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शैलजा को मिली हरियाणा कांग्रेस की कमान, हुड्डा चुनाव कमेटी के प्रधान और विधायक दल के नेता

हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव हुए हैं। कुमारी शैलजा को हरियाणा कांग्रेस का प्रधान बनाया गया है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव कमेटी का प्रधान बनाया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 03:55 PM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 08:50 AM (IST)
शैलजा को मिली हरियाणा कांग्रेस की कमान, हुड्डा चुनाव कमेटी के प्रधान और विधायक दल के नेता
शैलजा को मिली हरियाणा कांग्रेस की कमान, हुड्डा चुनाव कमेटी के प्रधान और विधायक दल के नेता

नई दिल्ली/ चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव के किए गए हैा। राज्‍य कांग्रेस के अध्‍यक्ष डॉ. अशोक तंवर की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को हरियाणा कांग्रेस की कमान दी गई है। इसके साथ ही पार्टी आलाकमान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा विधानसभा चुनाव में चुनाव अभियान कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। हुड्डा किरण चौधरी की जगह कांग्रेस विधायक दल के प्रधान भी होंगे।

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यह घोषणा कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने की। आजाद ने कहा कि कुमारी शैलजा हरियाणा कांग्रेस की नई अध्‍यक्ष होंगी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव कमेटी के प्रधान और कांग्रेस विधायक दल के नेता होंगे। इसके साथ ही हुड्डा हरियाणा विधानसभा में नेता विपक्ष भी होंगे। इससे पहले बुधवार को दोपहर बाद हुड्डा की सोनिया गांधी के साथ बैठक हुई। यह बैठक करीब दो घंटे तक चली। इसके बाद हरियाणा कांग्रेस में बदलाव का ऐलान किया गया।

शैलजा बोलीं- मेरे कंधे पर आई बड़ी जिम्‍मेदारी, सभी नेताओं को मिलकर काम करना होगा


हरियाणा कांग्रेस का अध्‍यक्ष नियुक्‍त किए जाने के बाद कुमारी शैलजा ने कहा, यह बहुत बड़ी जिम्‍मेदारी है। मेरे कंधे पर पार्टी को राज्‍य में आगे बढ़ाने का बड़ा दायित्‍व है। पार्टी को खड़ा करने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। हम पार्टी की विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

हुड्डा बोले- पार्टी के फैसले का सम्‍मान करता हूं, सोनिया जी ने मुझे यह जिम्‍मेदारी दी है

पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी नियुक्ति पर खुशी जताई। पत्रकारों से बातचीत में हुड्डा ने कहा, पार्टी ने जो निर्णय किया है उसका मैं सम्‍मान करता हूं। मैं समझता हूं सोनिया जी ने मेरे ऊपर भरोसा जताया है और जिम्‍मेदारी दी है।


कांग्रेस के इस कदम से पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष अशोक तंवर को कड़ा झटका लगा है। हुड्डा खेमा किसी भी कीमत पर तंवर को हटाना चाहता था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसके लिए आलाकमान पर काफी समय से दबाव बना रहे थे। उन्‍होंने इसके लिए बागी तेवर भी दिखाए थे। इसके साथ ही बताया जा रहा है कि पार्टी में कुछ कार्यकारी अध्‍यक्ष भी हो सकते हैं। पार्टी के वरिष्‍ठ नेता कुलदीप बिश्‍नोई, अजय सिंह यादव और किरण चौधरी को भी अहम जिम्‍मेदारी दिए जाने की संभावना है।

जानकारी के अनुसार, हुड्डा और सोनिया गांधी की मुलाकात नई दिल्‍ली में दस जनपथ पर हुई। इस दौरान हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद सहित कई वरिष्‍ठ नेता भी मौजूद थे। बता दें कि कुमारी शैलजा कांग्रेस के राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व की करीबी मानी जाती हैं। पार्टी ने राजस्‍थान में विधानसभा चुनाव के दौरान उनको वहां की अहम जिम्‍मेदारी दी थी।

आजाद व वेणुगोपाल ने की घोषणा
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद तथा संगठन के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने नई दिल्ली में एक पत्रकार वार्ता के दौरान शैलजा व हुड्डा को नई जिम्मेदारी दिए जाने की घोषणा की। नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष शैलजा को सोनिया व राहुल गांधी का विश्वासपात्र माना जाता है। हुड्डा खेमा इसी बात से खुश है कि तंवर और किरण की छुट्टी हो गई।

