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जल संकट से उबरने के लिए सरकार का बड़ा फैसला, धान की खेती छोड़ने वालोंं को मिलेगी सब्सिडी

मनोहर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार अब उन किसानों को प्रोत्साहन के रूप में सब्सिडी प्रदान करेगी जो धान की खेती छोड़कर मक्का और अरहर की खेती करेंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 05:27 PM (IST)Updated: Tue, 21 May 2019 05:29 PM (IST)
जल संकट से उबरने के लिए सरकार का बड़ा फैसला, धान की खेती छोड़ने वालोंं को मिलेगी सब्सिडी
जल संकट से उबरने के लिए सरकार का बड़ा फैसला, धान की खेती छोड़ने वालोंं को मिलेगी सब्सिडी

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा को जल संकट से उबारने की दिशा में मनोहर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार अब उन किसानों को प्रोत्साहन के रूप में सब्सिडी प्रदान करेगी जो धान की खेती छोड़कर मक्का और अरहर की खेती करेंगे। ऐसे किसानों को चार से साढ़े चार हजार रुपये प्रति एकड़ तक प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। इसमें नगद प्रोत्साहन, बीज और किसानों की फसल का बीमा प्रीमियम शामिल है।

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हरियाणा में हर साल धान का रकबा और उत्पादन बढ़ रहा है। वर्ष 2014 में 12 लाख 77 हजार हेक्टेयर जमीन में 39 लाख 89 हजार टन धान का उत्पादन होता था। वर्ष 2018 में 14 लाख 47 हजार हेक्टेयर जमीन में 45 लाख 16 हजार टन धान का उत्पादन हुआ। एक किलो चावल उत्पादन में तीन से पांच हजार लीटर पानी की जरूरत होती है। धान की अधिक फसल के चलते राज्य में औसतन भूजल स्तर सवा दो मीटर तक नीचे चला गया है।सबसे भयावह स्थिति फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र और पानीपत जिलों में है, जहां जल स्तर साढ़े चार से सवा छह मीटर तक नीचे जा चुका है। अत्याधिक जल दोहन के चलते राज्य के नौ जिले डार्क जोन में शामिल हो गए।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गिरते भूजल स्तर पर चिंता जताते हुए किसानों को फसल विविधिकरण की तरफ मोड़ने की अति महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले चरण में यह योजना सात जिलों के सात ब्लाक में लागू होगी। इनमें करनाल जिले का असंध ब्लाक, कैथल का पूंडरी, जींद का नरवाना, कुरुक्षेत्र का थानेसर, अंबाला जिले का अंबाला वन, यमुनानगर का रादौर और सोनीपत जिले का गन्नौर ब्लाक शामिल है। इन सातों ब्लाक में एक लाख पांच हजार 357 हेक्टेयर धान की खेती होती है। इसमें 50 हजार हेक्टेयर धान के रकबे में कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चुनाव आयोग से अनुमति हासिल करने के बाद मीडिया कर्मियों को बताया कि वर्ष 2018 की गिरदावरी रिपोर्ट को आधार मानकर इस बार जो भी किसान धान की फसल नहीं बोएंगे, उन्हें दो हजार रुपये प्रति एकड़ का नगद प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके लिए 27 मई से आरंभ होने वाले वेब पोर्टल पर किसानों को पंजीकरण करना होगा।।

पंजीकरण के साथ ही 200 रुपये किसानों के खाते में आ जाएंगे। 1800 रुपये बाद में मिलेंगे। ऐसे किसानों को मक्का और अरहर का हाइब्रिड मुफ्त मिलेगा, जिसकी कीमत 1200 से दो हजार रुपये होगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों के हिस्से की दो फीसदी बीमा प्रीमियम राशि भी राज्य सरकार अपनी तरफ से जमा कराएगी, जो 766 रुपये प्रति एकड़ होगी।

मक्के व अरहर की खरीद की गारंटी लेगी सरकार

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अनुसार धान की फसल छोड़कर मक्का और अरहर बोने वाले किसानों की फसल की खरीद की गारंटी राज्य सरकार लेगी। यदि किसानों को मार्केट में अधिक रेट मिलेगा तो वह अपनी फसल खुले बाजार में बेच सकता है अन्यथा राज्य सरकार घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर यह फसलें खरीदेगी। पौध केे बजाय धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों को केंद्र सरकार की योजना के तहत पांच हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी देने का प्रावधान है। यदि किसान इस योजना को अपनाएंगे तो उन्हें राज्य सरकार की योजना का लाभ नहीं मिलेगा। राज्य में सिर्फ 22 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है।

धान से मोह छूटने पर पराली से निजात, गेहूं की पैदावार बढ़ेगी

हरियाणा में धान की फसल के प्रति मोह छुटने के बाद सरकार और किसानों को कई फायदे होंगे। फिलहाल खेतों में पराली के अवशेष जलाने की बड़ी समस्या है। इससे हरियाणा और दिल्ली के बीच लगातार तनातनी बनी रहती है। मक्के व अरहर की खेती के बाद जहां पराली की समस्या खत्म होगी, वहीं जल्दी खेत खाली होने के कारण गेहूं की फसल भी जल्दी बोई जाएगी, जिससे उत्पादन में दस फीसदी तक बढ़ोतरी होने की संभावना है। मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि सोनीपत का अटेरना व मनौली गांव ऐसे हैं, जो पूरी तरह से मक्के की फसल पर आ गए।

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