कौन छोड़ रहा जुमले, विपक्ष या सरकार... पढ़ें कुछ ऐसे ही रोचक किस्से, जो खबर नहीं बन पाते
राजनीति व ब्यूरोक्रेसी की कुछ ऐसी गॉशिप्स होती हैं जो खबरें नहीं बन पाती हैं। आइए नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही अंदर की खबरों पर...
चंडीगढ़। हरियाणा में आजकल जुमलों की राजनीति गरमाई हुई है। विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर जुमलों के बूते सरकार चलाने की तोहमत लगा रहे, वहीं मुख्यमंत्री मनोहर उलटे विपक्ष पर ही जुमलेबाजी का आरोप मढ़ रहे हैं। 100 दिन की गठबंधन सरकार में 101 बड़े काम करने का दावा करते हुए मनोहर लाल कहते हैं कि मौजूदा समय में विपक्ष बेरोजगार है। कुछ मुद्दे तो हैं नहीं, इसलिए खाली बैठे जुमलेबाजी से काम चल रहा है। हमारे पास विपक्ष के जुमलों का जवाब देने का समय नहीं है। इसके उलट हुड्डा आज नहीं बल्कि कई साल से कह रहे कि अगले जुमले नहीं होते तो 75 पार का नारा देने वाले 48 सीटों से 40 पर नहीं आते। बहरहाल कौन सही है और कौन गलत, इसका फैसला जनता पर छोड़ देते हैैं, लेकिन जुमलों पर राजनीति अभी और गरमाने के पूरे आसार हैं।
कांग्रेसियों का डर, खोदा पहाड़ निकली चुहिया
डर के आगे जीत है। एक सूत्र वाक्य देखने-सुनने में बड़ा अच्छा लगता है, परंतु डर अगर फिजूला हो तो क्या कहा जाए। कुछ ऐसा ही कांग्रेस के साथ हुआ। गुरुग्राम के कमान सराय में बने दशकों पुराने पार्टी दफ्तर को ढहाने का डर थिंक टैंक पर ऐसा चढ़ा कि सीधे हाई कोर्ट में केस ठोक दिया। मामले की सुनवाई शुरू हुई तो पता चला कि सरकार या नगर निगम ने कोई ऐसा नोटिस जारी नहीं किया जैसा कि कांग्रेस दावा कर रही है। केवल अंदेशे के चलते याचिका दायर कर दी गई। सरकार के आश्वासन के बाद जज ने याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद पार्टी नेता हालांकि सुकून में हैैं, मगर उनकी फजीहत भी कम नहीं हुई। ताज्जुब तो यह है कि इस केस की पैरवी के लिए कांग्र्रेस नेताओं ने अपने राष्ट्रीय नेता सलमान खुर्शीद तक को चंडीगढ़ बुला लिया था।
साहित्य सृजन के सारथी डॉ. केके खंडेलवाल
रिटायर्ड आइएएस और हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (हरेरा) गुरुग्राम के चेयरमैन डॉ. केके खंडेलवाल आजकल चर्चाओं में हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रेड की आइएएस पत्नी डॉ. धीरा खंडेलवाल के साथ साहित्य सृजन में जुटे खंडेलवाल ने साहित्य को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाई है। धीरा खंडेलवाल के आधा दर्जन से अधिक कविता संकलन आ चुके हैं तो डॉ. केके खंडेलवाल की दर्जन भर किताबें प्रकाशित हो चुकी। अब हरेरा चेयरमैन ने वायु प्रदूषण को रोकने व नियंत्रित करने के लिए नगर एवं आयोजना विभाग के प्रधान सचिव अपूर्व कुमार सिंह के साथ मिलकर 'द एयर, एक्ट 1981' पुस्तक लिखी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किताब का विमोचन करते हुए खंडेलवाल की शान में बहुत कुछ कहा। यह उनकी काबिलियत ही है कि हुड्डा सरकार में सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव रहे डॉ. खंडेलवाल मौजूदा भाजपा सरकार में भी सीएम की आंखों के तारे बने हुए हैैं। डॉ. खंडेलवाल की यह पुस्तक सरल भाषा में प्रदूषण को फैलने से रोकने के तरीके बताएगी।
