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हरियाणा में किसानों को समझ आई पराली की अहमियत, 90 फीसद घटे फसल अवशेष जलाने के केस

हरियाणा में पराली जलाने के खिलाफ दैनिक जागरण की मुहिम रंग दिखा रही है। सरकार के पराली प्रबंधन के इंतजाम सफल हो रहे हैं। मौजूदा सीजन में अब तक सिर्फ 24 स्थानों पर ही पराली जली है। पिछले साल 160 केस थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 08:50 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 08:50 PM (IST)
हरियाणा में किसानों को समझ आई पराली की अहमियत, 90 फीसद घटे फसल अवशेष जलाने के केस
हरियाणा में घटे पराली जलाने के मामले। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूृरो, चंडीगढ़। हरियाणा में किसानों को पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने से रोकने के लिए दैनिक जागरण की मुहिम और प्रदेश सरकार द्वारा किए इंतजाम असर दिखा रहे हैं। धान कटाई का सीजन पीक पर होने के बावजूद इस बार खेतों से उठने वाला धुआं नाममात्र है। प्रदेश में अब तक पराली जलाने के 24 मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 160 स्थानों पर पराली जलाई गई थी। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल पराली जलाने के मामलों में 90 फीसद की गिरावट आई है।

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इसके उलट पड़ोसी प्रदेश पंजाब में 237 स्थानों पर पराली जलाई गई है। यानी कि हरियाणा से दस गुणा ज्यादा। पंजाब में पिछले साल समान अवधि में 1603 स्थानों पर पराली जलाई गई थी। 15 सितंबर से लेकर अब तक के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जीटी रोड बेल्ट में पराली जलाने में कुरुक्षेत्र सबसे आगे है। यहां सबसे ज्यादा 13, करनाल में पांच, कैथल में दो तथा अंबाला, सोनीपत, फतेहाबाद और यमुनानगर में पराली जलाने का एक-एक मामला सामने आया है। यदि पंजाब की बात की जाए तो अमृतसर जिला सबसे अव्वल है। यहां अभी तक 161 मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही तरनतारन में 34, लुधियाना में 19, पटियाला में 11, फरीदकोट में नौ, जालंधर में छह, फिरोजपुर में पांच, संगरूर व गुरदासपुर में चार-चार, कपूरथला में दो, फतेहगढ़ साहिब, फाजिल्का, मुक्तसर, रूपनगर व एसएएस नगर में एक-एक मामला सामने आया है।

निरंतर जागरूकता अभियान के चलते हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में हर वर्ष गिरावट आ रही है। प्रदेश के 13 जिले ऐसे हैं जहां धान का उत्पादन होता है। इन जिलों में 924 गांवों को संवेदनशील माना गया है क्योंकि पिछले साल इन्हीं गांवों में सर्वाधिक पराली जली। 199 गांवों को रेड तो 723 गांवों को आरेंज व येलो जोन में शामिल किया गया है। इन गांवों में चौकीदार, ग्राम सचिव व पटवारी की ओर से खेतों की निगरानी रखी जा रही है। कहीं भी आग लगाने का मामला सामने आता है तो तुरंत कार्रवाई की जाती है।

किसान उठा रहे कृषि यंत्रों का फायदा

पराली निस्तारण के लिए इस साल प्रदेश सरकार ने 250 करोड़ रुपये का बजट रखा है। किसानों को कृषि यंत्र मुहैया कराए जा रहे हैं, जिसके जरिये वे आसानी से पराली को बिना जलाए ही खेतों में मिलाकर उर्वरा शक्ति बढ़ा रहे हैं। पराली जलाने के मामलों की निगरानी के लिए प्रदेश मुख्यालय से लेकर जिला स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। सेटेलाइट के जरिये निगरानी रखी जा रही है।

पिछले साल भी पंजाब में उठा ज्यादा धुआं

पंजाब                     हरियाणा

अमृतसर      1015  अंबाला   22

गुरदासपुर     54     फतेहाबाद 15

कपूरथला      22     कैथल    21

गुरदासपुर     54     करनाल 46

लुधियाना      34      कुरुक्षेत्र  31

पटियाला      63      पानीपत 06

संगरूर       17       सिरसा 01

तरनतारन    317    यमुनानगर 10

(नोट : आंकड़े 15 सितंबर 2020 से चार अक्टूबर 2020 तक के हैं।)

किसान उठा रहे सब्सिडी का फायदा

हरियाणा कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा का कहना है कि पराली प्रबंधन के लिए कृषि विभाग ने करीब 250 करोड़ रुपये का बजट रखा है। किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी गई है ताकि वे पराली को खेत में ही नष्ट कर सकें। इसके साथ ही किसानों को पराली प्रबंधन पर एक हजार रुपये प्रति एकड़ भी दिए जा रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश में पराली में आग लगाने के मामलों में लगातार कमी आ रही है। पराली जलाने वाले किसानों को पांच हजार रुपये का जुर्माना किया जा रहा है।


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