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डेड हो गई कालका की लाइफलाइन एचएमटी, हजारों घरों में तवे ठंडे

कालका की लाइफलाइन मानी जाने वाली एचएमटी फैक्ट्री बंद हो चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 03:47 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 06:33 AM (IST)
डेड हो गई कालका की लाइफलाइन एचएमटी, हजारों घरों में तवे ठंडे
डेड हो गई कालका की लाइफलाइन एचएमटी, हजारों घरों में तवे ठंडे

राजेश मलकानियां, पंचकूला : हरियाणा के पहले विधानसभा क्षेत्र कालका की लाइफलाइन मानी जाने वाली एचएमटी फैक्ट्री बंद हो चुकी है। यह फैक्ट्री कालका की विधायक लतिका शर्मा के कार्यकाल में बंद हुई थी। इस ट्रैक्टर फैक्ट्री पर संकट तो पिछले कई साल से मंडरा रहा था लेकिन ताला भाजपा के शासन में लगा। जैसे ही फैक्ट्री बंद हुई तो कई घरों पर ताला लग गया। कई लोग बेरोजगार हो गए। कई धरने, प्रदर्शन, अदालतों के चक्कर लगाने के बाद भी नतीजा जीरो रहा। एचएमटी बंद होने के बाद यहां काम करने वालों ने छोटी-मोटी दुकानें करके अपना गुजर-बसर तो अब शुरू कर दिया है लेकिन वे विधायक लतिका शर्मा से नाराज हैं। क्योंकि वे कई बार उनके दरवाजे पर फैक्ट्री के लिए पैकेज लाने के लिए गुहार लगाने के लिए गए परंतु लतिका शर्मा सफल नहीं हुई। जबकि लतिका शर्मा ने अपने पिछले चुनावी दौरों के दौरान लोगों से वादा किया था कि एचएमटी में जान फूंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी लेकिन एचएमटी की जान ही निकल गई। 90 के दशक से हुई थी हालत खराब

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केंद्रीय भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय ने वर्ष 1971 में पिजौर में एचएमटी की ट्रैक्टर डिवीजन को स्थापित किया था। हिमालयन एक्सप्रेस वे के बगल में 867 एकड़ में फैली इस यूनिट के निर्माण में तत्कालीन चेकोस्लाविया की मोटोकोफ कंपनी ने अहम भूमिका निभाई थी। देखते ही देखते एचएमटी ट्रैक्टरों व अन्य उपकरणों ने बाजार में अपनी पैठ बना ली थी। पिजौर में बने ट्रैक्टर पूरी दुनिया में निर्यात होने लगे थे। साथ ही कंपनी ने देश में इंजीनियरिग और विनिर्माण क्षमताओं के विकास की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई। बाद में कंपनी के गिरते प्रदर्शन और बढ़ती लागत, सस्ती दरों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण 90 के दशक में कंपनी की हालत खराब होती चली गई। केंद्रीय स्तर पर कंपनी के प्रदर्शन को सुधारने के लिए काफी प्रयास किए गए किंतु नाकामी हाथ लगी। नौबत यहां तक पहुंची कि जुलाई 2014 से कर्मचारियों को वेतन और भत्तों तक का भुगतान बंद करना पड़ा। नवंबर 2013 से कर्मचारियों की सांविधिक देय राशि (सेवांत लाभ, पीएफ, ग्रेच्यूटी, छुट्टी नकदीकरण) लंबित है। स्थिति को बिगड़ते देख कर्मचारियों को वीआरएस/वीएसएस की पेशकश की गई थी। मजबूरी में एचएमटी लिमिटेड ने ट्रैक्टर इकाई को बंद कर मशीन उपकरण के कोर क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बनाई। इस पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुहर लगाते हुए कर्मचारियों के बकाया वेतन/मजदूरी और अन्य बकाया राशि के भुगतान के लिए एचएमटी लिमिटेड के लिए बजटीय सहायता को मंजूरी दे दी थी। ज्वाइंट मैनेजर ने कर ली थी आत्महत्या

आर्थिक तंगी के चलते एचएमटी के ज्वाइंट मैनेजर केएस नागी ने आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद कंपनी के कर्मचारियों की चिंताजनक स्थिति को लेकर खूब बवाल मचा था। कंपनी के करीब 1500 कर्मचारी गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। ट्रैक्टर विभाग में कार्यरत 1150 और मशीन टूल्स विभाग में कार्यरत 350 लोगों के सामने भूखे मरने की नौबत आ खड़ी हुई है। 2015-16 में महज 704 ट्रैक्टर बने थे

1990 के दशक से ही इस इकाई को कमतर दिखाने की कोशिश होती रही है। ए संयंत्र इस बात का सर्वोत्तम उदाहरण है कि किस तरह सबसे कमाऊ यूनिट का इतना दोहन किया गया कि वो बंदी के कगार पर आ गई। एचएमटी के पास रेलवे और रक्षा से जुड़े निर्माण के ऑर्डर थे लेकिन सुनियोजित तरीके से निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया गया। जिस कंपनी में 1997-98 में 19,276 ट्रैक्टरों का उत्पादन होता था उसमें 2015-16 में महज 704 ट्रैक्टर बने थे। एचएमटी प्लाट को बंद करने का फैसला बहुत निंदनीय था। भाजपा सरकार ने 27 अक्टूबर 2016 को एचएमटी लिमिटेड पिंजौर के ट्रैक्टर प्लाट को बंद करके क्षेत्र के लाखों लोगों की रोटी को छीनने का काम किया था। इसी बाबत तीन साल बीतने के बाद भी न तो कर्मचारियों की समस्या का समाधान हो सका, करोड़ों की मशीनरी को जंग लग रहा है न ही फैक्ट्री रीवाइव हो सकी।

-विजय बंसल, पूर्व चेयरमैन कुमारी सैलजा ने केंद्रीय मंत्री रहते हुए एचएमटी को चलाने के लिए करोड़ों रुपये का पैकेज दिलवाया था। परंतु भाजपा विधायक लतिका शर्मा ने इसे चलाने के लिए कोई संघर्ष नहीं किया और एचएमटी को बंद करने के लिए एक ही झटके में सहमति देकर लाखों लोगों का रोजगार छीन लिया। अब भी कई परिवार इस सदमे से उबर नहीं पाए हैं।

-प्रदीप चौधरी, पूर्व विधायक, कालका मैंने एचएमटी को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। केंद्रीय मंत्रियों से कई बार मुलाकात हुई। परंतु अफसोस एचएमटी बंद हुई जिसका मुझे भी दुख है। परंतु मैंने एचएमटी में सेब मंडी लाने का काम किया है। सेब मंडी से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। जल्द ही यहा बाकी खाली जमीन पर बड़ा उद्योग लाने की भी कोशिश करूंगी।

-लतिका शर्मा, भाजपा विधायक, कालका


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