Move to Jagran APP

सीएम मनोहरलाल ने चला मास्‍टर स्‍ट्रोक, टीम को दिया खुलकर खेलने का मौका

हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने मंत्रियों को विभागाें के बंटवारे में मास्‍टर स्‍ट्रोक चला है। इसके साथ ही मंत्रियों की अपनी टीम को उन्‍होंने खुलकर खेलने का मौका भी दिया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 11:12 AM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 09:02 PM (IST)
सीएम मनोहरलाल ने चला मास्‍टर स्‍ट्रोक, टीम को दिया खुलकर खेलने का मौका
सीएम मनोहरलाल ने चला मास्‍टर स्‍ट्रोक, टीम को दिया खुलकर खेलने का मौका

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार मंत्रियों के कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही एक्शन मोड में आ गई है। अधिकतर मंत्रियों ने कार्यभार संभाल लिया है। अन्‍य मंत्रियों के सोमवार या मंगलवार को मोर्चा संभालने की संभावना है। एक-दो मंत्रियों को अगर छोड़ दिया जाए तो इस बार सभी को उनकी पसंद और रुचि के हिसाब से मंत्रालयों का बंटवारा हुआ है। मंत्रियों को विभागों के बंटवारे में मुख्‍यमंत्री मनाेहरलाल ने मास्‍टर स्‍ट्रोक चला है। इसके साथ ही उन्‍होंने मंत्रियों की अपनी टीम को खुलकर खेलने की छूट दी है।

loksabha election banner

सभी अहम विभाग अपने पास रखने की बजाय मंत्रियों में बांटकर पेश किया उदाहरण

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी विभागों के बंटवारे में खासी दरियादिली दिखाई। विपक्ष इसे भले ही दबाव की राजनीति से जोड़कर पेश करे, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों को दिल खोलकर विभाग बांटे हैं। जजपा कोटे में दुष्यंत चौटाला को आवंटित 10 विभागों के बाद भाजपा जिस तरह बैकफुट पर आ गई थी, उसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बड़े ही सधे हुए अंदाज में कवर किया है।

सिर्फ वही विभाग अपने पास रखे, जिनका व्यवस्थागत फैसलों से वास्ता

हरियाणा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब मुख्यमंत्री ने अहम विभाग भी अपने पास नहीं रखे। गृह विभाग अमूमन मुख्यमंत्री के पास ही रहता है। पिछले साल भी गृह विभाग मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास ही था, लेकिन इस बार बागडोर सीनियर मंत्री अनिल विज को सौंपकर मुख्यमंत्री ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उन्हें अपने पास मंत्रालय रखने का शौक नहीं है। सरकार को सिर्फ रिजल्ट चाहिए।

पिछली सरकार में चेंज आफ लैंड यूज (सीएलयू) की पावर मुख्यमंत्री के पास से खत्म कर मनोहर लाल पहले ही अपनी सोच को उजागर कर चुके हैं। पुलिस विभाग ऐसा महकमा है, जो देर से रिजल्ट देता है। प्रदेश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए त्वरित निर्णय भी लेने होते हैं। इन दोनों कसौटी पर अनिल विज को परखना सरकार के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। सीआइडी, पुलिस प्रमुख और विभिन्न जिलों के एसपी से पुराने विवादों की तह में अगर जाएं तो विज के पास अब इन अफसरों से काम कराने के शानदार अवसर हैं।

मुख्यमंत्री ने अपने पास वित्त, सिंचाई एवं जल संसाधन, शहरी आयोजना, जन स्वास्थ्य, आइटी, हाउसिंग, प्लानिंग, सामाजिक न्याय, पर्यावरण और सामान्य प्रशासन सरीखे ऐसे डिपार्टमेंट रखे हैं, जिनसे आम पब्लिक का सीधा वास्ता नहीं है। अधिकतर विभाग ऐसे हैं, जो नीतिगत निर्णयों से संचालित होते हैं।

एसवाईएल नहर निर्माण का मसला हो या फिर बड़ी योजनाओं के लिए धन की व्यवस्था, गरीब और जरूरत लोगों के लिए मकान बनाने की योजना हो या फिर सामान्य प्रशासन चलाने की समझदारी। अपने विभागों के जरिये सीएम व्यवस्थागत खामियां दूर करते हुए ऐसा सिस्टम तैयार करने की मंशा रखते नजर आ रहे हैं, जिसके माध्यम से सरकार का स्थायित्व बना रहे और प्रशासन सुशासन की ओर बढ़े।

