'अपना घर' के मासूमों के गुनहगारों को मिली सजा, जसवंती सहित तीन को उम्रकैद
'अपना घर' मामले में अदालत ने दोषी करार लोगों को आज सजा सुना दी। मामले की मुख्य आरोपित अपना घर की संचालिया जसवंती सहित तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
जेएनएन, पंचकूला। सीबीआइ कोर्ट ने राेहतक के अपना घर मामले में मासूम लड़कियों के गुनहागारों को सला सुना दी है। कोर्ट ने जय भगवान, सतीश और जसवंती को उम्रकैद की सजा सुनाई है। जसवंत को सात साल कैद की सजा सुनाई गई है। इस मामले में नौ अारोपियों को 18 अप्रैल को दोषी करार दिया गया था।
मई 2012 तक रोहतक के अपना घर में दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, अनैतिक तस्करी, छेड़छाड़, और क्रूरता की शिकार बच्चियों व युवतियों को छह साल बाद नौ को दोषी करार दिया था। पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ अदालत के जज जगदीप सिंह ने 18 अप्रैल को अपना घर की संचालिका जसवंती देवी सहित नौ लोगों को दोषी करार दिया था। दोषियों की सजा पर आज फैसला 24 अप्रैल को होना था, लेकिन उस दिन फैसला टल गया।
दोषियों में जसवंती के अलावा उसका भाई जसवंत, बेटी सुषमा ऊर्फ सिम्मी, दामाद जय भगवान, चचेरी बहन शीला, सहेली रोशनी, ड्राइवर सतीश, कर्मचारी रामप्रकाश सैनी, काउंसलर वीना शामिल हैं। इस केस में रोहतक की पूर्व बाल विकास परियोजना अधिकारी अंग्रेज कौर हुड्डा को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की एक टीम ने तीन युवतियों के खुलासे के बाद 9 मई 2012 को रोहतक के अपना घर में छापा मारा था। जहां से लगभग 103 बच्चियों और युवतियों को मुक्त करवाकर पुलिस में केस दर्ज करवाया था। पूछताछ में बच्चियों एवं युवतियों ने बताया कि उनके साथ शारीरिक और मानसिक शोषण के अलावा कथित रूप से यौन शोषण, बंधुआ मजदूरी भी करवाई जाती थी।
जून 2012 को ही मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई और अगस्त 2012 को चालान में सीबीआइ ने जसवंती देवी को मामले का मुख्य आरोपित बनाया था। ट्रायल के दौरान आरोपितों पर दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, अनैतिक तस्करी, चोट, गंभीर चोट, छेड़छाड़, महिला की सहमति के बिना गर्भपात, अवैध अनिवार्य श्रम और बच्चों के साथ क्रूरता पर दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी थी। इस मामले में अंतिम बहस 14 फरवरी से शुरू हुई थी।
मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के 122 गवाहों की गवाही करवाई गई। इस मामले में 10-12 बच्चियों एवं युवतियों की गवाही महत्वपूर्ण थी, क्योंकि उनमें से कुछ ने मुख्य आरोपित की पहचान की थी और अपना घर में अपने प्रवास के दौरान के अनुभवों को बताया था। इस केस में बाद में जय भगवान और सतीश पर सामूहिक दुष्कर्म की धाराएं जोड़ी गई थी।
जब भी पीडि़त बच्चियां एवं युवतियां अपनी गवाही देने आती थी, तो आरोपितों को देखकर कांप उठती थीं। लेकिन, उन्होंने हौसला रखकर अदालत मेें अपने साथ घिनौनी हरकतें करने वाले जयभगवान एवं सतीश की शिनाख्त भी की थी और उनके कुकृत्यों को पोल भी खोली थी। साथ ही संचालिका जसवंती देवी एवं उसके साथियों की क्रूरता बारे में गवाहियां दीं।
जगदीप सिंह ने ही सुनाई थी डेरा प्रमुख को सजा
सीबीआइ के विशेष न्यायधीश जगदीप सिंह ने इससे पहले 25 अगस्त 2017 को डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दो साध्वियों से दुष्कर्म मामले में दोषी करार देने के बाद 28 अगस्त 2017 को 20 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद सरकार द्वारा जगदीप सिंह को विशेष सुरक्षा मुहैया करवाई गई थी।
