भजन और बंसीलाल की राह चले हरियाणा के चौथे लाल मनोहर
मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने भी हरियाणा रोडवेज की हड़़ताल के मामले पूर्व सीएम बसीलाल और भजनलाल की तरह कठोर रवैया अपना लिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाण की राजनीति कि चौथे लाल मुख्यमंत्री मनोहरलाल भी हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल पर पूर्व सीएम भजनलाल और बंसीलाल की राह पर हैं। ग्यारह दिन से हड़ताल पर बैठे रोडवेज कर्मचारियों के आगे नहीं झुकने का एलान कर मनोहर सरकार ने कड़ा रवैया अपनाया है। किलोमीटर स्कीम के तहत 720 निजी बसें चलाने के विरोध में रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में जिस तरह दूसरे महकमों के कर्मचारी सड़कों पर उतरने लगे हैं, उससे वर्ष 1993 और 1999 की कहानी दोहराये जाने के आसार हैं।
14 दिन की हड़ताल को दरकिनार कर सहकारी समितियों की बसें चलवाने में सफल रहे थे भजनलाल
वर्ष 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल की सरकार ने सहकारी परिवहन समितियों की बसें चलाने का फैसला लिया जिसके विरोध में रोडवेज कर्मचारियों सहित बड़ी संख्या में दूसरे महकमों के लाखों कर्मचारी सड़कों पर उतर आए थे। तब सरकार ने 14 दिन की हड़ताल के बाद एक झटके में 35 हजार से अधिक कर्मचारियों को निलंबित कर आनन-फानन में नई भर्तियां शुरू कर दी।
कर्मचारियों के विरोध को दरकिनार कर सहकारी परिवहन समितियों की बसों को सड़कों पर लाया गया जो अभी तक दौड़ रही हैं। इसी तरह वर्ष 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने कर्मचारियों की हड़ताल के आगे झुके बगैर नई पॉलिसी लागू करके ही दम लिया।
मौजूदा सरकार भी कर्मचारियों के आगे झुकती नहीं दिख रही। अभी तक एस्मा के तहत 1222 मामले दर्ज कर 275 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जा चुका। इनमें 245 जमानत पर हैं। इसी तरह धारा 107/51 के तहत 401 कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई जिनमें 206 को जमानत मिल चुकी। इसके अलावा 193 कर्मचारी निलंबित करते हुए प्रोबेशन के 75 चालकों को निलंबित कर दिया गया।
रंग दिखाने लगी सख्ती, सड़कों पर उतरी
हड़ताली कर्मचारियों पर सरकार की सख्ती का असर दिखने लगा है। शुक्रवार को रोडवेज की 4083 बसों में से 2165 सड़कों पर दौड़ीं। विशेषकर लंबे रूटों पर बसों का संचालन शुरू होने से यात्रियों को बड़ी राहत मिली है। वहीं, तालमेल कमेटी के पदाधिकारियों शरबत पूनिया, वीरेंद्र धनखड़, बलवान सिंह दोदवा ने ठेके पर की जा रही चालक-परिचालकों की भर्ती में 25 से 50 हजार रुपये तक की वसूली के आरोप जड़े हैं।
पहली बार 11 दिन खिंची रोडवेज की हड़ताल
यह पहली बार है जब रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल लंबी खिंची। वर्ष 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की सरकार ने निजी कंपनियों की वोल्वो बसें चलाने की योजना बनाई थी जिसके विरोध में कर्मचारियों ने चार दिन तक चक्का जाम कर दिया। नतीजन सरकार ने पलटी मारी और सभी वोल्वो बसों को रोडवेज बेड़े में ही शामिल कर लिया। चौटाला व हुड्डा सरकारों के समय भी प्राइवेट रूट परमिट देने की कोशिश की गई, लेकिन कर्मचारियों के विरोध के चलते यू-टर्न लेना पड़ा।
89 दिन की हड़ताल का रिकार्ड पालिका कर्मचारियों के नाम
कर्मचारियों की सबसे लंबी हड़ताल का रिकार्ड नगर पालिका कर्मचारियों के नाम है। चौधरी बंसीलाल की अगुवाई वाली हविपा-भाजपा गठबंधन सरकार में ठेकेदारों की बजाय सीधे खजाने से वेतन देने की मांग को लेकर 89 दिन तक पालिका कर्मचारी हड़ताल पर रहे थे। वर्तमान सरकार में भी विगत मई में निकाय कर्मचारी 16 दिन की हड़ताल पर जा चुके। इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मचारी भी 24 दिन की हड़ताल पर रह चुके हैं।