यह तो बता दो सरकार में मियां कौन और बीवी कौन... पढ़ें सियासत की और भी रोचक खबरें
सियासत में कई बातें ऐसी होती हैं जो मीडिया में सुर्खियां नहीं बन पाती। आइए कुछ ऐसी ही रोचक खबरों पर नजर डालते हैं।
चंडीगढ़। हरियाणा में भाजपा-जजपा की गठबंधन सरकार के साढ़े चार महीने पूरे होने को हैं, लेकिन अभी तक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम लागू नहीं हो पाया है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर गृह मंत्री अनिल विज की अगुआई में गठित कमेटी की दो बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन दोनों दलों के चुनावी घोषणापत्रों के 422 वादों में से सिर्फ 33 पर ही सैद्धांतिक सहमति बन पाई है। विधानसभा के बजट सत्र में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह मामला उठाया तो विज बोले, जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी। हुड्डा भी भला कहां पीछे रहने वाले थे। तपाक से बोले, कुंवारे विज साहब को यह अनुभव कब से हो गया। मंत्री ने यह कहकर बात टाली कि कहावत में अनुभव जरूरी नहीं होता। इसके बावजूद हुड्डा ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और अगला सवाल दाग दिया कि यह तो बता दो कि इस सरकार में मियां कौन है और बीवी कौन।
बाड़ होती बाछड़ी की, खागड़-झोटे की नहीं
नशे के कारण उड़ता पंजाब की तर्ज पर प्रदेश की छवि उड़ता हरियाणा की बनने लगी है। विधानसभा में भी नशे पर खूब हंगामा हुआ और कांग्रेस विधायक के कमरे में ठहरे एक रिश्तेदार के पास से नशीले पदार्थ की बरामदगी से लेकर हरियाणा भाजपा के प्रधान के साथ नजर आने वाले एक व्यक्ति की नशा तस्करी में संलिप्तता पर सवाल उठे। नशा तस्करी में छोटी मछलियों पर कार्रवाई और बड़े मगरमच्छों से आंखें चुराने की पुरानी आदत पर चोट करते हुए जजपा विधायक रामकुमार गौतम ने ठीक ही कहा कि खेतों की रखवाली के लिए लगाई बाड़ तो बछड़ियों और कटड़ियों के लिए होती है, खागड़-झोटों के लिए नहीं। एक महान नेता की नशे की लत की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जब नशे के अवैध कारोबार में बड़े-बड़े लोग शामिल होंगे तो फिर नशे की दलदल से युवाओं को कैसे बचाया जाए।
मुश्किलों से बाहर निकलना सिखाते खेल
मुख्यमंत्री मनोहर लाल (मुखियाजी) के संबोधन अब संग्रहणीय बन रहे हैं। असल में मुखियाजी जब बोलते हैं तो कुछ न कुछ ऐसा कह जाते हैं जो उन्हें पिछले पांच साल की सक्रिय राजनीति में अनुभव हुआ हो। गुरुग्राम में महिला दिवस पर बोले तो बेशक उनका विषय नारी सशक्तीकरण था मगर जब उन्होंने खेलों से सीख के दो विषय छुए तो मौजूदा लोगों को ऐसा आभास हुआ कि वे अपने राजनीतिक अनुभवों का समावेश संबोधन में कर रहे हैं। मुखियाजी ने बताया कि कबड्डी एक ऐसा खेल है जिसमें खिलाड़ी अकेला ही 10 की टीम के सामने पहुंच जाता है। उसे यह चिंता नहीं सताती कि सामने दस खिलाड़ी उसे पकड़ लेंगे मगर उसके अंदर यह भावना होती है कि वह दस में से कम से कम चार को छूकर वापस लौटेगा। यदि किसी दांवपेंच में वह पकड़ा गया तो उसका प्रयास उनकी पकड़ से छूटकर वापस आने का होगा।
गुनाह तो आपके नेताओं ने किया
