मैडम जी! बापूधाम की चार बहनें सरेआम सैंकड़ों युवाओं को बेचती हैं नशा
एक शख्स ने चार बहनों पर शहर में सैंकड़ों युवाओं को नशा बेचकर अकूत पैसा कमाने की बात कही है। अन्य व्यक्ति ने भी नशा फैलाने वाले दिल्ली के नाइजीरियन गिरोह का खुलासा किया है।
जेएनएन, पंचकूला। मैडम जी, बापूधाम कॉलोनी सेक्टर-26 चंडीगढ़ की चार बहनें हैं, जोकि लोगों को नशा सप्लाई करती हैं और खुलेआम उनकी दुकानदारी चल रही है। चारों रोजाना सैकड़ों युवाओं को नशा बेचकर काफी पैसा कमा रही हैं। इनके बारे में पुलिस को भी पता है। यह बात नागरिक अस्पताल सेक्टर-6 में भर्ती एक नशे के आदी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव निधि बंसल से कही।
बंसल बुधवार को नशा मुक्ति केंद्र और मनोरोग वार्ड नागरिक अस्पताल सेक्टर-6 में औचक निरीक्षण के लिए पहुंचीं थी। इस मरीज ने बताया कि वह हेरोइन का आदी है। पेशे से पेंटर है। नशे के इंजेक्शन भी लेता है, जोकि 200 रुपये में मिल जाते हैं। ये इंजेक्शन वह ट्रांसजेंडर मंदिर बापूधाम कॉलोनी से खरीदता था। निरीक्षण के दौरान नशामुक्ति केंद्र के प्रभारी डॉ. राजीव त्रेहन, स्टाफ नर्स और दो अन्य नर्स भी उपस्थित थीं।इस वार्ड में इनडोर मरीज 20 से 46 वर्ष के बीच हैं, जिसमें 4 महिलाओं सहित 11 हैं। 1रोजाना भर्ती हो रहे दो से तीन नशेड़ी : डॉ. राजीव त्रेहन ने सीजेएम निधि बंसल को बताया कि केंद्र में आए रोगियों में ज्यादा पिंजौर, कालका के निवासी हैं। कम से कम दो से तीन मरीज रोजाना ओपीडी में आते हैं, जिन्हें पोस्त, भुक्की और अफीम की लत होती है। यहां मरीजों के रहने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता। सीजेएम निधि बंसल ने डॉ. त्रेहन से मरीजों का सही इलाज करने के लिए कहा और नशा सप्लायरों के बारे में पुलिस से भी बात करने की बात कही।
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दिल्ली में मेट्रो पिलर्स के पास बुलाकर हेरोइन देते हैं नाइजीरियन
निरीक्षण में एक अन्य 32 वर्ष के पुरुष ने खुलासा किया है कि वह पिछले 2 सालों से हेरोइन का आदी है। जोकि चंडीगढ़ के क्लब महाप्रबंधक के रूप में काम कर रहा था और उसकी मासिक आय 1 लाख रुपये के करीब थी। इस दौरान वह हेरोइन का आदी हो गया। जोकि अपनी आय का काफी बड़ा हिस्सा नशीली दवा एवं हेरोइन में खर्च करने लगा। तीन अन्य जगहों द्वारका, जनकपुरी और नई दिल्ली में नाइजीरियनों से हेरोइन खरीदता था। जिसका रेट 2500 प्रति ग्राम था, जोकि चंडीगढ़ में 6000 रुपये प्रति ग्राम बिकती है। आरोपी उन्हें नशीली दवा लेने के लिए मेट्रो पिलर के नजदीक से फोन करते थे। वह मूल रूप से एक बॉडी बिल्डर था और जिम जाता था। उसने सहनशक्ति बढ़ाने के लिए हेरोइन लेना शुरू किया था। धीरे-धीरे उसे लत पड़ गई, जिसके कारण जीवन नरक बन गया।
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कैथल में खुलेआम बिकता है नशा
कैथल से एक और मरीज ने बताया कि वह और उसके पिता प्रॉपर्टी डीलर का कारोबार चला रहे हैं। वह इस दौरान नशीले इंजेक्शनों का आदी हो गया। वह अपने दोस्त के साथ यह कैप्सूल लेता था। जोकि कैथल के प्रसिद्ध मेडिकल स्टोर पर मिलता है, जोकि बस स्टैंड के नजदीक है। उसने कहा कि इस केमिस्ट की रोजाना की आय कम से कम 5 से 6 लाख रुपये है। पुलिस और ड्रग विभाग को इसके बारे में पता है। कैथल में तीन और केमिस्ट की दुकानें हैं, जिन्होंने इस दवा पर बैन लगा रखा है। इस पर बंसल ने कहा कि वे पुलिस से बात करेंगी।
पिता की मौत के बाद बन गया शराबी
विश्वकर्मा कॉलोनी पिंजौर से एक और मरीज ने बताया कि वह पिछले 9 महीनों से हेरोइन का आदी है। उसने अपने अपने पिता की मृत्यु के बाद दोस्त के कहने पर ड्रग्स लेने शुरू कर दिया। 35 साल एक अन्य रोगी ने बताया कि वह शराब का आदी है। दिन में ढाई बोतल तक शराब पी जाता था। उसके दो बच्चे हैं और उसे पिछले एक सप्ताह पूर्व नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया है।
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