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    हरियाणा के स्कूलों में मिड डे मील में फर्जीवाड़ा, नहीं किया जा रहा डेटा अपडेट; मुखिया भेज रही राशन कमी की रिपोर्ट 

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 06:55 PM (IST)

    हरियाणा के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के नाम पर फर्जीवाड़ा हो रहा है। स्कूल डेटा अपडेट नहीं कर रहे और राशन की कमी की झूठी रिपोर्ट भेज रहे हैं। निदेशालय ने दैनिक डेटा अपडेट न करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। कई जिलों में अक्टूबर का डेटा भी अपडेट नहीं किया गया है, जिससे योजना की पारदर्शिता प्रभावित हो रही है।

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    हरियाणा के स्कूलों में मिड डे मील में फर्जीवाड़ा। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के राजकीय स्कूलों में मिड डे मील (मध्याह्न भोजन) के नाम पर खूब फर्जीवाड़ा हो रहा है। स्कूलों की ओर से न तो मिड-डे-मील का डाटा अपडेट किया जा रहा है और न ही मौलिक शिक्षा निदेशालय के आदेशों की अनुपालना हो रही है। मिड डे मील ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों की संख्या का कोई पुख्ता डाटा निदेशालय को मुहैया करवाने की बजाय राशन की कमी की रिपोर्ट भेजी जा रही है।

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    शिक्षा निदेशालय ने लापरवाही और हर रोज डाटा अपडेट नहीं होने पर न केवल मिड-डे-मील इंचार्ज, बल्कि स्कूल मुखियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया है। जिला स्तर पर मिड-डे-मील में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए मौलिक शिक्षा महानिदेशक ने हिदायत दी है कि अब हर महीने नहीं, बल्कि हर रोज डाटा एमआइएस पोर्टल पर अपडेट किया जाएगा।

    निदेशालय के संज्ञान में आया है कि विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से राशन ज्यादा मंगवाया जा रहा है। इसके बावजूद राशन की कमी की रिपोर्ट भेजी जा रही है। मौलिक शिक्षा महानिदेशक की ओर से अब तब जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों के साथ 20 बार पत्राचार किया जा चुका है, जिसमें डाटा अपडेट करने को कहा गया, लेकिन स्कूल मुखियाओं की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया गया है।

    निदेशालय द्वारा जिला मौलिक शिक्षा अधिकरियों को लिखे पत्र में कहा गया कि अधूरी रिपोर्ट स्वीकार नहीं होगी। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा मिड-डे-मील पोर्टल पर मासिक डाटा अपडेट करने की हर महीने 10 तारीख निर्धारित की गई है।

    10 तारीख के बाद पोर्टल बंद हो जाता है। प्रदेश के राजकीय स्कूलों द्वारा अभी तक अक्टूबर माह का डाटा भी पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया है। फतेहाबाद, हिसार, नूंह और सोनीपत जिलों में स्थिति काफी खराब है। रिपोर्टिंग में ढिलाई से योजना की पारदर्शिता और केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले राज्य के आंकड़े प्रभावित होने का हवाला दिया गया है।