...तो अधिकतर खेल सर्टिफिकेट निकलेंगे फर्जी
सूबे में जब से खिलाड़ियों का सरकारी नौकरियों में कोटा बढ़ा है, खेल ग्रेडेशन सर्टिफिकेट को लेकर हाय-तौबा मची है। पिछले दिनों आइएएस अशोक खेमका ने तो बकायदा खेल कोटे से एचसीएस अफसर बने एक निशानेबाज की नियुक्ति को ही चुनौती दे दी। इस मामले की जांच अभी चल रही है, लेकिन खेल से जुड़े पुराने दिग्गजों का दावा है कि अगर सही से खेल प्रमाणपत्रों की जांच करा दी जाए तो 70 फीसद सर्टिफिकेट फर्जी निकलेंगे। एक आयोग के सदस्य पूर्व सरकारों के अपने अनुभव बताते हैं कि कैसे एक प्रतिष्ठित खेल स्कूल में कोच के लिए उनकी चयन कमेटी ने नाम किसी का फाइनल किया और अंदरखाते नियुक्ति किसी और को दे दी गई। फर्जी नियुक्ति का पता भी तब चला जब मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया और उन्हें नोटिस मिल गया। अभी तक यह मामला अदालत में चल रहा है। उस दौरान फर्जी खेल प्रमाणापत्रों के सहारे कई लोगों की लाटरी लगी जो अब मजे से नौकरी कर रहे हैं।
मुखियाजी को पहले ही दे दिया था फीडबैक
दिल्ली विधानसभा चुनाव में गए हरियाणा भाजपा के नेताओं ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को मतदान से एक दिन पहले ही बैठक में जो फीडबैक दिया था, उसी के अनुरूप एग्जिट पोल के नतीजे आए हैं। हालांकि इस फीडबैक के बावजूद मुखियाजी ने राजनीतिक दांव-पेंच के चलते मीडिया में यही बयान दिया कि सरकार उनकी पार्टी की बनेगी। इसके बाद भाजपा के नेता हैरान रह गए कि उन्होंने जो फीडबैक दिया, उसके विपरीत मुखियाजी ने बयान कैसे दिया? बाद में दिल्ली चुनाव प्रबंधन संभाल रहे ज्यादा परिपक्व नेताओं ने बताया कि मुखियाजी के पास जरूर कोई न कोई ऐसा मंत्र होगा, जिसके आधार पर उन्होंने यह बयान दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि मुखियाजी के बयान में दम है या फिर एग्जिट पोल के नतीजों में।
एक बार में सिर्फ एक ही पंगा लेते हैं विज
पंगा लेने में माहिर राजनीतिक खिलाड़ी माने जाने वाले गृहमंत्री अनिल विज हार-जीत की परवाह नहीं करते। सीआइडी विवाद का पटाक्षेप होने के बाद अब वे एक नया पंगा लेने का ताना-बाना बुन चुके हैं। वैसे विज की एक खासियत है कि वे एक बार में सिर्फ एक ही बड़ा पंगा लेते हैं। इस बार वे आइपीएस अधिकारियों के तबादले परफॉर्मेंस के आधार पर करवाने के लिए ऐसा शोर मचा सकते हैं कि मुखियाजी सहित सीएमओ में उनके रुचिकर अधिकारी भी असहज हो जाएंगे। रुचिकर अधिकारियों के बारे में साफ कर दें कि राज्य में दो तरह के अधिकारी होते हैं। एक नीतिकर और दूसरे रुचिकर। नीतिकर अधिकारियों में नीति के तहत मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति होती है और रुचिकर अधिकारियों में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और सीआइडी प्रमुख शामिल होते हैं। असल में रुचिकर अधिकारियों की नियुक्ति में नीति नहीं मुखियाजी की रुचि देखी जाती है। प्रस्तुति - अनुराग अग्रवाल, बिजेंद्र बंसल एवं सुधीर तंवर)
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें