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राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग कर कांग्रेस से नाता तोड़ने वाले कुलदीप बिश्नोई फिलहाल राजनीतिक हाशिये पर

कांग्रेस के विधायक कुलदीप बिश्नोई राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग की थी। इसके बाद पार्टी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की। कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में जाने की चर्चा थी लेकिन अभी वह पार्टी में शामिल नहीं हो पाए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 04:17 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 04:17 PM (IST)
राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग कर कांग्रेस से नाता तोड़ने वाले कुलदीप बिश्नोई फिलहाल राजनीतिक हाशिये पर
कुलदीप बिश्नोई की फाइल फोटो। स्रोत- कुलदीप बिश्नोई के ट्विटर अकाउंट से।

बिजेंद्र बंसल, नई दिल्ली। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के विरोध के चलते कुलदीप बिश्नोई का भाजपा में सशर्त आगमन नहीं होगा। राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में क्रास वोट करके कांग्रेस को अलविदा कह चुके कुलदीप भाजपा में सशर्त शामिल होना चाहते हैं।

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कुलदीप की शर्त है कि उन्हें हिसार लोकसभा सीट से केंद्रीय राजनीति में भेजा जाए और उनके बेटे भव्य बिश्नोई को आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़वाकर मनोहर लाल सरकार में मंत्री बनाया जाए। भाजपा के रणनीतिकार चाहते हैं कि कुलदीप बिना शर्त एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में पार्टी में शामिल हो। इसके बाद उनके काम और राजनीतिक कद के हिसाब से पार्टी में समायोजित किया जाएगा।

20 दिन में भी नहीं ले पाए उचित निर्णय

राज्यसभा के चुनाव 10 जून को हुए थे और उसी दिन कुलदीप बिश्नोई को कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य सहित अन्य पदों से हटा दिया था। इसके बाद खुद कुलदीप बिश्नोई कहा था कि वह अपने अगले राजनीतिक कदम के लिए कार्यकर्ताओं से सलाह ले रहे हैं।

इस कथन को भी एक सप्ताह बीत गया है, मगर कुलदीप ने किसी राजनीतिक दल का दामन नहीं थामा है। एक सप्ताह पहले तक कुलदीप के दिल्ली स्थित निवास के बाहर हिसार और आसपास के क्षेत्रों से कुछ कार्यकर्ता दिखाई दे जाते थे, मगर अब स्वयं कुलदीप भी सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं।

भाजपा को नहीं है कोई जल्दबाजी

कुलदीप के बारे में यह तय माना जा रहा है कि उनकी भाजपा में एंट्री होगी। इसके लिए मुख्यमंत्री मनेाहर लाल की मर्जी से दिल्ली से हरी झंडी मिल चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ कुलदीप की एंट्री को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। राजनीति का तकाजा भी यही है कि यदि कुलदीप की भाजपा में दमदार एंट्री हुई तो वह पार्टी में गैर जाट नेता के रूप में स्थापित हो सकते हैं, इसलिए भाजपा उनकी एंट्री को लेकर जल्दबाजी में नहीं हैं।

इसके भाजपा को दो बड़े फायदे होंगे। एक तो आदमपुर उपचुनाव में नहीं जाना होगा। दूसरे उसके सहयोगी दल जजपा के दुष्यंत का आग्रह भी पूरा हो जाएगा। कुलदीप की एंट्री की आहट से हिसार जिले में फिलहाल जजपा के दुष्यंत सहित पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और उनके सांसद पुत्र बृजेंद्र सिंह की राजनीति दांव पर है। फिलहाल भाजपा के रणनीतिकार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले अपने पक्ष के किसी विधायक का वोट भी खराब नहीं करना चाहते।

हुड्डा की खुशी का नहीं है ठिकाना

कुलदीप के क्रास वोट करने से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जहां पार्टी हाईकमान के समक्ष जवाबदेह हुए हैं, वहीं अब उन्हें प्रदेश कांग्रेस में बड़ा फैसला लेने में कोई समस्या नहीं आएगी, इसलिए कुलदीप के जाने से हुड्डा काफी खुश हैं। हुड्डा समर्थक तो अब कहने लगे हैं कि कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला और कार्यसमिति की सदस्य कुमारी सैलजा से उनके नेता को ज्यादा परेशानी नहीं है, क्योंकि ये दोनों सामने आकर वार नहीं करते।


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