Move to Jagran APP

हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, तलाक व पति की मौत के बाद घरेलू हिंसा का केस कानून का दुरूपयोग

हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ कर दिया कि पति की मौत के बाद उसके परिजनों पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाना कानून का दुरूपयोग करने जैसा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 06:55 PM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 07:26 PM (IST)
हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, तलाक व पति की मौत के बाद घरेलू हिंसा का केस कानून का दुरूपयोग
हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, तलाक व पति की मौत के बाद घरेलू हिंसा का केस कानून का दुरूपयोग

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ कर दिया कि पति की मौत के बाद उसके परिजनों पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाना कानून का दुरूपयोग करने जैसा है। इस मामले में एक महिला ने हाई कोर्ट में केस दायर किया था। महिला अपने पति से कई साल से अलग रह रही थी। उसका पति से तलाक भी हो चुका था। उसने हाई कोर्ट में केस दायर कर पति के परिजनों के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत की थी। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले कानून के दुरूपयोग का एक उदाहरण हैं।

loksabha election banner

मामले में पत्नी ने अपनी याचिका में कहा था कि वह जम्मू की रहने वाली है। उसने अंबाला के एक व्यक्ति से मंदिर में विवाह किया था। 1995 में उनका विवाह हुआ था, लेकिन दो साल से पहले ही दोनों में मतभेद हो गया और वह अपने घर जम्मू आ गई। इसके बाद उसके पति ने उसके खिलाफ तलाक का केस दाखिल कर दिया, जिसमें एक्स पार्टी ऑर्डर के तहत तलाक को 2001 में मंंजूरी मिली गई।

हालांकि उसके पति ने 2003 में साथ में रहने की सहमति जताई थी। इसके बाद 2005 में एक और याचिका दाखिल कर तलाक दिए जाने की मांग की जो खारिज हो गई। इसके बाद 2010 में पति की मौत हो गई और पति के भाइयों ने याची के पति के फर्जी हस्ताक्षर कर सारी प्रॉॉपर्टी और बिजनेस अपने नाम कर लिया। इसके खिलाफ याची गुजारा भत्ता दिए जाने के लिए अंबाला जेएमआइसी के पास अर्जी दी जिसे मंजूर कर उसे गुजारा भत्ता देने के आदेश जारी किए गए थे, जिसे सेशन कोर्ट ने खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जब 2001 में दी गई तलाक की डिक्री को अवैध ही करार नहींं दिया गया तो वह अभी भी वैध है। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई प्रमाण नहींं दिया गया जिससे यह साबित होता हो कि याची पति के साथ उनके भाइयों के सांझा घर में लंबे समय के लिए रही है। ऐसे में याची के पति के भाई उसको गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य नहीं है।

हालांकि हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पति की मौत हो चुकी है तो भी तलाक के आदेश को चुनौती दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने माना कि इस मामले में पत्नी ने पति की मौत के बाद अपने ससुराल पक्ष के खिलाफ घरेलू हिंसा काा मामला भी दर्ज करवाया जो कानून के दुरुपयोग का नमूना है।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.