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हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय, प्रशासनिक हित में जारी तबादला आदेश पर कोर्ट को नहीं करना चाहिए हस्तक्षेप

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक हित में किसी भी प्राधिकारी द्वारा पारित स्थानांतरण आदेशों को लेकर अदालतों द्वारा किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 01:39 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 01:41 PM (IST)
हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय, प्रशासनिक हित में जारी तबादला आदेश पर कोर्ट को नहीं करना चाहिए हस्तक्षेप
हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय, प्रशासनिक हित में जारी तबादला आदेश पर कोर्ट को नहीं करना चाहिए हस्तक्षेप

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि प्रशासनिक हित में किसी भी प्राधिकारी द्वारा पारित स्थानांतरण आदेशों को लेकर अदालतों द्वारा किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस सुधीर मित्तल ने यह आदेश चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में बतौर क्लर्क कार्यरत पूर्व सैनिक संदीप कुमार की याचिका पर दिए हैं। 

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पीठ ने कहा कि अदालतों द्वारा स्थानांतरण को नियमित केस मानकर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। एक प्रशासनिक अधिकारी द्वारा जरूरत के अनुसार प्रशासनिक हित में पारित आदेशों के साथ कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि किसी वैधानिक प्रविधान का उल्लंघन न होता हो। इस प्रकरण में याची संदीप कुमार ने अपने 20 मई के तबादला आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उसे कृषि विज्ञान केंद्र भिवानी से हिसार में विश्वविद्यालय परिसर में स्थानांतरित किया गया था।

याची लगभग 17 वर्षों तक भारतीय नौसेना की सेवा करने के बाद नवंबर 2019 में कृषि विश्वविद्यालय हिसार में क्लर्क के रूप में भर्ती हुआ था। दिसंबर 2019 में उन्होंने अपनी बीमार मां की हवाला देते हुए हिसार से भिवानी में अनुकंपा के आधार पर अपने स्थानांतरण करने का अनुरोध किया था। उनके अनुरोध पर 10 जनवरी को उन्हेंं भिवानी स्थानांतरित कर दिया गया। हालांंकि, चार महीने के भीतर, उन्हेंं वापस हिसार भेजने का आदेश जारी कर दिया गया। उसकी जगह पर एक महिला कर्मचारी को तैनात कर दिया गया। इसी के खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

सुनवाई के दौरान महिला कर्मचारी ने तर्क दिया कि उसे रोजाना भिवानी से हिसार की यात्रा करनी पड़ती थी , लेकिन रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर के कारण, उसका सफर बेहद कठिन हो गया था। उनके अनुसार विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा उसकी स्थिति को देखकर ही उसे भिवानी में तैनात करने का आदेश दिया गया है। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने माना कि याची अपने तबादले के खिलाफ कोई ठोस तथ्य पेश नहीं कर पाया।

महिला कर्मचारी को फरवरी 2020 में रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हुआ है। वह भिवानी में रहती है और उसे हिसार में रोजाना आवागमन करना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों में याची की दलील की उसे भिवानी में रखा जाए उचित नहीं ठहराया जा सकता। प्रशासनिक अधिकारियों ने हालात के अनुसार जो निर्णय लिया है वह उचित है।


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