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आधार लिंक से भी नहीं बनी बात, फैक्ट्रियों में जा रही किसानों की सब्सिडी वाली खाद

20 लाख टन खाद का इंतजाम है, फिर भी किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। आधार लिंक करने से भी नहीं बन रही। मिलीभगत से खाद फैक्ट्रियों में जा रही है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 25 Dec 2017 12:59 PM (IST)Updated: Mon, 25 Dec 2017 01:01 PM (IST)
आधार लिंक से भी नहीं बनी बात, फैक्ट्रियों में जा रही किसानों की सब्सिडी वाली खाद
आधार लिंक से भी नहीं बनी बात, फैक्ट्रियों में जा रही किसानों की सब्सिडी वाली खाद

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा की भाजपा सरकार को विरासत में मिले यूरिया खाद के संकट का इस बार भी सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार का दावा है कि उसके गोदाम में पर्याप्त खाद है, लेकिन लाइन में लगे किसानों को खाद उपलब्ध नहीं हो रही। किसानों को दी जाने वाली खाद पर चूंकि भारी सब्सिडी मिलती है, इसलिए अधिकतर यह खाद फैक्ट्रियों में पहुंच रही है। यह काम अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। यूरिया का ज्यादा इस्तेमाल प्लाईवुड फैक्ट्रियों में होता है, जिसकी मदद से गत्ता बनाने के लिए कच्चे माल को गलाया जाता है। कुछ खाद हरियाणा से बाहर भी जाने के आरोप लोग लगाते हैं।

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फैक्ट्री मालिकों व अफसरों की यह मिलीभगत हरियाणा सरकार की जानकारी में भी आ चुकी है, लेकिन इसे अभी तक पूरी तरह से रोका नहीं जा सका है। सरकार ने कालाबाजारी रोकने के लिए आधार कार्ड के जरिए खाद देने का एक प्रयोग किया है, जो पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया है। इसका असर यह हुआ कि किसानों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ रही  है और विपक्ष को तीन साल बाद एक बार फिर सरकार को घेरने का मौका मिल गया है।

विभिन्न जिलों में आधार कार्ड को लिंक करने के लिए जो मशीनें भेजी गई हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं तथा कई मशीनों में आधार लिंक नहीं हो रहा है। नतीजतन राज्य में पर्याप्त खाद होने के बावजूद किसानों में मारामारी मची हुई है। कई जिलों में तो महिलाओं को भी लाइन में लगे देखा गया है। यही हालात करीब तीन साल पहले भी थे।

20 लाख टन खाद हर साल चाहिए

प्रदेश में हर साल करीब 20 लाख टन खाद की जरूरत होती है। रबी की फसल के लिए  11.5 लाख टन तथा खरीफ की फसल के लिए 8.5 लाख टन खाद चाहिए।

5500 करोड़ हर साल सरकार करती है खर्च

हरियाणा सरकार हर साल खाद पर करीब 5500 करोड़ रुपये खर्च करती है। इसमें 3400 करोड़ रुपये की राशि सिर्फ सब्सिडी की होती है, जो किसानों को सस्ती खाद के रूप में दी जाती है। अब इस सब्सिडी को अफसरों की मदद से फैक्ट्री मालिक डकारने में लगे हैैं।

खाद की कालाबाजारी रोकने को दो प्रयोग दोनों ही फेल

यूरिया खाद का अवैध प्रयोग न हो, इसके लिए सरकार ने पहले तो खाद को नीम कोटेड कर दिया। फिर खाद का रिकार्ड आनलाइन रखने के लिए प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) मशीनों की व्यवस्था शुरू की। दोनों की व्यवस्था कारगर साबित नहीं हो पा रही हैं। नीम कोटेड यूरिया का इस्तेमाल प्लाइवुड फैक्ट्रियों में धड़ल्ले से हो रहा है। सीएम फ्लाइंग भी फैक्ट्रियों से नीम कोटेड यूरिया को पकड़ चुकी है। अब पीओएस मशीन नहीं चलने पर डीलर के पास यह डिब्बे में बंद हैं।

ताकि किसानों का पैसा किसानों के खाते में ही जाए

कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है कि हमें जानकारी मिली है कि कुछ खाद फैक्ट्रियों में जा रही है। आधार लिंक करने की व्यवस्था भी इसे रोकने का ही हिस्सा है। यह व्यवस्था किसानों के हित में है, ताकि सब्सिडी का पैसा किसानों के हित में ही खर्च हो सके। किसानों को यूरिया खाद को लेकर कोई भी परेशानी नहीं आने दी जाएगी। प्रदेश में लाखों टन यूरिया उपलब्ध है। आधार लिंक की नई व्यवस्था किसानों के हित में है और भविष्य में इसका लाभ उनको मिलेगा।

यह सरकार किसानों की दुश्मन बनी हुई है

इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला का कहना है कि यह सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी है। पहले ट्रैक्टर को व्यवसायिक श्रेणी में ला दिया, ताकि किसान अपने काम न कर सकें। फिर खाद खत्म कर दी। अब लोग मारे-मारे फिर रहे हैं। गांवों में बिजली नहीं आ रही। फसलों के दाम भी सही नहीं मिल रहे। खाद के साथ दवाइयां बेचनी शुरू कर दी। इस सरकार का भगवान ही मालिक है।

किसानों के बारे में इन्हें कुछ भी जानकारी नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हमारी सरकार में कभी खाद की कमी नहीं हुई। 2014 में जब भाजपा ने सत्ता संभाली थी, तभी से थानों में लाइनें लगनी शुरू हो गई थी। उन्होंने किसानों पर लाठी डंडे तक चलवाए। अब महिलाएं लाइन में लगी हुई हैं। पहाड़ पर जाकर किसानों की आय डबल करने का चिंतन करते हैं मगर इन्हें पता ही नहीं कि किसानों की आय डबल कैसे होगी।

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