राम रहीम के वकील की दलील, मोक्ष के लिए खुद नपुंसक बने थे 400 साधु
400 साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में राम रहीम के वकील ने दलील दी कि राम रहीम ने किसी को भी नपुंसक बनने के लिए नहीं प्रेरित किया। साधु मोक्ष के लिए नपुंसक बने।
जेएनएन, पंचकूला। डेरा सच्चा सौदा सिरसा में 400 साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में पंचकूला स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में बचाव पक्ष ने धारा 326, 417 और 120बी हटाने की मांग की। बचाव पक्ष के वकील ने इस दौरान कई तर्क अदालत के समक्ष रखे।
बचाव पक्ष के वकील ध्रुव गुप्ता ने कहा कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने किसी को भी नपुंसक बनने के लिए नहीं प्रेरित किया। वैसे भी इसमें धारा 326 नहीं बनती, क्योंकि जिन लोगों को नपुंसक बनाने की बात कही जा रही है, उनके सर्जिकल ऑपरेशन हुए हैं। सेक्शन 326 खतरनाक हथियार का इस्तेमाल करने पर लगती है। अब 24 जुलाई को सीबीआइ की तरफ से आरोपों पर बहस की जाएगी।
ध्रुव गुप्ता की ओर से धारा 417 लगाए जाने का भी विरोध करते हुए कहा गया कि गुरमीत ने किसी के साथ धोखा नहीं किया है। इन साधुओं को मोक्ष प्राप्त करना था, इसलिए वे खुद नपुंसक बने। इसमें गुरमीत का कोई लाभ नहीं था। कोई भी इंसान धोखाधड़ी तभी करता है, जब उसका कोई लाभ हो। मोक्ष केवल मरने के बाद ही मिल सकता है, इसलिए धारा 417 भी नहीं बनती।
इसके अलावा 120बी पर गुरमीत के वकील और दोनों डॉक्टरों एमपी सिंह एवं पंकज गर्ग के वकीलों ने कहा कि आपराधिक षड्यंत्र की धारा कतई नहीं बनती। यह मान भी लिया जाए कि गुरमीत ने साधुओं को मोक्ष प्राप्ति के लिए नपुंसक हो जाने को कहा था, लेकिन इससे डॉक्टरों को क्या लाभ होना था।
डॉक्टरों को तो साधुओं ने कहा कि अंडकोश काट दिए जाएं, तो उन्होंने ऑपरेशन कर दिया। आपराधिक षड्यंत्र तभी बनता है, जब तीनों का उद्देश्य एक हो, इसलिए यह धारा भी हटाई जानी चाहिए। वकीलों ने कहा कि यदि गुरमीत ने सन् 2000 में मोक्ष की बात कही थी तो साधुओं ने सन 2012 में शिकायत क्यों की। उन्हें एक साल बाद जब मोक्ष नहीं मिला, तो उसी समय क्यों नहीं शिकायत की गई, इसलिए लगाए गए आरोप गलत हैं।
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