राज्यपाल के अभिभाषण और फिर बजट पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष को भी अपनी बात रखने का पूरा मौका मिला। सबसे ज्यादा लंबे समय तक विधानसभा चलने और सबसे ज्यादा सवाल पूछने का रिकॉर्ड भी बन गया। इसके बावजूद ‘यह दिल मांगे मोर’ की तर्ज पर अधिकतर विधायकों की शिकायत रही कि उन्हें जी भरकर नहीं बोलने दिया गया। बजट पर चर्चा के दौरान बार-बार खड़े हो रहे पुन्हाना से कांग्रेस विधायक मोहम्मद इलियास को जब बोलने का मौका नहीं मिला तो उन्होंने पूछ ही लिया कि हमने क्या गुनाह किया जो समय नहीं मिल रहा। सदन की कार्यवाही संचालित कर रहे विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा कुछ बोलते, इससे पहले ही सोहना से भाजपा विधायक संजय सिंह ने टिप्पणी की कि गुनाह आपके सीनियर नेताओं ने किया है जो आपके हिस्से का समय भी खा गए। बहरहाल गंगवा ने लंबे समय तक इनेलो में मोहम्मद इलियास के साथ काम करने का ख्याल रखते हुए दोस्ती निभाई और समय खत्म होने के बावजूद उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया।
एक सीट पर तो आए धनकुबेर
सूबे में राज्यसभा की तीन सीट के लिए चुनाव होना है। ऐसे में सत्तारूढ़ दल भाजपा, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में प्रत्याशी बनने के लिए नेता चंडीगढ़ से दिल्ली तक के चक्कर लगा रहे हैं। सूबे में राज्यसभा चुनाव का अतीत चाहे ओपी जिंदल बनाम रामजीलाल या फिर आरके आनंद बनाम सुभाष चंद्रा के बीच हुआ हो, निर्दलीयों की पौ-बारह रही थी। इस बार भी इक्का-दुक्का निर्दलीय ही नहीं बल्कि दलों से बंधे कुछ विधायकों को भी धनकुबेर प्रत्याशियों की दरकार है। खुलेआम तो नहीं मगर ये विधायक आपस में यही बतलाते हैं कि तीन में से एक सीट पर तो धनकुबेर आना ही चाहिए। इन दिनों पिछले एक सप्ताह से जब भी कोई विधायक या बड़े नेता दिल्ली में आते हैं तो वे होली की शुभकामनाएं देने के बहाने सिर्फ और सिर्फ राज्यसभा चुनाव पर ही चर्चा करते हैं। हालांकि ये एक पूर्व सीएम की कमेंटमेंट से निराश हो रहे हैं।
पर्ची का सिस्टम कोई नया नहीं जनाब
सरकारी नौकरियों में भर्ती और विभागों में तबादले सहित दूसरे काम कराने में पर्ची और खर्ची का सिस्टम काफी हद तक कम हुआ है। पर्ची का मुद्दा विधानसभा में भी छाया रहा। बिल्लू भैया (अभय चौटाला) से लेकर पूर्व शिक्षा मंत्री और कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल ने खूब तंज कसे। हुआ यूं कि इनेलो विधायक नशे का मुद्दा उठा रहे थे तो जवाब दे रहे गब्बर (अनिल विज) को अफसर लॉबी से किसी अधिकारी ने आंकड़ों से जुड़ी पर्ची पकड़ा दी। इस पर चौटाला ने ताना दिया कि मंत्रियों को तो कुछ पता नहीं। अफसर उन्हें पर्ची थमाकर जो जानकारी देते हैं, वह उसे पढ़ देते हैं। गीता भुक्कल ने भी उनका समर्थन करते हुए टिप्पणी की कि पूरी कैबिनेट ही पर्ची पर चल रही है। हमारी सरकार में हम पूरी तैयारी से आते थे और यदा-कदा ही अफसरों से मदद लेने की नौबत आती थी। इसी दौरान संसदीय कार्यमंत्री कंवरपाल गुर्जर बीच में कूदे और दावा किया कि यह सिस्टम नया नहीं है। चौटाला और हुड्डा सरकार में भी पर्चियां चलती थी। आप अपने सूत्रों का इस्तेमाल कर चाहे जो जानकारी जुटा लो। )प्रस्तुति - अनुराग अग्रवाल, बिजेंद्र बंसल और सुधीर तंवर)
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