मनोहर लाल... अब नए नहीं, राजनीति के हैं धुरंधर खिलाड़ी, अब जूझना होगा इन आठ चुनौतियों से
मनोहर लाल की पहचान न केवल विपरीत लहरों के कुशल तैराक की हो चुकी है बल्कि उनके राजनीतिक विरोधी भी अब मनोहर लाल को राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी मानने लगे हैं।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरी बार बागडोर संभालने वाले मनोहर लाल अब राजनीति के नई खिलाड़ी नहीं रहे। मनोहर लाल की पहचान न केवल विपरीत लहरों के कुशल तैराक की हो चुकी है, बल्कि उनके राजनीतिक विरोधी भी अब मनोहर लाल को राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी मानने लगे हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में 75 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर आगे बढ़े मनोहर लाल भले ही यह आंकड़ा पार नहीं कर पाए, लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भरोसे में लेकर मनोहर लाल ने अपनी सरकार बनाने के लिए जिस तरह जोड़तोड़ की, उससे वह 57 का आंकड़ा छूने में जरूर कामयाब हो गए हैं। मनोहर लाल भाजपा के 40, जजपा के 10 और सात निर्दलीय विधायकों के बूते सदन में मजबूत स्थिति में पहुंच गए हैं।
करीब 58 साल के लंबे अंतराल के बाद प्रदेश में दूसरी बार गैर कांग्रेस (भाजपा की) सरकार बनी है। सुशासन, पारदर्शिता, भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था, नौकरियों में योग्यता, क्षेत्रवाद पर प्रहार और एक समान विकास कार्यों के बूते मनोहर की पूरे देश में जो छवि पहले कार्यकाल में बनी, उसे अब न केवल बरकरार रखने, बल्कि उसमें और बढ़ोतरी करने की बड़ी चुनौती मनोहर लाल के सामने है। शपथ ग्रहण करने के बाद मनोहर लाल ने सिद्धांतों से किसी तरह टस से मस नहीं होने के संकेत भी दिए हैं।
जीवन किया RSS को समर्पित
राजनीति से अलग मनोहर लाल का एक अपना जीवन है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़े रहकर समाज सेवा के उद्देश्य से उन्होंने कभी विवाह नहीं किया। शुरू में मनोहर लाल डॉक्टर बनना चाहते थे। पिता खेती कराने के पक्ष में थे। उन्होंने कपड़े की दुकान भी चलाई। बाद में राजनीति में आए और कामयाब हो गए। 5 मई 1954 को रोहतक के निंदाणा में जन्मे मनोहर लाल ने अपना जीवन आरएसएस को समर्पित कर रखा है।
परिवार ने बंटवारे की त्रासदी झेली
विभाजन से पहले मनोहर लाल के दादा, पिता हरबंस लाल खट्टर एवं माता शांति देवी पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान का झंग जिला) में रहते थे। 1947 में मनोहर लाल के परिवार ने बंटवारे की त्रासदी झेली। उस समय परिवार सब कुछ छोड़ रोहतक के गांव निंदाणा में आ गया। मनोहर लाल के परिवार ने रोहतक के गांव बनियानी में खेती शुरू की। मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए मनोहर दिल्ली पहुंचे। रिश्तेदार के संपर्क में उन्होंने दिल्ली के सदर बाजार के निकट कपड़े की दुकान खोल ली। व्यवसाय के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री ली। मनोहर लाल सन् 1980 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने। बतौर प्रचारक 14 वर्ष तक संघ में सेवा देने के बाद उन्हें 1994 में भाजपा संगठन में भेज दिया गया।
इन चुनौतियों से जूझना होगा मनोहर को
- मनोहर लाल पर्ची व खर्ची के सख्त विरोधी हैं। उन्हें इस बार भी यही सिस्टम बरकरार रखना होगा, जो किसी चुनौती से कम नहीं
- भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में आने वाली बाधाओं को दूर करना होगा
- पारदर्शिता व सिस्टम से काम करने के साथ ही अफसरों पर पकड़ बरकरार रखनी जरूरी
- जाट व दलितोंं को साधने के लिए अभी से करनी होगी मशक्कत
- अपने परंपरागत गैर जाट मतदाताओं को भी खुश रखना किसी चुनौती से कम नहीं
- भाजपा कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना होगा
- निर्दलीय विधायकों को रखना होगा खुश
- संगठन व सत्ता के बीच की दूरी को खत्म करने को देनी होगी प्राथमिकता
मोदी-शाह के आशीर्वाद के कारण चित्त होते रहे मनोहर के विरोधी
यह मनोहर लाल की राजनीतिक काबिलियत का ही नतीजा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें रोहतक की विजय संकल्प रैली में अपना नाम (नमोहर) तक दिया। मोदी और मनोहर दोनों संगठन के व्यक्ति हैं। 2014 में जब सीएम पद की लाबिंग हो रही थी, तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि करनाल से पहली बार में ही विधायक चुने जाने वाले मनोहर लाल इस लाबिंग में सबसे उस्ताद साबित होंगे। 2019 के चुनाव में हालांकि नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं आए, लेकिन उनके विरोधियों ने फिर मनोहर लाल के खिलाफ लाबिंग की। अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने जब दिल्ली भाजपा मुख्यालय में मनोहर लाल को दोबारा सीएम बनाने का एलान किया तो उनके विरोधी चित्त हो गए।
काम करने की शैली ने पहुंचाया फलक पर
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हाईकमान का अजीज बनने के पीछे उनकी कार्यशैली का अहम योगदान रहा है। मनोहर लाल ने अपने पांच साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार को आसपास भी फटकने नहीं दिया। तबादलों में पारदर्शिता कर ट्रांसफर उद्योग बंद कर दिया। पर्ची और खर्ची का सिस्टम बंद होने से नाई, धोबी, लुहार, मजदूर और रिक्शा वालों के बच्चे सरकारी नौकरियों में आना शुरू हो गए। चेंज आफ लैंड यूज (सीएलयू) की पावर सीएम ने निदेशक को सौंप दी। यही वह दौर था, जिसमें मनोहर लाल हरियाणा के लोगों की पसंद बन गए, जो उन्हें 2019 के दूसरे कार्यकाल में भी बरकरार रखने की जरूरत है।
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