हरियाणा की सियासत में गहरा खाप व डेरों का असर, जिसे समर्थन दिया उसकी पौ बारह
डेरे हों या फिर खाप पंचायतें चुनावी जंग जीतने के लिए नेताओं ने उनके इर्द-गिर्द मंडराना शुरू कर दिया है। हरियाणा की राजनीति में इनका खासा असर है।
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। डेरे हों या फिर खाप पंचायतें, चुनावी जंग जीतने के लिए नेताओं ने उनके इर्द-गिर्द मंडराना शुरू कर दिया है। चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को पहले भले ही डेरों और खाप पंचायतों की याद न आई हो, लेकिन इन दिनों उनका डेरों और खापों के चक्कर लगाना लाजिमी है। सवाल राजनीतिक भविष्य का जो है। अगर बात बन गई और समर्थन मिला तो फिर बल्ले-बल्ले।
हरियाणा में खापों का प्रभाव जाट बहुल क्षेत्रों में ज्यादा है। प्रमुख रूप से कंडेला खाप, बिनैन खाप, सर्वजाट खाप, महम चौबीसी खाप और गठवाला मलिक खाप चुनावों में अहम भूमिका अदा करती हैं। इन पर सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों का फोकस बना हुआ है।
कंडेला खाप ने हालांकि अभी तक किसी को चुनाव में समर्थन पर निर्णय नहीं लिया है। जींद विधानसभा क्षेत्र में इस खाप का खासा प्रभाव माना जाता है। खाप प्रधान टेकराम कंडेला के भाजपा में आने के बाद समीकरण कुछ बदले हैं। इसके अलावा गठवाला मलिक खाप कई विधानसभा क्षेत्रों में अपने वजूद का दावा करती है। इनमें गन्नौर, गोहाना, बरौदा, जुलाना, पानीपत ग्रामीण, इसराना, हांसी और सफीदों क्षेत्र प्रमुख हैं। बीते चुनाव में इस खाप के समर्थन से कई विधायक विधानसभा में पहुंचे थे।
बात करें बिनैन खाप की तो नरवाना, टोहाना और उकलाना इसके प्रभाव वाले क्षेत्र माने जाते हैं। अन्य जाट क्षेत्रों में भी खाप अपना रसूख होने का दावा करती रही है। सर्व जाट खाप नवाना, टोहाना, उकलाना, बरवाला, हांसी, नारनौंद, कैथल व गोहाना क्षेत्रों में दबदबा होने का दम भरती है। जाट आंदोलन से इस खाप का उदय हुआ है।
महम चौबीसी खाप दो विचारधाराओं में बंटी हुई खाप है। इसका इतिहास चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने का रहा है। खाप ने अपने दम पर पंचायती उम्मीदवारों को जिताया भी है। खाप के अपने जीते उम्मीदवारों में हरस्वरूप बूरा, उमेद सिंह और प्रो. महा सिंह शामिल हैं। इसके अतिरिक्त समैण बिठमड़ा खाप से जुड़े सूबे सिंह समैण भी टिकट की दावेदारी करते रहे हैं।
पूरे प्रदेश में फैले अनुयायी
खापों के प्रभाव पर नजर डालने के बाद अगर डेरों को खंगावा जाए तो प्रदेश में डेरा सच्चा सौदा, डेरा समैण, संत निरंकारी मिशन और राधा स्वामी सत्संग सहित आधा दर्जन डेरों का खासा प्रभाव है। इनके अनुयायी व समर्थक किसी एक क्षेत्र में नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हैं। डेरा सच्चा सौदा मौजूदा समय में भी अपने दम पर कई सीटों के समीकरण बदलने की कुव्वत रखता हैं। इसलिए ही चुनावी समर में नेताओं का डेरों में सुबह-शाम चक्कर काटना सामान्य हो गया है।
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