अध्यादेश के मुद्दे पर किसान संगठनों ने कमेटी के समक्ष रखे सुझाव
केंद्र सरकार के तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ बीते दिनों पिपली में रैली के दौरान किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद गठित भाजपा की कमेटी के सदस्यों ने रविवार को यहां पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में किसान और व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों से बातचीत की और उनके सुझावों को सुना।
जागरण संवाददाता, पंचकूला :
केंद्र सरकार के तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ बीते दिनों पिपली में रैली के दौरान किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद गठित भाजपा की कमेटी के सदस्यों ने रविवार को यहां पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में किसान और व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों से बातचीत की और उनके सुझावों को सुना। कमेटी में तीन लोकसभा सदस्य धर्मबीर सिंह, बृजेंद्र सिंह और नायब सिंह सैनी शामिल हैं। बैठक के बाद सांसद धर्मबीर सिंह ने बताया कि रोहतक, करनाल और पंचकूला में आयोजित बैठकों में किसान और व्यापारी संगठनों की ओर से करीब चार दर्जन सुझाव आए हैं। कमेटी अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को जल्द सौंपेगी। 16 सितंबर से पहले किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को साथ लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री से भी मिलने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। उनके सामने किसानों से मिले सुझावों को प्रमुखता से रखा जाएगा। कमेटी ने करीब तीन घंटे तक पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में किसान व व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों के विचार जाने।
बैठक के बाद धर्मबीर ने बताया कि तीन स्थानों पर हुई बैठकों में करीब चार दर्जन सुझाव प्राप्त हुए हैं। किसान प्रतिनिधियों ने तीन कृषि अध्यादेशों के अलावा अनेक ऐसी समस्याओं को उनके सम्मुख रखा, जिनका उन्हें भ्रष्टाचार के चलते आए रोज सामना करना पड़ रहा है। किसान व व्यापारिक संगठन चाहते हैं कि मंडियां खत्म न हो, वे खुद भी इस बात के पक्षधर हैं कि मंडियां बनी रहनी चाहिए। दूसरे प्रमुख सुझाव एमएसपी को लेकर था। किसान संगठनों ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बना रहना चाहिये, कमेटी भी इसके पक्ष में है। एक सुझाव यह भी आया कि किसानों से जो भी कंपनी खरीद कर उसका पंजीकरण होना चाहिए। किसानों को फसल के भुगतान को लेकर दो तरह के सुझाव आये। कुछ चाहते हैं कि भुगतान सीधा किसानों के खाते में जाये तो कुछ आढ़तियों के माध्यम से भुगतान के पक्षधर हैं। किसानों को मिलनी चाहिए खुली बाजार व्यवस्था : भाकियू
बैठक के बाद भाकियू के गुणी प्रकाश ने कहा कि किसानों को खुली बाजार व्यवस्था मिलनी चाहिए। किसान आज आढ़तियों का बंधक है। किसान को कहीं भी फसल बेचने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने जरूरी वस्तु अधिनियम को काला कानून करार दिया। सोनीपत सब्जी मंडी प्रधान ललित ने कहा कि दो प्रतिशत की मार्केट फीस को खत्म किया जाए, इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है और सब्जी उत्पादों की मंडी परिसर में ही बिक्री हो। किसान नेताओं ने कहा कि यह रैली प्रायोजित थी, किसान को राजनेता और आढ़तियों ने बहाकर लेकर आये। किसानों का राजनैतिक इस्तेमाल भाजपा, चौ. देवी लाल, बंसी लाल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी किया। इस अध्यादेश में आढ़तियों और तथाकथित किसानों से कोई समझौता कर लिया, तो भारतीय किसान यूनियन इसके विरोध हैं। हम सी टू पर 50 प्रतिशत कीमत लागू की जाए। आढ़ती एवं अन्य संगठन इस मामले को कहीं ओर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। इन अध्यादेशों में किसानों का हित होगा। किसानों का कोई नुकसान नहीं होगा। लाठीचार्ज के बाद कमेटी का गठन करना महज दिखावा
उधर, भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने कहा कि लाठीचार्ज की घटना से ध्यान हटाने के लिये गठित की गई कमेटी मात्र दिखावा है। इसका गठन संवैधानिक तरीके से नहीं किया गया है। कमेटी के पास किसी प्रकार का अधिकार नहीं है। भाजपा वास्तव में किसानों की हमदर्द है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद व समय पर भुगतान का कानून बनाना चाहिए, जो एमएसपी से नीचे खरीद करे उस पर दंड का प्रावधान सुनिश्चित किया जाना चाहिए।