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धान की खेती पर यूटर्न का बड़ा कारण, कोरोना संकट में विपक्ष से टकराव नहीं चाहती मनाेहर सरकार

हरियाणा की मनोहरलाल सरकार कोरोना संकट के समय विपक्ष से कोई टकराव नहीं चाहती है। यही कारण है कि धान की खेती पर राेक को लेकर उसने यूटर्न लिया। वह विपक्ष को काेई मुद्दा नहीं चाहती।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 04:55 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 04:55 PM (IST)
धान की खेती पर यूटर्न का बड़ा कारण, कोरोना संकट में विपक्ष से टकराव नहीं चाहती मनाेहर सरकार
धान की खेती पर यूटर्न का बड़ा कारण, कोरोना संकट में विपक्ष से टकराव नहीं चाहती मनाेहर सरकार

नई दिल्ली/चंडीगढ़, जेएनएन। मनोहर लाल सरकार कोरोना संकट के समय विपक्ष के साथ किसी तरह का टकराव नहीं चाहती है और न ही वह उसे कोई मुद्दा देना चाहती है। यही कारण है कि उसने मेरा पानी, मेरी विरासत अभियान और धान की खेती पर राेक के मुद्दे पर यूटर्न लिया है। बताया जाता है कि सरकार पहले इस राेक को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार थी, लेकिन फिलहाल संकटकाल में उसने कदम पीछे खींचना उचित समझा।  

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विपक्ष के विरोध के कारण भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने कदम वापस खींचे

बता दें कि कांग्रेस ने इसको लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली थी। सरकार में सहयोगी जननायक जनता पार्टी (JJP) के कुछ विधायकों ने भी धान की खेती पर रोक का विरोध किया था। इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और इसके नेता अभय चौटाला ने भी इस राेक का विराेध किया था।

जजपा के कुछ विधायकों के विरोध से भी सरकार ने बदला फैसला

बताया जाता है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के इस फैसले को भाजपा के प्रमुख किसान नेताओं का समर्थन मिलने लगा था। पहले तो सरकार इस मुद्दे पर पढ़े-लिखे पंचायत प्रतिनिधियों की नीति की तरह इस अभियान को भी लागू करने के लिए सरकार राजनीतिक या कानूनी लड़ाई लडऩे को तैयार थी। लेकिन, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कांग्रेस के विरोध और सहयोगी दल जजपा से मिले संकेतों के आधार पर इसके लिए और तैयारी करने का मन बना लिया

मेरा पानी, मेरी विरासत अभियान के तहत राज्य सरकार ने धान उत्पादक किसानों से अपील की थी कि वे उन क्षेत्रों में धान की खेती न करें जहां भूजल स्तर 40 मीटर तक पहुंच गया है। धान की खेती की जगह सरकार ने मक्का, ज्वार और गन्ने,दाल आदि की फसल के लिए किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन देने की भी बात कही थी। 

आठ जिलों के आठ ब्लाक में सरकार ने पानी बचाने की थी मंशा

दरअसल, उत्तर हरियाणा के आठ जिलों के आठ ब्लाक में सरकार ने पानी बचाने की मंशा से धान की खेती पर रोक लगाने के आदेश जारी किए थे। ऐसा करने वाले किसानों को फसल विविधिकरण के तहत साढ़े सात हजार रुपये प्रति एकड़ देने का प्रावधान था। इसके बाद विरोध के चलते सरकार ने अब किसानों के धान उगाने के फैसले को स्वैच्छिक कर दिया है। अब अपनी मर्जी से किसान धान की खेती कर सकेंगे। पंचायती जमीन पर धान नहीं बोने का फैसला जस का तस रहेगा।

हरियाणा सरकार के धान की फसल नहीं बोने संबंधी फैसले पर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा, कांग्रेस नेता किरण चौधरी और इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने सवाल उठाए तो सरकार को पूरे मामले में स्थिति साफ करनी पड़ी। पहले कृषि मंत्री जेपी दलाल ने सफाई दी। बाद में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक के बाद कहा कि धान नहीं बोने का फैसले का कोई नोटिफिकेशन नहीं निकाला गया है। यह मात्र एक एडवाइजरी है। धान न बोने के लिए किसानों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। यह एक स्वैच्छिक फैसला है। किसान यदि अपील को मानते हैं तो इसमें उन्हीं का फायदा है और जल का बचाव हो सकेगा।

