सीनियर अधिकारी केपी सिंह फिर बने DGP, सरकार ने सौंपा अतिरिक्त प्रभार
तीन साल पहले जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान फेल होने के आरोप लगाकर हटाए गए DGP डॉ. केपी सिंह पर मनोहर सरकार ने एक बार फिर भरोसा जताया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। तीन साल पहले हटाए गए DGP डॉ. केपी सिंह पर मनोहर सरकार ने एक बार फिर भरोसा जताया है। प्रदेश सरकार ने केपी सिंह को हरियाणा के DGP का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। उनको DGP बीएस संधू के सेवानिवृत होने के बाद केपी सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मौजूदा DGP बीएस संधू का कार्यकाल पूरा होने के बाद अभी तक हरियाणा के लिए नए DGP की नियुक्ति नहीं होने पर केपी सिंह को DGP का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। हरियाणा सरकार ने केंद्रीय लोक सेवा आयोग के पास सीनियर IPS अधिकारियों के नामों का पैनल भेज रखा है। राज्य सरकार हालांकि अपने स्तर पर DGP की नियुक्ति करना चाहती थी। इसके लिए विधानसभा में कानून भी बनाया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए केंद्रीय लोक सेवा आयोग के माध्यम से ही DGP की नियुक्ति के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद प्रदेश सरकार को नए DGP का नाम फाइनल होने का इंतजार है।
राज्य के गृह सचिव एसएस प्रसाद ने वीरवार रात को बीएस संधू को अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया था, लेकिन शुक्रवार दोपहर केपी सिंह को अतिरिक्त कार्यभार दिए जाने के आदेश जारी हो गए। केपी सिंह फिलहाल DGP राज्य मानवाधिकार आयोग के पद पर कार्यरत हैं। केपी सिंह DGP (जेल) भी रह चुके हैं। माना जा रहा है कि राज्य सरकार उन्हें इसी पद पर कंटीन्यू करा सकती है।
स्पीकर से चल रहा था झगड़ा अब सुलझ चुका
हरियाणा के स्पीकर कृष्ण पाल गुर्जर के साथ डॉ. केपी सिंह का विवाद चल रहा था, जिसके अब सुलझ जाने की खबरें हैं। केपी सिंह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के रहने वाले हैं। सहारनपुर और यमुनानगर जिलों की सीमा आपस में लगती है। दोनों के बीच विवाद का कारण राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चित रहा। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर तथा अवतार सिंह भड़ाना व करतार सिंह भड़ाना समेत कई गुर्जर नेताओं ने दोनों का विवाद हल कराने में अहम भूमिका निभाई है, जिसके बाद सरकार ने केपी सिंह पर फिर से भरोसा जताया है।
राष्ट्रपति अवार्ड ले चुके, 22 पुस्तकें लिखी
नए कार्यवाहक DGP केपी सिंह को न तो कालेज टाइम में लिखने का शौक रहा और न ही यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उनकी इस विषय में रुचि रही। इसके बावजूद वे हिंदी-अंग्रेजी में 22 पुस्तकें लिख चुके हैं। 1985 बैच के IPS केपी सिंह ने अपनी सर्विस के सात वर्षों के बाद यानी 1992 में पहली बार कुछ लिखा। उनकी पहली पुस्तक पुलिस ट्रेनिंग और पुलिस प्रोफेशन से संबंधित थी।
उन्होंने यह पुस्तक अंग्रेजी में लिखी, लेकिन उसके बाद उन्हें लिखने का जुनून सवार हुआ। ह्यूमन राइट्स में पीएचडी कर चुके केपी सिंह अंग्रेजी के टॉपर रहे, लेकिन जब उन्होंने लिखना शुरू किया तो हिंदी की बारीकियों को समझने में देर नहीं लगी। वर्ष 1996 में उन्होंने हिंदी में अपनी पहली पुस्तक 'अर्द्धजन्मी' लिखी। हरभजनवां के साथ वे 'आठवां समंदर' नाम से भी दो पुस्तकें लिखे चुके हैं। उनके अब तक तीन निबंध संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
समानांतर, भावनांतर व निरंतर नामक ये निबंध संग्रह उनके उन लेखों का संग्रह हैं। कानून व्यवस्था एवं पुलिस ट्रेनिंग पर भी उन्होंने पुस्तकें लिखी हैं। पुलिस ट्रेनिंग पर लिखी गयी उनकी पुस्तक 'हरियाणा पुलिस बेसिक रिक्रूटमेंट कोर्स' पुलिस की नौकरी करने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए मार्गदर्शक के रूप में देखी गई। उनकी पुस्तक 'ह्यूमन राइट्स एंड स्टेट कस्टडी इन इंडिया' भी काफी चर्चाओं में रही है। पुलिस राष्ट्रपति पदक से भी उन्हें नवाजा जा चुका है।