चुनाव में गर्माएगा अवैध कॉलोनियों और आशियाने का मुद्दा
चुनावी गर्माहट के साथ मुद्दे भी गर्माने लगे हैं।
राजेश मलकानियां, पंचकूला : चुनावी गर्माहट के साथ मुद्दे भी गर्माने लगे हैं। पंचकूला में सबसे ज्यादा वोट कॉलोनियों एवं आशियाना फ्लैटों में रहने वाले लोगों के हैं और यहां लगभग हर बार 80 से 90 प्रतिशत वोटिंग होती है। हर नेता इन लोगों का वोट लेने के लिए जोर लगाता है और अकसर चुनाव के बाद इन लोगों को ही सबसे ज्यादा समस्याओं से जूझना पड़ता है। चुनाव से पहले जहां नेता इनके दरवाजे पर होते हैं, वहीं, चुनाव के बाद पांच साल तक नेताओं के दरवाजे इन कॉलोनी वालों के लिए खुलते भी नहीं। पिछले कई सालों से राजीव कॉलोनी, इंदिरा कॉलोनी, मद्रासी कॉलोनी, खड़क मंगौली समेत आशियाना फ्लैटों वाले समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई करने नहीं आया। मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसे
राजीव कॉलोनी, इंदिरा कॉलोनी, खड़क मंगौली, मद्रासी कॉलोनी में हजारों वोटर हैं। सरकार ने इन कॉलोनियों को अवैध करार देते हुए इनमें मूलभूत सुविधाएं देने पर भी रोक लगा दी थी। पंचकूला नगर परिषद के चुनाव 2003 से 2008 के बीच गलियों का निर्माण हुआ, 2008 से 2018 के बीच राजीव एवं इंदिरा कॉलोनी में चार गलियों के बीच चार टेंडर किए गए थे, जिसमें से राजीव कॉलोनी की दो ही गलियों का निर्माण हुआ। इंदिरा कॉलोनी में स्ट्रीट लाइटों, गली, नाली सहित अन्य कोई कार्य नहीं किया गया। 2010 में दो ट्यबवेल लगाए गए, उसके बाद कॉलोनी में पानी की समस्या हल नहीं हुई और अब कई बार नए ट्यूबवेल की मांग हुई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
प्लॉटों का लॉलीपाप चूसते रहे लोग
तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. भजन लाल ने 1995 में राजीव एवं इंदिरा कॉलोनी वालों के लिए एक-एक मरला के प्लॉट देने की योजना बनाई थी, जिसके तहत कॉलोनीवालों के लगभग 34 लाख रुपये एचएसवीपी के पास जमा हैं। अलॉटमेंट पत्र भी जारी कर दिया था, लेकिन उसी बीच सरकार चलती बनी और प्लॉट मिलने का सपना अधूरा रह गया। कॉलोनी वाले प्लॉट के लिए संघर्ष करते रहे और दोबारा वर्ष 2009 में आशियाना स्कीम निकाल दी गई। जिसके तहत जो कॉलोनीवाले कोर्ट गए थे, उन्हें ही आशियाना फ्लैट का हकदार माना गया। परंतु राजीव एवं इंदिरा कॉलोनी वाले संपदा अधिकारी पंचकूला ने गुमराह करके लगभग 77 लाख रुपये फ्लैटों के नाम पर जमा करवा लिए गए। इन दोनों कॉलोनी वालों से लगभग 1.10 करोड़ एचएसवीपी ने जमा करवा लिए, परंतु प्लॉट और फ्लैट कब मिलेंगे, कोई पता नहीं। बीपीएल कार्ड भी नहीं बने
पिछले लगभग 6 साल से गरीब तबके के लिए सरकार के बीपीएल कार्ड की स्कीम भी बंद पड़ी है। बीपीएल कार्डों के लिए सर्वे की घोषणा भी की गई थी, लेकिन आज तक कोई सर्वे करने नहीं आया। बीपीएल कैटेगरी के असली हकदार सरकार की स्कीम का लाभ ही नहीं उठा पाए।
जब से भाजपा सरकार आई है, कई बार विधायक, सांसद एवं सीएम से मिले और ज्ञापन दिया, परंतु आज तक कोई सुनवाई नहीं की गई। ऊपर से विधायक ने कॉलोनी के लोगों को फर्जी वोटर कह दिया। जो हम गरीबों को फर्जी कहते हैं और अगर भाजपा के नेताओं में इंसानियत है, तो वह हमारे पास वोट मांगने नहीं आएं।
-डॉ. रामप्रसाद, महासचिव, राजीव-इंदिरा लेबर वेलफेयर एसोसिएशन पंचकूला का विकास करने के लिए सभी को योगदान देना चाहिए। परंतु कॉलोनियों के साथ सौतेला व्यवहार होता है। हर बार चुनाव में कॉलोनी वालों को प्लॉट देने का लॉलीपॉप दे देते हैं, परंतु चुनाव के बाद भूल जाते हैं। भाजपा सरकार के आने के बाद हर कोई परेशान है।
-हरेंद्र सैनी, पूर्व पार्षद, इंदिरा कॉलोनी इस बारे में सीएम से बात हुई थी, उन्होंने कहा है कि मैं पिछली सरकार से बढि़या काम करके दूंगा। हम लोगों ने ढील बरती हुई थी। चुनाव खत्म होने के बाद फिर से इस मुद्दे को फिर से सीएम के समक्ष उठाउंगा। हम लोग तो प्लॉट माग रहे हैं, लेकिन फिर भी यदि फ्लैट दें, तो कम से कम दो कमरे का तो होना ही चाहिए।
राजकुमार जैन, प्रधान, राजीव-इंदिरा लेबर वेलफेयर एसोसिएशन