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गांव-गांव लगेगी इंडस्‍ट्री, शामलात की बंजर जमीनों पर लगेंगे नए उद्योग, होगी रोजगार की बारिश

हरियाणा सरकार ने राज्‍य में औद्योगिक विकास के लिए बड़ी कार्ययोजना तैयार की है। अब राज्‍य के गांवाें की शामलात की बंजर जमीनों पर नए उद्योग लगेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 09:48 AM (IST)Updated: Thu, 21 May 2020 09:48 AM (IST)
गांव-गांव लगेगी इंडस्‍ट्री, शामलात की बंजर जमीनों पर लगेंगे नए उद्योग, होगी रोजगार की बारिश
गांव-गांव लगेगी इंडस्‍ट्री, शामलात की बंजर जमीनों पर लगेंगे नए उद्योग, होगी रोजगार की बारिश

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा सरकार ने राज्‍य में औद्योगिक विकास के लिए बड़ी कार्ययोजना तैयार की है। नई इंडस्ट्री स्थापित करने की संभावनाओं के बीच प्रदेश सरकार ने ऐसा फार्मूला तैयार किया है, जिससे न तो जमीन की किल्लत महसूस हो और न ही उद्यमियों को अपने उद्योग धंधे लगाने के लिए जमीन की आसमान छूती कीमतों का भुगतान करना पड़े। इसके साथ ही ग्राम पंचायतों की आमदनी बढ़े और ग्रामीण परिवेश के कुशल युवकों को अधिक से अधिक रोजगार मिल सके। इसके लिए सरकार ने गांवों में बेकार पड़ी अनुपयोगी शामलात की जमीनें 33 साल के पट्टे (लीज) पर देने की कार्य योजना तैयार की है।

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ग्राम पंचायतों की अनुपयोगी और बंजर जमीन उद्योगों को 33 साल के पट्टे पर देने की योजना

हरियाणा का उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, एमएसएमई निदेशालय, कृषि विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर रहे हैं। कृषि को छोड़कर इनमें से तीन विभाग डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के पास हैं। हरियाणा चूंकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बेहद करीब है, इसलिए यहां जमीन की कीमतें काफी महंगी हैं। नई इंडस्ट्री के लिए विदेशी कंपनियों की पहली पसंद हालांकि दिल्ली से सटा हरियाणा का इलाका है, लेकिन सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योग धंधे गांवों में भी स्थापित किए जा सकते हैं, जहां उन्हेंं सस्ती कीमत पर जमीन मिल सकती है।

हरियाणा में फिलहाल 158 ग्र्राम पंचायतें चिन्हित, जिनके पास 500 एकड़ से ज्यादा अनुपयोगी जमीन

हरियाणा में अभी 158 ग्राम पंचायतें ऐसी चिन्हित की जा चुकी हैं, जहां कम से कम 500 एकड़ तक शामलात की ऐसी जमीन उपलब्ध है, जिस पर कोई काम नहीं होता। यह जमीन खाली पड़ी हैं। होडल की एक पंचायत के पास 1900 एकड़ तक जमीन है। किसी भी अच्छी इंडस्ट्री के लिए 25 एकड़ जमीन में काम चल जाता है। फिलहाल गांवों में खेती के लिए यदि किसी को ठेके पर जमीन चाहिए तो वह 72 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से आसानी से उपलब्ध हो जाती है।

इंडस्ट्री को मिलेगी ग्रोथ, ग्राम पंचायतों की आय बढ़ेगी, ग्रामीण युवाओं को रोजगार के रास्ते खुलेंगे

यह रेट बेहद उपजाऊ खेती योग्य जमीन का है। अनुपयोगी और बंजर जमीन इससे काफी सस्ती मिल सकती है, लेकिन हरियाणा सरकार चाहती है कि उद्योग धंधों को शामलात की जमीन ऐसे रेट पर उपलब्ध कराई जाए, ताकि इंडस्ट्री मालिकों को भी परेशानी न हो और ग्राम पंचायतों की आय में भी उम्मीद से कहीं अधिक इजाफा हो जाए।

