हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ अदालत में जाएंगे औद्योगिक संगठन
हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में निजी क्षेत्र की नौकरियों में हरियाणवी लोगों को 75 फीसद आरक्षण के लिए कानून बनाने से औद्योगिक संगठन परेशान हैं। कई औद्योगिक संगठन इस कानून को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय उम्मीदवारों को 75 फीसद आरक्षण के कानून के प्रारूप को लेकर प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक संगठन परेशान हैं और इसे अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। उद्यमी फिलहाल कानूनी सलाह ले रहें हैं और पूरे मामले में अगली रणनीति पर मंथन में जुटे हैं। हरियाणा विधानसभा में पारित हुए स्थानीय उम्मीदवार नियोजन विधेयक-2020 को औद्योगिक संगठन उद्योग हित में नहीं मान रहे हैं। इसलिए प्रमुख औद्योगिक संगठन दीपावली के तुरंत बाद इस विधेयक के प्रारूप को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
नए कानून के प्रारूप को लेकर वरिष्ठ कानूनविदों से विचार विमर्श में जुटे उद्यमी
गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान जेएन मंगला का कहना है कि एसोसिएशन के पदाधिकारियों की दीपावली के बाद बैठक बुलाई जाएगी। इससे पहले इस बाबत उद्यमियों की एक टीम वरिष्ठ कानूनविदों से चर्चा कर रही है। आंध्र प्रदेश सरकार ने जो इस तरह का कानून अपने प्रदेश में बनाया था, उसके खिलाफ भी वहां के औद्योगिक संगठन हाईकोर्ट की शरण में जा चुके हैं। मंगला के अनुसार आंध्र प्रदेश के उद्यमियों से संपर्क के लिए भी फरीदाबाद के उद्योग संगठन की जिम्मेदारी लगाई गई है क्याेंकि वहां के संगठन के कुछ प्रतिनिधियों की आंध्र प्रदेश में भी औद्योगिक इकाई हैं।
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'' सरकार ने जो कानून बनाया है, हम इसमें कुछ संशोधन चाहते हैं। फिलहाल इस कानून का इसलिए भी ज्यादा असर नहीं होगा क्योंकि कोविड संक्रमण के चलते औद्योगिक विस्तार रुका हुआ है। सरकार को औद्योगिक विकास पर ध्यान देना चाहिए। इस तरह के कानून बनाने से पहले सरकार को उद्यमियों से जमीनी स्तर पर चर्चा करनी चाहिए थी।
- एचके बतरा, प्रधान, फरीदाबाद चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज।
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'' फरीदाबाद मेन्यूफेक्चरिंग एसोएिशन राज्य सरकार के नए कानून पर उन संगठनों के साथ है जो इसके खिलाफ अदालत में जाएंगे। यह कानून सरकार ने उद्योग हित देखकर नहीं बनाया। हरियाणा में 50 हजार से कम वेतन की नौकरियों पर काम करने वाले योग्य लोग मिलते ही नहीं हैं। इस कानून से औद्योगिक विकास थम जाएगा।
- अजय जुनेजा, प्रधान, एमएएफ।
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प्रवासियों पर टिप्पणी को लेकर भी शुरू हुआ विरोध
स्थानीय उम्मीदवार नियोजन विधेयक-2020 के उद्देश्यों को लेकर श्रम विभाग की तरफ से जो बातें प्रवासियों के लिए लिखी गई हैं, उन्हें लेकर अब राजनीतिक ही नहीं बल्कि श्रमिक संगठनों का भी विरोध शुरू हो गया है। इस विधेयक में कहा गया है कि यह कानून इसलिए बनाया जा रहा है कि प्रवासी मजदूर मलिन बस्तियों बनाकर राज्य के शहरों की मूलभूत सुविधाओं पर असर डाल रहे हैं।
आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के प्रदेश महासचिव बेचू गिरी का कहना है कि श्रम एवं उद्योग मंत्री दुष्यंत चौटाला के परदादा और दादा ने कभी मुख्यमंत्री रहते हुए प्रवासियों पर इस तरह की टिप्पणी नहीं की थी। वे जानते थे कि फरीदाबाद और पानीपत को उत्तर भारत का औद्योगिक हब प्रवासी मजदूरों ने ही बनाया है। इतना ही नहीं एक बार 1992 में जब तत्कालीन हरियाणा विकास पार्टी के मुखिया और पूर्व सीएम बंसीलाल ने यह मुद्दा छेड़ा था तो पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने उनका विरोध किया था।
गिरी का कहना है कि निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए 75 फीसद नहीं बल्कि सौ फीसद आरक्षण कर दें मगर इससे पहले सरकार को अपने प्रदेश के युवाओं का मनोविज्ञान तो पढ़ना चाहिए। जिन युवाओं को सरकार निजी क्षेत्र की नौकरियों का झांसा दे रही है, वे तो सरकारी नौकरी चाहते हैं। वैसे भी हरियाणा के लोग निजी क्षेत्र की बजाये सरकारी नौकरी या फिर फौज की नौकरी करने में विश्वास करते हैं।