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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हरियाणा विधानसभा में रचा गया इतिहास, पहली बार लेडिज फर्स्ट

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ( International Womens Day) पर हरियाणा विधानसभा में इतिहास रचा गया। विधानसभा में महिला विधायकों ने ही कार्यवाही का संचालन किया। स्पीकर की कुर्सी पर थी महिलाएं तो पहले महिला विधायकों को ही बोलने का मौका मिला।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 08:50 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 08:50 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हरियाणा विधानसभा में रचा गया इतिहास, पहली बार लेडिज फर्स्ट
हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र के दौरान अपनी बात रखती जजपा विधायक नैना चौटाला। जागरण

चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। लेडिज फस्र्ट। महिलाओं को तरजीह देने के लिए कई मौकों पर यह शब्द आपने भी बोला होगा या किसी से सुना जरूर होगा। हरियाणा विधानसभा भी पहली बार इसी अंदाज में चली, जहां स्पीकर की कुर्सी पर महिलाएं विराजमान थीं तो राज्यपाल के अभिभाषण की चर्चा का आगाज भी महिला विधायक ने किया। बोलने का मौका भी पहले सभी महिला विधायकों को ही मिला और बाद में पुरुष विधायकों की बारी आई।

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मौका था अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का, जब विधानसभा में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। महिलाओं को समर्पित सदन की कमान पूरी तरह महिला विधायकों के हाथ में रही। प्रश्नकाल और शून्यकाल के खत्म होते ही विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने अपनी सीट छोड़ दी और उस पर कांग्रेस विधायक किरण चौधरी को विराजमान किया गया।

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दिल्ली विधानसभा में उपाध्यक्ष की कुर्सी संभाल चुकी किरण ने बखूबी सदन को चलाया। कभी प्यार से उन्होंने महिला विधायकों की हौसला अफजाई की तो कभी बीच में हंगामा कर रहे पुरुष विधायकों को फटकार भी लगाई। इसके बाद भाजपा विधायक एवं पूर्व सीपीएस सीमा त्रिखा, जजपा विधायक नैना चौटाला और कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री गीत भुक्कल ने स्पीकर की कुर्सी संभाली। पूरे आत्मविश्वास के साथ उन्होंने सदन चलाया।

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राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा की शुरुआत करने वाली सीमा त्रिखा जैसे ही स्पीकर की कुर्सी पर बैठीं, कांग्रेस विधायकों ने कृषि कानूनों को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। इससे खफा सीमा त्रिखा ने उन्हें नसीहत दी कि बेटियां सबकी सांझी होती हैं। राजनीति अलग चीज है। जिस तरह सदन में महिला विधायकों के बात रखते समय कुछ विधायक टीका-टिप्पणी करते हुए अड़चनें पैदा कर रहे हैं, उन्हें स्पीकर की कुर्सी पर बैठकर शर्म आ रही है। इसके बावजूद शोर-शराबे का दौर जारी रहा और महिला विधायकों ने शोरगुल के बीच ही अपनी बात रखी। गीता भुक्कल ने किसानों के मुद्दे पर सदन में खूब खरी-खरी कही।

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निर्मल रानी की नहीं आई बारी

महिला दिवस पर बजट सत्र की कार्यवाही के संचालन के लिए पांच महिला विधायकों की जो कमेटी बनाई गई थी उसमें गन्नौर से भाजपा विधायक निर्मल रानी भी शामिल थीं। पांचों को स्पीकर की कुर्सी पर बैठना था, लेकिन निर्मल रानी को सदन को संचालित करने का मौका नहीं मिल पाया। हालांकि अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उन्होंने पूरे विश्वास के साथ सरकार की उपलब्धियां गिनाईं।

नारी भी छू सकती आकाश, बस उसे हैं मौके की तलाश

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की मां और जजपा विधायक नैना चौटाला ने 'नारी भी छू सकती आकाश, बस उसे हैं मौके की तलाशÓ के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की। नारी सम्मान से लेकर विभिन्न मुद्दों पर धारा प्रवाह बोलीं। बुढ़ापा पेंशन 5100 रुपये करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि पंचायतों में महिलाओं की 50 फीसद हिस्सेदारी, राशन डिपुओं में 33 फीसद आरक्षण जैसे कदम महिलाओं के उत्थान में अहम शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि घूंघट की ओट छोड़कर नारी आगे बढ़ी है और राष्ट्रपति पद तक पहुंचकर अपनी काबिलियत को साबित किया है।


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