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बिल्‍डरों काे राहत, अरावली व शिवालि‍क की पहाडि़यों में अब पेड़ों की कटाई और भवन निर्माण संभव

हरियाणा विधानसभा में पंजाब भूमि परिरक्षण अधिनियम संशोधन विधेयक पारित हो गया। इससे अरावली व शिवालिक पहाडि़यों के क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई हो सकेगी और निर्माण कार्य हो सकेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 04:16 PM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2019 04:16 PM (IST)
बिल्‍डरों काे राहत, अरावली व शिवालि‍क की पहाडि़यों में अब पेड़ों की कटाई और भवन निर्माण संभव
बिल्‍डरों काे राहत, अरावली व शिवालि‍क की पहाडि़यों में अब पेड़ों की कटाई और भवन निर्माण संभव

चंडीगढ़, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में अब अरावली और शिवालिक की पहाडियों में पेड़ भी काटे जा सकेंगे और भवन निर्माण भी हो सकेंगे। इससे बिल्‍डरों को बड़ी राहत मिली है। हरियाणा विधानसभा में बुधवार को विपक्ष के विरोध के बावजूद पंजाब भूमि परिरक्षण अधिनियम-1900 में संशोधन किया गया और इस संबंध में संशोधन विधेयक-2019 को पारित कर दिया गया।

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हरियाणा विधानसभा में भूमि परिरक्षण अधिनियम संशोधन विधेयक पारित, विपक्ष का विरोध दरकिनार

इसके तहत अधिनियम की धारा, 2,3,4 और 5 में बदलाव किया गया है। इससे हरियाणा की अरावली और शिवालिक की पहाड़ियों से लगते क्षेत्रों में अब तक प्रतिबंधित निर्माण और पेड़ कटाई के रास्ते खुल जाएंगे। राज्य के वन मंत्री राव नरबीर सिंह ने विधानसभा में यह संशोधन विधेयक रखा। विधेयक का कांग्रेस और इनेलो के विधायकों ने पुरजोर विरोध किया, लेकिन इसे दरकिनार कर सत्‍ताधारी दल भाजपा ने इसे पारित करा लिया।

विधेयक का विरोध करते हुए इनेलो विधायक परमिंद्र सिंह ढुल ने कहा कि इससे अरावली की हरियाली नष्ट हो जाएगी। इससे रेगीस्तान की तरफ से आने वाली धूल भरी आंधियों से दिल्ली सहित गुरुग्राम, फरीदाबाद और नोएडा का बचाव करना मुश्किल हो जाएगा।

हरियाणा विधानसभा में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हु्ड्डा और करण दलाल।

कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी और विधायक करण सिंह दलाल ने भी विधेयक का विरोध किया। दोनों ने कहा कि मनोहरलाल सरकार इस विधेयक को लाने की मंशा स्पष्ट करे क्योंकि इससे खनन और बिल्डर माफिया बेलगाम हो जाएगा। आने वाली पीढ़ियां इस विधेयक के लिए मौजूदा सदन को कभी माफ नहीं कर पाएंगी।

कांग्रेस और इनेलो के विधायकों ने विधेयक को बताया पर्यावरण विरोधी, सीएम ने कहा समय की जरूरत

कांग्रेस और इनेलो विधायकों ने संयुक्त रूप से सदन में मांग की कि पर्यावरण संरक्षण अभियान के खिलाफ इस विधेयक को राज्य सरकार सदन में बहुमत के आधार पर पारित न कराए बल्कि पहले एक सर्वदलीय कमेटी में इसके गुण-दोष की समीक्षा की जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्‍होंने कहा कि इसमें निजी क्षेत्रों की जमीन अथवा संस्थानों की बजाए सिर्फ सार्वजनिक संस्थानों सहित मंजूर सरकारी विकास योजनाओं के तहत आरक्षित जमीन और वास्तविक कृषि योग्य जमीन को ही प्रतिबंध से अलग किया जा रहा है। पंजाब भू-परीरक्षण अधिनियम-1900 में संशोधन का यह विधेयक 1 नवंबर 1966 से लागू माना जाएगा। इसका अर्थ यह हुआ कि जब से हरियाणा बना है उस समय से अधिनियम में संशोधन का फायदा मिलेगा।

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राज्य के 14 जिलों पर था अधिनियम का आंशिक या पूर्ण असर: मनोहर लाल
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस संशोधन विधेयक के उद्देश्यों पर कहा कि राज्य के 22 में 14 जिलों पर पंजाब भू-परिरक्षण अधिनियम-1900 का पूर्ण या आंशिक असर है। उन्होंने बताया कि राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25 फीसद 10945 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र इसके दायरे में आ रहा था। इसमें गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, यमुनानगर, अंबाला, भिवानी, पलवल, नूंह सहित रोहतक जिला का आंशिक क्षेत्र प्रभावित हो रहा है।

सीएम ने कहा कि इसमें सिर्फ वास्तविक कृषि योग्य भूमि सहित आधारभूत ढांचागत सुविधाओं रेल, सड़क, नहर, सार्वजनिक संस्थाओं व सरकारी प्रतिष्ठान के अधीन भूमि शामिल है। पेड़ों की कटाई के पहले अलग से वृक्ष लगाने का प्रावधान अधिनियम में नहीं था मगर अब इसमें इसका प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद यदि किसी को इस संशोधन विधेयक पर कोई आपत्ति है तो 60दिन के अंदर-अंदर इसका विरोध संबंधित उपायुक्त को किया जा सकता है।
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प्रतिबंधित वन क्षेत्र के दायरे के प्‍लाअ आवंटियों को होगा फायदा
बेशक राज्य सरकार ने यह संशोधन विधेयक फरीदाबाद के कांत एन्क्लेव को राहत दिलाने के परिदृश्य में सदन में रखा मगर अब इसके प्रस्ताव से फरीदाबाद हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टर-21 सी पार्ट तीन सहित 44,45 और 46 के उन आवंटियों को भी राहत मिल गई। ये आवंटी प्लाट आवंटन के बावजूद प्रतिबंधित वन क्षेत्र के दायरे में आने के कारण रिहायशी सुविधा से वंचित थे।

इतना ही नहीं फरीदाबाद और गुरुग्राम सहित अन्य वन क्षेत्रों के तहत प्रतिबंधित मार्गों पर जमीन के भाव संशोधन विधेयक का प्रारूप तैयार करने के बाद से ही बढ़ने लगे हैं। मंदी के दौर में भी प्रतिबंधित वन क्षेत्र में जमकर खरीद-फरोख्त हो रही है। कानूनविद मान रहे हैं कि यह संशाेधन विधेयक न्यायिक समीक्षा के दायरे में आएगा और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से संशोधन विधेयक पर रोक लगेगी।


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