भाजपा ने रखे शहरी लोगों से कनेक्ट होने वाले विभाग

भाजपा ने अपने मंत्रियों को अधिकतर वह विभाग दिए हैं, जिनसे शहरी पब्लिक का सीधा वास्ता है। स्थानीय निकाय विभाग इनमें सबसे प्रमुख है, जिसकी बागडोर अनिल विज के हाथों में रहेगी। ग्रामीण विकास, आबकारी, पीडब्ल्यूडी, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा खाद्य आपूर्ति सरीखे कई विभाग ऐसे हैं, जिनसे ग्रामीण जनता का अक्सर काम पड़ता है। यह विभाग डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को सौंपे गए हैं।

रणजीत चौटाला के जरिये निर्दलीय विधायकों को अहमियत

बिजली विभाग निर्दलीय रणजीत सिंह चौटाला को सौंपकर भाजपा ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उसके लिए निर्दलीय विधायक भी उतनी अहमियत रखते हैं, जितना कि जजपा के सरकार में साझीदार विधायक व मंत्री।

शिक्षा की गाड़ी को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी कंवरपाल की

पूर्व स्पीकर कंवरपाल गुर्जर की गिनती भाजपा के सीनियर मंत्रियों में होती है। उन्हें सरकार ने शिक्षा, वन और पर्यटन सरीखे चुनौतीपूर्ण विभाग दिए हैं। गुर्जर विधानसभा में जिस समझ के साथ सदन चलाते रहे हैं, उसे देखकर कहा जा सकता है कि वे शिक्षा विभाग की बेपटरी गाड़ी को ट्रैक पर लाने का समयबद्ध तरीके से काम कर सकेंगे। गुर्जर को ऐसा डिपार्टमेंट सौंपा है, जिसकी बागडोर पूर्व में उनके सीनियर रहे रामबिलास शर्मा के हाथों में थी। इसलिए बढिय़ा रिजल्ट देना और भी चुनौतीपूर्ण रहेगा।

मूलचंद शर्मा ने सिस्टम बनाया तो नीचे हो जाएगी अंगुली

ट्रांसपोर्ट और खनन दो विभाग ऐसे हैं, जिन्हें लेकर अक्सर सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल उठते रहे हैं। बल्लभगढ़ के विधायक पंडित मूलचंद शर्मा हालांकि शहरी निकाय विभाग चाहते थे। ऐेसा उनके समर्थक बोलते हैं, लेकिन पंडित जी को मिली दोनों जिम्मेदारियां इस तरह की हैं कि यदि वह खरे उतरे तो सरकार के विरुद्ध उठने वाली अंगुली नीचे हो जाएगी और मूलचंद का सिस्टम में सम्मान बढ़ेगा।

दलाल को कृषि विभाग दे दुष्यंत के सामने मास्टर स्ट्रोक

भाजपा ने विभागों के बंटवारे में कृषि विभाग अपने पास रखकर समझदारी वाला निर्णय लिया है। जजपा को जिस तरह से गांव देहात की पब्लिक से जुड़े विभाग सौंपे गए हैं, उनके समानांतर कृषि विभाग गांवों में भाजपा के हक में बड़ा आधार बनेगा।

यह भी पढ़ें: कैबिनेट में हिस्सेदारी को लेकर दुष्यंत चौटाला की सधी चाल, दो विधायकों को लेकर फंसा है पेंच

संदीप सिंह बेहतरीन खिलाड़ी लेकिन सियासी मैदान में भी दागना होगा गोल

भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान के नाते पिहोवा के विधायक संदीप सिंह को खेल विभाग मिलना स्वाभाविक था। मगर डीएसपी की नौकरी छोड़कर नेता बने संदीप सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वे खुद को सरकारी सिस्टम में कैसे एडजेस्ट कर पाएंगे। उन्हें पब्लिक कनेक्ट बढ़ाते हुए धरातल पर अच्छे नतीजे देने की जरूरत है, जो खेल विभाग में पिछले कार्यकाल के दौरान नहीं मिल पाए।

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


यह भी पढ़ें: CM की मौजूदगी में मंत्रियों ने संभाला मोर्चा, जानें JJP के धानक ने क्‍यों पद संभालने से किया मना


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.