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चौधरी साहब जानते हैं उन्हें कब एंट्री मारनी है, पर सवाल है कब आएगा वह दिन, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें

राजनीति में ऐसी बहुत सी खबरें होती हैं जो अक्सर सुर्खियां नहीं बन पाती। आइए हरियाणा के साप्ताहिक कॉलम रियासत की सियासत में कुछ ऐसी ही खबरों पर नजर डालते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 12:51 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 12:51 PM (IST)
चौधरी साहब जानते हैं उन्हें कब एंट्री मारनी है, पर सवाल है कब आएगा वह दिन, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। पूर्व केंद्रीय इस्पात मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह हरियाणा भाजपा के कद्दावर नेता हैं। वह दीनबंधु छोटू राम के नाती हैं और रिश्ते में हुड्डा के ममेरे भाई लगते हैं। कांग्रेस को भारी मन से छोड़ने के बाद बीरेंद्र सिंह भाजपा में शामिल हुए तो पार्टी ने उन्हेंं राज्यसभा सदस्य बनाकर केंद्र में मंत्री बनाया। पत्नी प्रेमलता को विधायक बनाया और आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को सांसद बनवा दिया। अब जबकि प्रदेश में कथित किसान आंदोलन के नाम पर हंगामा हो रहा है तो चौधरी बीरेंद्र सिंह नजर ही नहीं आ रहे। पूछने पर पता चलता है कि चौधरी साहब अपने दिल्ली निवास पर एकांतवास में हैं और खुद को आइसोलेशन पर बताते हैं। बीरेंद्र सिंह समर्थक बताते हैं कि उन्हेंं कब एंट्री मारनी है, तय कर चुके हैं। एक दिन प्रकट होंगे, ऐसा तर्क देंगे कि विरोधियों में सन्नाटा छा जाएगा, लेकिन वह दिन आएगा कब। सवाल तो यह है।

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इसके अलावा विकल्प क्या था

कृषि विधेयकों का विरोध कर रहे किसानों पर पिछले दिनों कुरुक्षेत्र के पिपली में लाठीचार्ज हुआ। कई लोग घायल हो गए। उनके घायल होने के बाद राजनीति भी खूब हुई। सीएम मनोहर लाल उस समय मेदांता में भर्ती थे, इसलिए दुष्यंत चौटाला सारा कामकाज देख रहे थे। पिपली में लाठीचार्ज होते ही अंगुली जब दुष्यंत की ओर उठी तो उनके भाई दिग्विजय चौटाला ने मोर्चा संभालते हुए लाठीचार्ज की निंदा कर डाली।

दुष्यंत इस बात से हैरान कि आखिर लाठीचार्ज किसके कहने पर और क्यों हुआ? बात गृह मंत्री अनिल विज तक भी पहुंची। विज ने दो टूक कह दिया कि लाठीचार्ज हुआ ही नहीं। मैंने तो ऐसे कोई आदेश नहीं दिए। अब पुलिस विभाग के अधिकारियों पर बन आई है, लेकिन सब जानते हैं कि एसडीएम पर ट्रैक्टर चढ़ाकर जान लेने का प्रयास किया जाए तो स्थिति नियंत्रण में करने के लिए लाठीचार्ज के अलावा विकल्प ही क्या था।

यह बिल्लू भइया की पीड़ा है

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के विश्वासपात्रों में रहे डॉ. केसी बांगड अब उनके छोटे बेटे अभय चौटाला के निशाने पर हैं तो बड़े बेटे अजय की आंखों के तारे हैं। केसी बांगड हर किसी की सुनते हैं, लेकिन फैसले अपने दिमाग से करते हैं। अजय, दुष्यंत और दिग्विजय तीनों बांगड का सम्मान करते हैं। बरोदा चुनाव प्रचार में निकले अभय चौटाला के सामने किसी ने बांगड का नाम छेड़ दिया। कहा कि जजपा उन्हेंं चुनाव मैदान में उतार रही है। फिर क्या था। अभय चौटाला फट पड़े। कैमरे के सामने अभय ने ऐसी-ऐसी बातें कही कि हमें बताने में भी संकोच हो रहा है। इसके बावजूद इनेलो कार्यकर्ता अभय को दोष नहीं देते। कहते हैं- प्लीज बिल्लू (अभय) भइया की पीड़ा को समझिए। परिवार और पार्टी में जो हुआ सब कुछ बांगड़ का ही किया धरा है। बांगड़ चाहते तो न इनेलो टूटता। न जजपा बनती। न परिवार टूटता।

यह हृदय परिवर्तन है

राजनीति भी बड़ी गजब चीज है। कौन कब क्या कह जाए, किस बयान से कब पलट जाए और कब अपना रुख किसकी ओर करने लगे, कुछ नहीं कहा जा सकता। पूर्व सांसद राजकुमार सैनी को ही देखें। भाजपा से बागी होकर अपनी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी बना ली । लोकसभा चुनाव भी लड़ा और विधानसभा चुनाव में भी उतरे। जाटों को भला-बुरा कहकर पिछड़ों का नेता बनने की उनकी रणनीति खास कामयाब तो नहीं हो सकी, लेकिन उन पर चुनाव के दौरान हमले की आशंका हमेशा बनी रही। अब सैनी बरोदा के रण में किस्मत आजमाना चाह रहे हैं। वहां एक जनसभा में सैनी का दिल पूरी तरह से बदला हुआ नजर आया। बोले, दूसरी पार्टियों को कई बार मौके दिए। एक मौका हमें भी दीजिए। सैनी सभी जातियों को साथ लेकर चलने की बात कह रहे हैं। लोग उनके बदले रुख से हैरान हैं। शायद इसी को हृदय परिवर्तन कहते हैैं।


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