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... तो सरकार के पिंजरे में बंद तोते जैसी लोकायुक्त की हालत, सरकार बस सुनती है

हरियाणा में लोकायुक्‍त की हालत सरकार के पिंजरे में बंद तोता जैसा है। लोकायुक्‍त की रिपोर्ट पर कार्रवाई करना या न करना सरकार की मर्जी पर निर्भर है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 02 Jul 2018 11:18 AM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 09:02 PM (IST)
... तो सरकार के पिंजरे में बंद तोते जैसी लोकायुक्त की हालत, सरकार बस सुनती है
... तो सरकार के पिंजरे में बंद तोते जैसी लोकायुक्त की हालत, सरकार बस सुनती है

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में लोकायुक्त सरीखी संवैधानिक संस्था पिंजरे में कैद तोते के समान है। लोकायुक्त किसी भी केस में सिफारिश तो कर सकते हैं, लेकिन कार्रवाई का अधिकार उनके पास नहीं है। यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह लोकायुक्त की सिफारिश को अमल में लाए अथवा उसकी अनदेखी कर दे।

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लोकायुक्त की वार्षिक रिपोर्ट को गंभीरता से नहीं लेती सरकार

हरियाणा में पिछले 12 साल में न तो लोकायुक्त की रिपोर्ट को गंभीरता से लिया गया और न ही उनकी सिफारिशों पर कोई अमल हुआ। राज्य के नए लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्र्रवाल ने राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी को वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में लोकायुक्त के पावरफुल नहीं होने की पीड़ा का भी जिक्र है।

अधिकारी भी नहीं भेजते एक्शन टेकन रिपोर्ट, संवैधानिक संस्था बेबस

लोकायुक्त की सिफारिशों की अधिकारियों द्वारा अनदेखी करने का दर्द भी इस रिपोर्ट में छिपा है। लोकायुक्त की सिफारिश पर कार्रवाई कर अधिकारियों को तीन माह के भीतर एक्शन टेकन रिपोर्ट भेजनी होती है, मगर अधिकतर केस में ऐसा नहीं होता। लोकायुक्त को अधिक पावरफुल बनाने यानी सिफारिश की बजाय कार्रवाई के आदेश देने का अधिकार देने का सुझाव भी रिपोर्ट में है।

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रिपोर्ट में उन तमाम केस का जिक्र है, जिनकी सुनवाई लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्र्रवाल ने की है। अग्र्रवाल ने 19 जुलाई 2016 को लोकायुक्त का कार्यभार संभाला था। वर्ष 2016-17 के बाद यह उनकी दूसरी रिपोर्ट है, जो राज्यपाल को सौंपी गई है।

लगातार 12 साल से हो रही लोकायुक्त रिपोर्ट की अनदेखी

लोकायुक्त द्वारा पिछले 12 सालों से लगातार सरकार को अपने सुझाव और सिफारिशों के साथ वार्षिक रिपोर्ट भेजी जा रही है, लेकिन इन सिफारिशों पर सरकार ने क्या अमल किया, इसकी सूचना आज तक लोकायुक्त कार्यालय को नहीं दी गई है। लोकायुक्त कार्यालय की सिफारिशों व रिपोर्ट को कई-कई साल तक विधानसभा में नहीं रखे जाने का खुलासा आरटीआइ एक्टिविस्ट पीपी कपूर पहले ही कर चुके हैैं। कपूर द्वारा मांगी गई में पता चला कि वार्षिक रिपोर्ट पर सरकार की कार्रवाई की लोकायुक्त कार्यालय को आज तक कोई सूचना नहीं भेजी गई है।

वार्षिक बजट मात्र 2.21 करोड़, 70 पद स्वीकृत, 22 पर ही नियुक्तियां

हरियाणा में लोकायुक्त कार्यालय का वार्षिक बजट मात्र 2.21 करोड़ रुपये है। लोकायुक्त का मासिक वेतन कुल 2.16 लाख रूपये प्रति माह है। लोकायुक्त कार्यालय में पर्याप्त स्टाफ भी नहीं है, जिस कारण कामकाज पर असर पड़ रहा है। कार्यालय में कुल 70 पद स्वीकृत हैैं। इनमें से मात्र 22 पदों पर ही स्थायी नियुक्तियां की गई हैैं। 25 पद रिक्त चल रहे हैैं और 33 पदों पर ठेके पर अस्थायी कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है।


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