फिलहाल एक एकड़ के लिए दो लाख रुपये तक संभावित रेट तय किया गया है, लेकिन जो जमीन एनसीआर इलाके में है, उसका रेट बढ़ा हुआ भी हो सकता है। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय, पंचायत एवं विकास विभाग और राजस्व विभाग संभाल रहे हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से चर्चा के बाद इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने अधिकारियों को विस्तृत कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं, ताकि नई इंडस्ट्री को प्रोत्साहन मिल सके।

चीन से आने वाली कंपनियों के लिए संभावनाओं के द्वार

हरियाणा सरकार कुछ दिन पहले चीन से वापस आने वाली करीब 60 कंपनियों के साथ बातचीत कर चुकी है। उन्हेंं तमाम तरह की सुविधाओं के साथ सस्ती जमीन उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया गया है। यदि शामलात की जमीन 33 साल के लिए पट्टे पर देने का प्रोजेक्ट सिरे चढ़ता है तो जमीन की समस्या काफी हद तक खत्म हो सकती है। इसके अलावा कुटीर और मध्यम श्रेणी के उद्योग लगाने वाले कम पूंजी के मालिकों के लिए भी यह उमदा अवसर बन सकता है। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के अनुसार इसका बड़ा फायदा ग्रामीण युवाओं को रोजगार के रूप में भी होगा।

ग्राम सभा के एक तिहाई सदस्यों को करना होगा प्रस्ताव

हरियाणा की किसी भी ग्राम पंचायत को अपनी अनुपयोगी शामलात की जमीन को पट्टे पर देने के लिए पहले ग्राम सभा में प्रस्ताव पास कराना होगा। ग्राम सभा की बैठक में 18 साल या इससे ऊपर के एक तिहाई मतदाता यह प्रस्ताव पास कर सकते हैं। फिर ग्राम पंचायत की मंजूरी ली जाएगी, ताकि दोनों के बीच बाद में किसी तरह का विवाद खड़ा न हो। इसके बाद प्रस्ताव संबंधित विभाग के पास जाएगा, जो इंडस्ट्री को पट्टे पर देने की मंजूरी प्रदान कर देगा। इससे किसी भी ग्राम पंचायत को सालाना आमदनी होगी, जो गांवों के विकास में खर्च हो सकेगी।

शामलात जमीन पर विपुल गोयल और धनखड़ में हो चुका टकराव

हरियाणा की भाजपा सरकार अपने पिछले कार्यकाल में भी शामलात की जमीनें पट्टे पर देने के प्रस्ताव पर काम कर चुकी हैं, लेकिन मंत्रियों की आपसी खींचतान के चलते इस परियोजना पर काम आगे नहीं बढ़ सकता। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री के नाते पिछली सरकार में विपुल गोयल ने यह प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन तत्कालीन कृषि एवं पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ किसी सूरत में नहीं चाहते थे कि इस परियोजना पर काम आगे बढ़े। धनखड़ की सोच थी कि यदि शामलात की जमीनें पट्टे पर उद्योगों को दे दी गई तो इससे गांवों में प्रदूषण फैलेगा और साथ ही गोचरान की जमीन खत्म हो जाएगी। विकास परियोजनाओं के लिए भी जमीन की किल्लत आने लगेगी।

'पंचायतों की बढ़ेगी आय, ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार'

हरियाणा सरकार दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कटरा और कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ नए शहर बसाने तथा नई इंडस्ट्री लगाने की संभावनाएं तलाश रही है। यह अच्छी बात है। हमारे पास गांवों की अनुपयोगी शामलात की जमीन भी नई इंडस्ट्री की स्थापना के लिए बड़े विकल्प के रूप में सामने है। इससे उद्योगों को जमीन मिलेगी और ग्राम पंचायतों की आय बढ़ेगी। साथ ही ग्रामीण युवाओं को रोजागर मिलेगा। मुख्यमंत्री भी इसके हक में हैं। यह बेहद महत्वकांक्षी परियोजना है।

                                                                                          - दुष्यंत चौटाला, डिप्टी सीएम, हरियाणा।

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