Rajya Sabha Elections: राज्यसभा चुनाव में 'खेला' करने की तैयारी में मनोहर-धनखड़ की जोड़ी, पढ़ें कैसे होती चुनाव की प्रक्रिया और गिनती
हरियाणा में दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं। इन दोनों सीटों पर भाजपा की निगाह है। हालांकि संख्या बल के आधार पर एक सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है लेकिन भाजपा की निगाह कांग्रेस के नाराज विधायकों पर है।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा की दोनों राज्यसभा सीटों पर सत्तारूढ़ दल भाजपा की निगाह है। विधायकों के संख्या बल के हिसाब से एक सीट भाजपा-जजपा गठबंधन तो दूसरी सीट कांग्रेस के खाते में आती है, लेकिन भाजपा की योजना दोनों सीटों पर दांव खेलने की है।
इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ रणनीति बनाने में जुटे हैं। कांग्रेस से नाराज चल रहे आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्नोई समेत कुछ और विधायकों को यदि भाजपा अपने रंग में रंगने में कामयाब हो जाती है तो राज्यसभा की दोनों सीटों पर उसकी मजबूत दावेदारी बन सकती है।
हरियाणा विधानसभा में विधायकों की संख्या 90 है, जबकि यहां से पांच राज्यसभा सदस्य चुनकर जाते हैं। फिलहाल दो सदस्यों भाजपा के दुष्यंत कुमार गौतम और भाजपा समर्थित निर्दलीय सांसद सुभाष चंद्रा का कार्यकाल पूरा हो रहा है।
इन दोनों के स्थान पर नS चुनाव होने हैं, जबकि तीन राज्यसभा सदस्यों कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा, भाजपा के डीपी वत्स और भाजपा के ही रामचंद्र जांगड़ा का कार्यकाल अभी बाकी है। राज्यसभा में हर राज्य का कोटा फिक्स है। इनमें से एक-तिहाई सीटों पर हर दो साल में चुनाव होते हैं। पूरे देश में सबसे अधिक 31 राज्यसभा सीटें उत्तर प्रदेश में हैं।
लोकसभा सांसद चुनने के लिए जनता सीधे वोट डालती है, मगर राज्यसभा सदस्य का चुनाव डायरेक्ट नहीं होता। इसमें सिर्फ विधायक वोट डालते हैं। राज्यसभा में कुल 238 सदस्य चुने जाते हैं, जबकि राष्ट्रपति अधिकतम 12 सदस्य नामिनेट कर सकते हैं। इनमें से हर दो साल में एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल खत्म होता है, इसलिए उतनी सीटों के लिए चुनाव होते हैं। हरियाणा में दो सीटों पर चुनाव होने हैं। राज्यसभा के चुनाव की प्रक्रिया लोकसभा और विधानसभा चुनावों से अलग है, इसके सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है।
भाजपा की जयपुर में चल रही राष्टीय परिषद की बैठक में पार्टी ने राज्यसभा चुनाव पर मंथन किया है। हरियाणा प्रभारी विनोद तावड़े, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और प्रांतीय संगठन महामंत्री रवींद्र राजू इस बैठक में हरियाणा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम की सिफारिश करने में ओमप्रकाश धनखड़ और मनोहर लाल की अहम भूमिका रहने वाली है। धनखड़ तो यहां तक संकेत दे चुके हैं कि तमाम तरह के समीकरण को ध्यान में रखते हुए हाईकमान के पास प्रत्याशियों के नाम का पैनल भेजा जाएगा, जबकि मनोहर लाल ने शुक्रवार को कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई को अपना मित्र बताते हुए कहा कि ऐसे मित्र बहुत से हैं।
संख्या बल और तमाम समीकरण के आधार पर भाजपा तय करेगी कि वह एक ही सीट पर चुनाव लड़े अथवा दोनों पर अपनी दावेदारी ठोंके। बता दें, पिछली बार हुए चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का वोट खराब हो गया था, जबकि उनके समर्थक कांग्रेस विधायकों के पेन की स्याही बदल गई थी, जिस कारण इनेलो व कांग्रेस के साझा उम्मीदवार आरके आनंद चुनाव हार गए थे और भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा चुनाव जीत गए थे। इस बारे के चुनाव में धनखड़ और मनोहर लाल की जो़ड़ी कोई न कोई गुल खिलाने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देगी।
ऐसे होती है राज्यसभा के लिए वोटों की गिनती
राज्यसभा चुनाव में हर राज्य के विधायकों की संख्या के आधार पर जीत होती है। राज्यों की कुल विधानसभा सीटों के आधार पर यह तय किया जाता है कि जीतने के लिए कितने वोट की आवश्यकता होगी। उदाहरण के तौर पर हरियाणा में कुल 90 विधायक हैं और अगर यहां 2 सीटों पर राज्यसभा चुनाव है तो कुल 90 सीटों में चुनाव होने वाले सदस्यों की संख्या में एक जोड़कर यानि 2 में एक जोड़कर भाग देते हैं।
इसका मतलब 90 भाग 3 और उसके बाद उसमें एक जोड़ दिया जाता है, यानि जीत के लिए 31 वोट आवश्यक है। विधायक को अपनी वोट में बताना होता है कि उम्मीदवारों में पहली पसंद कौन है और फिर दूसरी और तीसरी पसंद कौन है। राज्य में भाजपा के 40 विधायक हैं, जिसे 10 जजपा, छह निर्दलीय, एक हलोपा विधायक का समर्थन प्राप्त है। एक निर्दलीय विधायक बागी है। एक इनेलो विधायक है और कांग्रेस विधायकों की संख्या 31 है।