टाइमलाइन
- 9 मई 2012 : एनसीपीसीआर ने सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त रोहतक के अपना घर में छापे मारे थे और 100 से ज्यादा बच्चियों और युवतियों को छुड़वाया था। इसके बाद अपना घर की प्रमुख जसवंती और उनके रिश्तेदारों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
- 8 जून 2012 : हरियाणा सरकार ने अपना घर को सील कर दिया और एक सप्ताह बाद सीबीआइ को जांच सौंप दी थी।
- 7 अगस्त 2012 : सीबीआइ ने पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ अदालत में 10 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया
- 23 सितंबर 2014 : सीबीआइ अदालत ने सभी अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए और ट्रायल शुरू हुआ।
- 14 फरवरी 2018 : गवाहियां पूरी हो गई और अंतिम बहस शुरू हुई
- 10 अप्रैल : अंतिम बहस पूरी हो गई।
- 18 अप्रैल : सीबीआइ अदालत ने 9 आरोपितों को दोषी करार दिया।
- 24 अप्रैल : सजा पर फैसला टला। अब फैसला 27 अप्रैल को।
अपना घर के बच्चियों को डांस पार्टी में भेजती थी जसवंती
रोहतक के 'अपना घर' मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ अदालत में लगभग 6 साल तक चले ट्रायल के दौरान गवाहों के बयानों ने सभी को स्तब्ध कर दिया। सभी बच्चे जसवंती देवी, उसकी बेटी सिम्मी व दामाद की हरकतों से बहुत तंग थे। अनाथालय में रहने वाली 17 वर्षीय किशोरी ने गवाही में कहा था कि जसवंती का ड्राइवर सतीश उन्हें डांस पार्टियों में लेकर जाता था और वहां से पैसे लेकर लाता था।
एक छोटे बच्चे ने गवाही में बताया था कि जयभगवान ने उसे शराब पिलाई थी। जसवंती देवी सभी बच्चों की पिटाई भी करती थी। दो अन्य लड़कियों ने बताया था कि जयभगवान अनाथालय में रहने वाली लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करता था। वह उन्हें कहीं ले जाता, जहां उनसे छेड़छाड़ की जाती थी।
कुछ लड़कियों ने गवाही में जसवंती देवी और सिम्मी पर उनकी अश्लील वीडियो बनाने का आरोप भी लगाया था। जसवंती का भाई जसवंत उन्हें खेतों में ले जाता था और वहां छेड़छाड़ करता था। इन्होंने कुछ पुलिस के अधिकारियों पर भी आरोप लगाए थे, लेकिन किसी पुलिस वाले का नाम सामने नहीं आया था।
डीएसपी को बताया था दुष्कर्म हुआ
हरियाणा पुलिस की विशेष जांच टीम के एक सदस्य सत्यादेवी ने क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान अभियोजन पक्ष का समर्थन करते हुए कहा था कि दो लड़कियों ने उसे बताया था कि अपना घर में उनका यौनशोषण हुआ है। जय भगवान और सतीश द्वारा दुष्कर्म भी किया गया था। डीएसपी सत्या ने अदालत में यह भी बताया था कि उन लड़कियों ने उसे वह कमरे भी दिखाए थे, जहां दो पीडि़तों में से एक ने दावा किया है कि यहां पर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था।
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इन लाेगों को सजा सुनाई गई
जसवंती - उम्रकैद
जय भगवान (जसवंती का दामाद) - उम्रकैद
सतीश -उम्रकैद
जसवंत - सात साल कैद
सुषमा उर्फ सिम्मी (जसवंती की बेटी)- अंडरगान इन प्रोबेशन
शीला (जसवंती की चचेरी बहन)- अंडरगान इन प्रोबेशन
रोशनी - अंडरगान इन प्रोवेशन
कर्मचारी रामप्रकाश सैनी - अंडरगान इन प्रोबेशन
काऊंसलर वीना - अंडरगान इने प्राेबेशन
(अंडर गान इन प्रोवेशन का मतलब है कि जितनी सजा काट ली उतनी ही है, लेकिन आप यदि आगे कोई ऐसी हरकत करेंगे तो आप को जेल भेजा जा सकता है।)