मध्यमवर्गीय परिवारों को बड़े शहरों में भी मिलेंगे सस्ते आवास
हरियाणा सरकार ने दीनदयाल जन आवास योजना की विस्तृत नीति जारी कर दी है। इसमें सोनीपत, पानीपत, गुरुग्राम व फरीदाबाद सहित नौ बड़े शहर भी शामिल किए गए हैं।
चंडीगढ़ [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा सरकार ने गणतंत्र दिवस के मौके पर दीनदयाल जन आवास योजना 2016 की विस्तृत नीति जारी कर दी है। इसमें सोनीपत, पानीपत, गुरुग्राम व फरीदाबाद सहित नौ बड़े शहर भी शामिल किए गए हैं। इससे मध्यवर्गीय परिवारों को बड़े शहरों में भी सस्ते आवास की सुविधा मिल सकेगी। इतना ही नहीं योजना के लागू होने से बड़े शहरों के नजदीक अवैध कॉलोनियों पर भी अंकुश लग सकेगा। नगर एव ग्राम आयोजना विभाग ने नई नीति विभाग की वेबसाइट पर अपलोड भी कर दी है।
योजना में 60 से 150 वर्ग मीटर तक ही प्लॉट मान्य
पांच से 15 एकड़ जमीन पर बनने वाली कॉलोनियों में 60 से 150 वर्ग मीटर तक के प्लॉट ही बन सकेंगे और कुल जमीन के 61 फीसद पर रिहायशी तथा चार फीसद पर वाणिज्यिक प्लॉट बनाए जा सकेंगे। इसके अलावा निर्माण के लिए फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) 200 फीसद तक रहेगा। कॉलोनी की आंतरिक सड़कें भी नौ मीटर चौड़ी होंगी। इसमें आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए अलग से प्रावधान करने की जरूरत नहीं होगी।
कुंडली-मानेसर व पलवल एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ रिहायशी जोन विकसित करने का उद्देश्य
इस नई नीति के पीछे सरकार का कुंडली,मानेसर, पलवल एक्सप्रेस वे (केएमपी) के दोनों ओर रिहायशी क्षेत्र विकसित करने का उद्देश्य है। अब तक इस योजना के तहत लाइसेंस सिर्फ करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर, जगाधरी, बहादुरगढ़, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, गन्नौर, धारूहेड़ा, पलवल, होड़ल, बावल व पृथला के लिए ही मिल सकता था मगर अब सोनीपत, कुंडली, पानीपत, पिंजौर, कालका, गुरुग्राम के सोहना, कोट बहला, फरीदाबाद व बल्लभगढ़ के अर्बन कांप्लेक्स को भी इसमें शामिल किया गया है।
इससे केएमपी के दोनों ओर के क्षेत्रों में आवासीय कॉलोनी विकसित आसानी से की जा सकेंगी। योजना में यह भी शर्त है कि रिहायशी सेक्टर के 30 फीसद पर ही इस योजना के तहत लाइसेंस दिया जा सकता है और यदि उस सेक्टर में पहले से ही 20 फीसद ग्रुप हाउसिंग सोसायटी बनी हुई हैं तो फिर सेक्टर में सिर्फ दस फीसद क्षेत्र में ही लाइसेंस मिल सकेगा।
अवैध कॉलोनियों पर लगेगा अंकुश
फरीदाबाद नगर निगम से सेवानिवृत्त जिला नगर योजनाकार रवि सिंगला का कहना है कि इस नई नीति से बड़े शहरों के आसपास अवैध कॉलोनियां विकसित नहीं होंगी। अभी इन बड़े शहरों में 100 एकड़ जमीन पर कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस मिलता है मगर अब नई नीति में लाइसेंस 5 से 15 एकड़ जमीन में ही मिल जाएगा। इससे मध्यवर्गीय परिवारों को अर्फोडेबल योजना के फ्लैट से भी सस्ते आवास मिल सकेंगे।
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