क्वारंटाइन में बदली सैलजा की जीवनशैली, किताबों से सीख रहीं फाइनेंस व राजनीति के गुर
कोरोना के खिलाफ जंग में हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने खुद क्वारंटाइन पर हैं। इस दौरान उनका लादफ स्टाइल बदल गया है। वह किताबों से फाइनेंस व राजनीति के गुर जान रही हैं।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने काेरोना के खिलाफ जंग में खुद क्वारंटाइन पर हैं। इस दौरान उनकी जीवनशैली और रोजमर्रा की गतिविधियों में बदलवा आ गया है। वह घर में अकेली रह रही हैं और किसी बाहरी व्यक्ति से नहीं मिल रही हैं। इस दौरान उन्होंने किताबों को एकांत का साथी बना लिया है। वह इनके जरिये फाइनेंस और राजनीति के गुर व राज भी जानने की कोशिश कर रही हैं।
सैलजा के अनुसार, उनकी सोच है कि पद कोई ताज नहीं होता, यह जिम्मेदारी है...और जिम्मेदारी सभी को निभानी चाहिए। उन्हाेंने क्वारंटाइन के दौरान अपनी दिनचर्या में काफी बदलाव किया है। निवर्तमान राज्यसभा सदस्य सैलजा कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा हैं और उनकी गिनती सोनिया गांधी के नजदीकियों में होती है। पहली बार हुड्डा को मुख्यमंत्री बनवाने में भी उनका खासा योगदान रहा है। केंद्र की नरसिंह राव और डा. मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुकी कुमारी सैलजा पर अब हरियाणा कांग्रेस के प्रधान पद की जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति भवन में हुए भोज में शामिल होने के बाद खुद को कारंटाइन करने में लगी सैलजा
सैलजा हाल ही में तब सुर्खियों में आई, जब उन्होंने कोरोना वायरस के प्रकोप की चर्चाओं के बीच राष्ट्रपति भवन में भोज किया था। उस भोज में राजस्थान से भाजपा सांसद दुष्यंत सिंह भी शामिल थे, जिसके बाद से सैलजा ने खुद को क्वारंटाइन कर रखा है। बता दें कि दुष्यंत सिंह कोराेना वायरस पॉजिटिव बालीवुड गायिका कनिका कपूर की पार्टी में शामिल हुए थे। इसके बाद दुष्यंत राष्ट्रपति भवन में आयोजित रात्रि भेज में शामिल हुए थे। इस भेाज के दौरान सैलजा की दुष्यंत सिंह से मुलाकात हुई थी।
इसके बाद सैलजा ने क्वारंटाइन का फैसला किया। उन्होंने लोगों से मिलना जुलना बंद कर रखा है और सोशल मीडिया तथा फोन के जरिये ही उनसे बातचीत कर रही हैं। पार्टी का पूरा काम फोन और वीडिय कांफ्रेंसिंग के जरिये किया जा रहा है। कार्यकर्ताओं से पार्टी की हर गतिविधि का अपडेट लिया जा रहा है।
24 सितंबर 1962 को हिसार के प्रभुवाला गांव में जन्मी सैलजा के पिता चौ. दलबीर सिंह भी हरियाणा की सियासम के बड़ा चेहरा थे। दलबीर सिंह केंद्रीय मंत्री भी रहे थे। सिरसा लोकसभा सीट से पिता-पुत्री के नाम छह बार सांसद बनने का रिकार्ड दर्ज है। सैलजा सिरसा के अलावा अंबाला से भी सांसद चुनी जा चुकी हैं। सैलजा सुबह सात बजे उठती हैं। घर के लान में करीब एक घंटे की सैर के बाद बिना जिम खुद ही फिटनेस वाली एक्सरसाइज करती हैं। उनका नाश्ता सुबह साढ़े नौ बजे से दस बजे के बीच हो जाता है।
सुबह सात बजे उठकर सैर के बाद बिना जिम करती हैं करती हैं एक्सरसाइज
शुद्ध शाकाहारी सैलजा दोपहर में हलका भोजन लेती हैं। नाश्ते और दोपहर के भोजन के बाद उनका ज्यादातर समय सोशल मीडिया पर बीतता है। हर रोज कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेना तथा पार्टी के कार्यक्रमों के साथ ही जरूरतमंद लोगों तक सहायता पहुंचाना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। उन्होंने लाॅकडाउन में फंसे लोगों की मदद के लिए एक राहत सेना बनाई है, जिसमें कांग्रेस वर्कर लोगों तक मदद पहुंचाने का काम कर रहे हैं। एक महिला होने के बावजूद 2012 में उन्होंने अपनी माता कलावती के निधन के बाद उन्हें स्वयं ही मुखाग्नि दी थी।
मोंटेक सिंह की किताब के जरिये राजनीति और फाइनेंस को समझ रही सैलजा
सैलजा ने फोन पर बातचीत में बताया कि वह आजकल संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार के वक्त केंद्रीय योजना आयोग (अब नीति आयोग) के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया की किताब 'बैकस्टेज : द स्टोरी बिहाइंड इंडिया हाई ग्रोथ ईयर्स' पढ़ रही हैं। मोंटेक सिंह की इस किताब में लिखा है कि भले ही केंद्र के पास बड़े वित्तीय अधिकार हैं, लेकिन राज्य सरकारों के पास भी वित्तीय अधिकारों की कमी नहीं है। इस किताब में देश के कई महत्वपूर्ण मामलों की चर्चा है। सैलजा शाम के समय भी करीब एक घंटे तक सैर करती हैं और भोजन शाम को सात बजे से आठ बजे के बीच जल्दी कर लेती हैं। उन्होंने इम्युनिटी (शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने वाले फलों के सेवन पर जोर दे रखा है।
घर की सफाई, संगीत सुनना और कपड़ों का रखरखाव
कु. सैलजा के अनुसार यह ऐसा वक्त है, जब किसी को अपने लिए इतना वक्त मिला, मगर इसमें खुद का बचाव बेहद जरूरी है। सैलजा टीवी देखने की शौकीन नहीं हैं, लेकिन दिन में कई बार म्युजिक सुनती हैं। आजकल घर की सफाई का काम खुद कर रही हैं। अपने कपड़ों का रखरखाव भी स्वयं करती हैं। रात को 11 से 12 बजे के बीच उनका सोना होता है। इससे पहले कार्यकर्ताओं के साथ अपडेट रहना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है।
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