इम्युनिटी मजबूत, पर तनाव, विवाद व गंभीर बीमारियां नहीं झेल पा रहे हरियाणवी
हरियाणा में पिछले साल 4191 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें 3297 पुरुष और 894 महिलाएं शामिल हैं। हर रोज कम से कम 11 लोग खुदकुशी कर रहे हैं।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। देश के बाकी राज्यों की तरह हरियाणा के लोगों में भी आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। आत्महत्या करने वालों में पुरुष ज्यादा हैं। यहां के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) काफी अच्छी है। आठ प्रतिशत यानी करीब 22 लाख लोगों में कोरोना आकर चला भी गया, लेकिन उन्हें पता ही नहीं चला कि कोरोना कब आया और कब गया। उनमें एंटी बॉडी डेवलेप हो गए। इसके बावजूद मानसिक तनाव, घरेलू विवाद, वैवाहिक संबंधों में तनातनी तथा लंबी बीमारियों के चलते लोग हौसला तोड़ रहे हैं। ऐसे लोगों को न केवल अपनेपन की जरूरत है, बल्कि काउंसलिंग के जरिये वे अपने जीवन को तनावरहित तथा सुखद बना सकते हैं।
वर्ष 2019 में देश में 32.4 प्रतिशत लोगों ने घरेलू परेशानियों की वजह से आत्महत्या की है। इनमें वैवाहिक विवाद शामिल नहीं हैं। 5.5 फीसद लोगों ने वैवाहिक संबंधों में तनाव के चलते तथा 17.1 प्रतिशत लोगों ने बीमारियों से पीड़ित होने की वजह से अपनी जान दी है। यह तीन बड़े कारण ऐसे रहे, जिनके कारण देश में 55 प्रतिशत लोगों ने खुद ही अपनी जान दे दी।
आत्महत्या करने वालों में 53.6 फीसद लोगों ने फांसी या फंदा लगाकर, 25.8 प्रतिशत ने जहर खाकर, 5.2 फीसद लोगों ने पानी में डूबकर, 3.8 प्रतिशत ने स्वयं को आग के हवाले कर तथा 2.4 प्रतिशत लोगों ने ने रेल या किसी दूसरे वाहन के आगे कूदकर अपनी जीवनलीला खत्म कर ली है।
हरियाणा के आंकड़े भी चौकाने वाले हैं। वर्ष 2019 में प्रदेश में 4191 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें 3297 पुरुष और 894 महिलाएं शामिल हैं। यानी हर रोज कम से कम 11 लोगों ने आत्महत्या की है। वर्ष 2019 में देश में आंकड़ा 1.39 लाख आत्महत्याओं का रहा है। हरियाणा में हुई आत्महत्याएं देश में कुल हुई आत्महत्याओं का तीन प्रतिशत है। हालांकि प्रदेश में आत्महत्या दर 14.5 रही, जो राष्ट्रीय दर से 4.1 प्वाइंट ऊपर रही। इससे पिछले वर्ष 2018 में हरियाणा में यह संख्या 3547 थी। एक वर्ष में इस संख्या में 644 अर्थात 18.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
फरीदाबाद में वर्ष 2019 में 265 लोगों ने आत्महत्या की
देश में 10 लाख की आबादी से ऊपर 53 महानगरों में हरियाणा का फरीदाबाद शहर भी शामिल है, जहां की आबादी 14 लाख से ऊपर है। फरीदाबाद में वर्ष 2019 में 265 लोगों ने आत्महत्या की, हालांकि 2018 में यह आंकड़ा 149 था। एक वर्ष के भीतर ही फरीदाबाद में हुई आत्महत्याओं में 116 अंकों की वृद्धि हुई है। पडोसी राज्य पंजाब में वर्ष 2019 में 2357 लोगों ने आत्महत्या की, जबकि 2018 में यह संख्या 1714 थी, जिस कारण यहां एक वर्ष में 37.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, मगर हरियाणा की अपेक्षा पंजाब में आत्महत्या करने का आंकड़ा काफी कम है।
चंडीगढ़ में स्थिति संभली
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में यह आंकड़ा क्रमशः 131 और 160 का रहा। चंडीगढ़ राज्य में आत्महत्या करने वालों की संख्या में एक वर्ष में 29 अंकों की कमी आई है। देश में सबसे अधिक आत्महत्याएं महाराष्ट्र में हुई, जिनकी संख्या 18 हज़ार 916 है, जबकि सबसे कम 41 नागालैंड राज्य में हुई हैं।
क्या कहते हैं एडवोकेट
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार सवा दो वर्ष पूर्व 29 मई 2018 से पूरे देश में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम 2017 लागू होने के बाद आत्महत्या का प्रयास करने वाले एवं उसमें असफल रहने वाले किसी भी व्यक्ति पर पुलिस द्वारा सीधे तौर पर भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 309 के तहत सीधे मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। 2017 के कानून की धारा 115 में स्पष्ट उल्लेख है कि आइपीसी की धारा 309 में आत्महत्या करने के प्रयास के संबंध में कुछ भी उल्लेख होने के बावजूद अगर कोई व्यक्ति जो आत्महत्या का प्रयास करता है, जब तक अन्यथा साबित न किया जाए, उसको गंभीर दबाव से ग्रस्त माना जाएगा और धारा 309 आइपीसी के तहत उसके विरूद्ध न तो अदालत में आपराधिक मामला चलाया जा सकता है और न ही इस अपराध के लिए उस व्यक्ति को कोई दंड दिया जाएगा।
केंद्र एवं राज्य सरकारों को इस अधिनियम के तहत यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि ऐसे गंभीर दबावग्रस्त व्यक्तियों को, जिन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया है, उनके भीतर भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति रोकने के लिए उनकी समुचित देखभाल की जाए, उपचार दिलाया जाए तथा उनके पुनर्वास का उचित प्रबंध किया जाए। एडवोकेट हेमंत ने बताया कि अगर पुलिस या परिवार के किसी व्यक्ति को कोई संदेह है तो आगे जांच जारी रखा जा सकती है। जैसे कि वर्तमान में सीबीआइ द्वारा फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के केस में जांच की जा रही है।
एडवोकेट हेमंत के अनुसार आत्महत्या करने वाला अगर इस कृत्य में सफल रहे तो आइपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 309 में आत्महत्या के प्रयास को अपराध बनाया गया है, जिसमें एक वर्ष तक का कारावास (जेल) या जुर्माना या दोनों न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा दंड के रूप में दिया जा सकता है। यह अपराध संज्ञेय (कॉग्निजेबल) और बेलेबल (जामानती) अपराध है। संज्ञेय अपराध वह होता है, जिसमें पुलिस बिना वारंट के किसी आरोपित को गिरफ्तार कर सकती है। हालांकि इस अपराध में अदालत द्वारा आरोपित को श्रमदान के लिए नहीं कहा जा सकता।