फंड के लिए तरस रही कालका नगर परिषद
कालका के खजाने में अभी तक एक फूटी कौड़ी भी नहीं है और खजाना बिल्कुल खाली है।
राजकुमार, कालका : पंचकूला नगर नगर निगम से अलग होकर कालका-पिजौर के लिए बनाई गई नगर परिषद कालका के खजाने में अभी तक एक फूटी कौड़ी भी नहीं है और खजाना बिल्कुल खाली है। फिलहाल हालात यह हैं कि परिषद के कार्यो के लिए कागज, कलम आदि तक खरीदने के लिए दूसरों का मुंह देखना पड़ रहा है। जानकारों की मानें तो परिषद के लिए कुछ जरूरी सामान खरीदने के लिए या तो अधिकारी अपनी जेब से राशि खर्च कर रहे हैं या फिर बाजार से उधार करनी पड़ रही है। जानकारी के अनुसार अंग्रेजों के जमाने वाले शहर में नगरपालिका का गठन भी तब हुआ था। एक वह भी जमाना था, जब कालका नगरपालिका का दूर-दूर तक नाम था। यही नहीं, यहां के पालिका प्रधान का चुनाव किसी एमएलए के चुनाव से कम नहीं माना जाता था। लेकिन समय के साथ साथ हालात खस्ता होते गए। पिछले करीब दो दशक पहले पालिका के आर्थिक हालात ज्यादा खराब होते गए और समय ऐसा भी आया कि पालिका के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पर्याप्त फंड नहीं होता था। ऐसे में कर्मचारियों को वेतन के लिए भी धरना प्रदर्शन करना पड़ता था। इसके बाद कालका-पिजौर नगरपालिका व कुछ गांवों को मिलाकर पंचकूला नगर निगम का गठन हुआ और इसके साथ ही आर्थिक परेशानी दूर हुई। लेकिन इसके बाद भी ऐसा कुछ खास नहीं हुआ कि विकास के मामले में शहर की सूरत ही बदल गई हो। पंचकूला नगर निगम से कालका-पिजौर को अलग करने का मामला कोर्ट में चला और करीब 10 वर्ष बाद कालका-पिजौर के लिए नगर परिषद का गठन मानों माली हालात में ही किया गया हो। क्योंकि करीब दो महीने का समय होने के बाद भी परिषद के पास दिखाने के लिए भी एक पैसा तक नहीं है। इस बारे में रामपाल, नरेन्द्र, विजय तथा संतोष सहित अन्य लोगों ने कहा कि परिषद की अधिसूचना जारी करने के दौरान ही सरकार को फंड भी जारी करना चाहिए था, जिससे परिषद के कार्यो के साथ-साथ शहर के विकास कार्य जारी रहते। परिषद के अधिकारी अब पंचकूला नगर निगम का मुंह ताक रहे हैं कि वह कब फंड जारी करेंगे। कालका के ईओ अपूर्व चौधरी ने बताया कि सप्ताह भर तक फंड जारी हो जाएगा। अभी तक परिषद के पास कोई फंड नहीं है।