार्यकर्ता संदीप गुप्ता बताते हैं कि किसी भी चीज को बेकार समझकर यूं ही न फेंकें। हर चीज का दोबारा प्रयोग हो सकता है। बस थोड़ा दिमाग लगाने की जरूरत होती है। बेहतर होगा कि सिगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल धीरे-धीरे बंद कर दें और इसके विकल्पों जैसे जूट या कपड़े का थैला, कागज के लिफाफे आदि का इस्तेमाल करें। सावधानी बरतने की जरूरत : जोगपाल

नगर निगम के प्रशासक राजेश जोगपाल ने बताया कि ऐसी चीजें जिन्हें रीसाइकल किया जा सकता है, उन्हें एक जगह इकट्ठा कर कबाड़ी को बेच दें। इन चीजों में लोहा, एल्यूमीनियम, प्लास्टिक, कांच आदि शामिल हैं। जिसे रीसाइकल नहीं किया जा सकता, उस प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचें। साथ ही ऐसी रीसाइकल होने लायक प्लास्टिक को भी न कहें जिसकी बहुत ज्यादा जरूरत न हो।


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