गुरुग्राम के नरगिस हत्याकांड में हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, CBI को ट्रायल कोर्ट में सौंपनी होगी रिपोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि चार्जशीट दाखिल करने के बाद अगर किसी मामले की जांच सीबीआइ को दी गई हैै तो उसे जांच रिपोर्ट सीबीआइ कोर्ट को सौंपने के बजाय ट्रायल कोर्ट को सौंपनी होगी।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में व्यवस्था दी है कि अगर किसी मामले में स्थानीय पुलिस ने केस में चार्जशीट पेश कर दी है और बाद में जांच सीबीआइ को दी जाती है तो उस स्थिति में सीबीआइ अपनी रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट में सौंपेगी न की सीबीआइ अदालत में।
हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव शर्मा पर आधारित बेंच ने इस बाबत फरवरी माह में सुरक्षित किए गए अपने फैसले को सुनाते हुए यह व्यवस्था दी। इस मामले में गुरुग्राम की एक महिला नरगिस की घर में घुसकर अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी थी। गुरुग्राम पुलिस ने 2 दिसंबर 2010 को इस मामले में एफआइआर दर्ज की थी। इसके बाद महिला के पिता ने मृतका के पति राकेश जुनेजा व अन्य रोजी के खिलाफ शिकायत देते हुए दोनों के हत्या में शामिल होने की बात कही थी।
इसके बाद पुलिस ने दोनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी। फिर से ही रोजी फरार थी और उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। रोजी की अर्जी पर डीजीपी ने इस मामले में जांच के लिए एसआइटी गठित की थी और जांच में एसआइटी ने दोनों को निर्दोष मानते हुए अनट्रेस रिपोर्ट दाखिल की थी जिसे खारिज कर दिया गया।
इस दौरान राकेश जुनेजा ने ट्रायल कोर्ट में अर्जी देकर उसे रिहा करने की मांग की, जिसे खारिज कर दिया गया। इस आदेश को जुनेजा ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और हाई कोर्ट ने जांच सीबीआइ को सौंप दी थी और ट्रायल पर रोक लगा दी थी। सीबीआइ ने इस केस में क्लोजर रिपोर्ट तैयार की, जिसका मृतक महिला के पिता ने विरोध किया, लेकिन सीबीआइ अदालत पंचकूला ने सीबीआइ की रिपोर्ट को मंजूर कर लिया जिसे चुनौती देते हुए पिता ने हाई कोर्ट की शरण ली।
पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए सिंगल बेंच ने सवाल उठाया कि एडिशनल सेशन जज गुरुग्राम के पास ट्रायल अभी लंबित है तो कैसे सीबीआइ अदालत इस केस में फैसला सुना सकती है। केस को डिविजन बेंच को रेफर किया गया और अब खंडपीठ ने इस मामले में कानून को स्पष्ट किया है।
खंडपीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के बाद जांच सीबीआइ को सौंपी जाए तो सीबीआइ अपनी रिपोर्ट सीबीआइ अदालत में नहीं बल्कि जहां ट्रायल लंबित है वहां सौंपेगी। ट्रायल कोर्ट इस रिपोर्ट पर अपना विवेक इस्तेमाल कर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगी। जब तक ट्रायल को ट्रांसफर करने के आदेश न हों तब तक ट्रायल कोर्ट में ही रिपोर्ट सौंपना जरूरी है।