सूचना आयोग में बढ़ा भाजपा का दबदबा, केजे सिंह, कमलदीप व बिश्नोई ने ली सूचना आयुक्त पद की शपथ
भाजपा सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) केजे सिंह कमलदीप भंडारी और जय सिंह बिश्नोई की नियुक्ति राज्य सूचना आयुक्तों के पद पर की है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के राज्य सूचना आयोग में भाजपा की पसंद के सूचना आयुक्तों का दबदबा बढ़ गया है। पिछली हुड्डा सरकार में लगे हेमंत अत्री, समीर माथुर और योगेंद्र गुप्ता का कार्यकाल पूरा होने के बाद अब भाजपा सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) केजे सिंह, कमलदीप भंडारी और जय सिंह बिश्नोई की नियुक्ति राज्य सूचना आयुक्तों के पद पर की है। तीनों को शुक्रवार को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलवाई। शपथ ग्रहण समारोह में सीएम मनोहर लाल, कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार भी मौजूद रहे।
बता दें, गत दिवस मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में तीनों नामों पर सहमति बनी। विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला और पीडब्ल्यूडी मंत्री राव नरबीर भी इस बैठक में शामिल हुए थे। हरियाणा निवास चंडीगढ़ में हुई बैठक में मुख्य सचिव डीएस ढेसी के नेतृत्व वाली सर्च कमेटी ने तीन-तीन नामों का पैनल रखा। इस पैनल में कई रिटायर्ड अधिकारियों के नाम भी शामिल थे, लेकिन इस बार सरकार ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया।
लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह की नियुक्ति से सैनिक परिवारों में सरकार की इमेज बनेगी। जय सिंह बिश्नोई पिछली हुड्डा सरकार में सक्रिय थे और गोपाल कांडा की पार्टी में भी रहे। उनकी नियुक्ति पर भाजपाई खुद हैरान हैैं। हालांकि उन्होंने पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए आयोग के सदस्य के रूप में काम किया है।
कमलदीप भंडारी पंजाब की रहने वाली हैैं। उन्हें संघ की सिफारिश पर लिया गया है। फिलहाल दो सदस्यों शिवरमण गौड़ का कार्यकाल दो अप्रैल और डॉ. रेखा का कार्यकाल 26 जुलाई को इसी साल पूरा हो रहा है। लिहाजा सरकार इन दोनों के स्थान पर भी नई नियुक्ति की तैयारी कर रही है। पूर्व डीजीपी यशपाल सिंघल मुख्य सूचना आयुक्त हैैं।
हाल ही में रिटायर हुए डीजीपी बीएस संधू के राज्य सूचना आयुक्त बनने की संभावना थी, लेकिन उनके द्वारा रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले धड़ाधड़ किए गए पुलिस कर्मियों के तबादलों की वजह से संधू विवादों में आ गए थे। संधू द्वारा तबादले किए जाने पर कई भाजपा विधायकों ने सवाल उठाए तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भी उनकी इस कार्रवाई पर संदेह हुआ।