बता दें कि धान की खेती पर रोक लगाने संबंधी फैसले से भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल समेत कुछ सांसद और विधायक लक्ष्मण नापा समेत कुछ अन्य एमएलए भी खुश नहीं थे। जननायक जनता पार्टी के विधायक ईश्वर सिंह और रामकरण काला ने भी सरकार के इस फैसले पर अंगुली उठाई थी। रणदीप सुरजेवाला व सैलजा जहां मिलकर धरने दे रहे हैं, वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 1 जून से फील्ड में उतरने का ऐलान किया था। भाकियू नेता गुरनाम चढूनी, कांग्रेस नेता किरण चौधरी, अशोक अरोड़ा और कुलदीप बिश्नोई भी सरकार के फैसले का विरोध कर रहे थे।

सीएम बोले- मेरा पानी मेरी योजना जल के संकट को ध्यान में रखकर बनाई

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि मेरा पानी मेरी योजना जल के संकट को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। किसान हमारे भाई हैं। यह सरकार किसान हितैषी है। ऐसी योजना की हर वर्ष चर्चा होती थी। हमने किसानों से अपील की है कि जहां पीने का पानी 40 मीटर नीचे चला गया है, वहां किसान धान बोने से परहेज करें। पहले हमने 50 फीसदी किसानों को धान न बोने को कहा था, लेकिन बाद में जिनके पास दो एकड़ जमीन है, उनको राहत दी गई। छोटे किसानों को भी छूट दी, जहां खेत में जलभराव रहता है, उन किसानों को छूट दी गई। बाढग़्रस्त एरिया में पानी का लेवल ऊंचा उठाने का प्रयास सरकार कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की एक भी एकड़ भूमि खाली नहीं छोडऩे दी जाएगी। इसका मैं भरोसा दिलाता हूं। किसानों को वैकल्पिक फसल बोने के लिए उनको सब्सिडी के रूप में सहायता दी जाएगी। साथ ही सरकार किसानों की फसल का बीमा करवाएगी। उनकी फसल खरीद भी सुनिश्चित की जाएगी। अगर धान के अलावा कोई फसल नहीं बोई जाती तो उसमें भी किसानों से बैठकर बातचीत करेंगे कि पानी बचाकर कैसे धान बोया जा सकता है।

मनोहर लाल ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि एक एरिया में अगर यह लोग राजनीति करने पहुंच जाएंगे। इसका मतलब यह नहीं कि सारे किसान नाराज हैं। मेरी कई किसानों से बातचीत हुई है। काफी किसानों ने अपनी इच्छा से धान न बोने का फैसला लिया है। कांग्रेस केवल राजनीति करने की दृष्टि से यह मुद्दा उठा रही है।

एक माह में केवल 3110 किसानों ने कराया पंजीकरण

मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत एक माह के भीतर महज तीन हजार किसानों ने ही वैकल्पिक फसलों के लिए पंजीकरण करवाया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा 6 मई को शुरू की गई इस योजना में किसानों को मक्का, अरहर, उड़द, ज्वार, बाजरा, तिल व कपास की बिजाई के लिए प्रेरित किया गया है। सरकार ने रतिया, गुहला, सिवान, बबैन, शाहबाद, इस्माइलाबाद, पिपली व सिरसा समेत आठ ब्लाकों का चयन कर इनमें धान की रोपाई पर रोक लगाई है। जिन 3110 किसानों ने वैकल्पिक फसलों के लिए पंजीकरण करवाया है, उनमें 788 किसानों ने मक्का, 56 किसानों ने बाजरा, 2117 किसानों ने कपास तथा 149 किसानों ने दालों की पैदावार के लिए पंजीकरण करवाया है। अन्य किसान पहले की तरह धान की पैदावार को तरजीह दे रहे हैं।

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