सोनिया ने साफ कह दिया था हुड्डा नहीं होंगे प्रदेश अध्यक्ष
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ हुई बैठकों के दौर में हुड्डा को पहले ही कांग्रेस विधायक दल के नेता का विकल्प दिया गया था, लेकिन हुड्डा इस पर तैयार नहीं थे। बाद में सोनिया ने साफ कह दिया कि अनुसूचित जाति के स्थान पर अनुसूचित जाति का ही अध्यक्ष बनेगा। इस बात पर हुड्डा ने मंगलवार को अपने समर्थकों के साथ बैठक की, जिसमें उन्हें समझाया गया कि कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाने का यह समय कतई भी उपयुक्त नहीं है, जिसके बाद हुड्डा बदलाव के नए फॉर्मूले पर राजी हो गए।
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कांग्रेस हाईकमान ने बड़े ही सोच-समझकर फैसला लिया है। हुड्डा और सैलजा दोनों अनुभवी नेता हैं। बाकी नेताओं को साथ लेकर यह भाजपा का मुकाबला करेंगे। बाकी सब चीजें अतीत की हैं। अब हम भविष्य की बात करेंगे। आज हमने जो बदलाव किए हैं, उसके लिए दूसरे नेताओं से भी बात की। यह सही है कि विलंब हुआ, लेकिन हमें भविष्य पर देखना है। कांग्रेस एक बहुत बड़ी पार्टी है। इसमें हर नेता, व्यक्ति और कार्यकर्ता की अहम भूमिका है तथा उसकी तमाम क्षमताओं का पूरा प्रयोग होगा।
                                                                                 - गुलाम नबी आजाद, प्रभारी, हरियाणा कांग्रेस।
 

बता दें कि हरियाणा कांग्रेस में अशोक तंवर और हुड्डा खेमे में अरसे से घमासान मचा हुआ है। इसे समाप्‍त कराने के लिए पार्टी नेतृत्व द्वारा किए गए सभी प्रयास विफल रहे। हुड्डा चाहते थे कि तंवर को हटाकर उनको हरियाणा कांग्रेस की कमान दे दी जाए। कांग्रेस आलाकमान ने हुड्डा की मांग नहीं मानी तो उन्‍होंने बागी तेवर भी दिखाए और 18 अगस्‍त को राेहतक में महापरिवर्तन रैली की कांग्रेस से अलग राह अपनाने के भी संकेत दिए थे।

रैली में आगे की सियासी राह पर विचार करने के लिए हुड्डा ने कमेटी बनाने की घोषणा कर दी। इसके बाद भी आलाकमान ने तव्‍वजो नहीं दी तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 38 सदस्‍यीय कमेटी बना दी और कहा कि कमेटी जो तय करेगी वह उसी सियासी राह को अपनाएंगे। बाद में उनकी कमेटी की एक सदस्‍य शारदा राठौर भाजपा में शामिल हो गईं।

ज्यादातर समर्थकों ने कांग्रेस में ही रहने की हुड्डा को दी थी सलाह

इसके बाद हुड्डा ने मंगलवार को 37 सदस्यीय कमेटी में शामिल नेताओं की बैठक बुलाई और अपनी अगली रणनीति के लिए राय ली। बैठक में उनके ज्यादातर समर्थकों ने अलग पार्टी बनाने के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया और कांग्रेस में ही रहने की सलाह दी। हुड्डा के गढ़ रोहतक, सोनीपत और झज्जर के समर्थक नेताओं की राय छोड़ दें तो अन्य जिलों के नेताओं ने अलग पार्टी बनाने की रणनीति से अपने को अलग रखा। ज्यादातर नेताओं ने हुड्डा को कांग्रेस में रहकर ही हाईकमान के अनुसार संगठन मजबूत करके अपने राजनीतिक हित साधने का सुझाव दिया।

हुड्डा ने राज्य विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एचएस चड्ढा और कमेटी के संयोजक कांग्रेस विधायक उदयभान के साथ सभी नेताओं से अलग-अलग चर्चा की। बाद में पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा ने बताया कि कमेटी के सभी सदस्यों ने अंतिम फैसला पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर छोड़ दिया। बैठक के बाद पूर्व वित्त मंत्री संपत सिंह ने साफ तौर पर कहा कि राज्य में कांग्रेस की हालत काफी पतली है। अब कांग्रेस संगठन सिर्फ मरहम-पट्टी से मजबूत नहीं हो सकता। पांच साल तक राज्य में कांग्रेस की जिला और ब्लॉक स्तर पर इकाई नहीं रही है। ऐसे में बिना संगठन के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कोई खास करिश्मा नहीं कर पाएगी। इसलिए पार्टी हाईकमान को राज्य संगठन में बड़ा ऑपरेशन करना होगा।


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