जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रहे हरियाणा के चर्चित आइएएस अधिकारी अशोक खेमका खुद भ्रष्टाचार के आरोप में अपने ऊपर दर्ज एफआइआर रद करवाने के लिए हाई कोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं। मंगलवार को हाई कोर्ट के जस्टिस अविनाश झींगन ने खेमका की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार व संजीव वर्मा को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
कोर्ट ने खेमका को मामले की जांच में सहयोग करने का भी आदेश दिया है। खेमका के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में पंचकूला के सेक्टर पांच थाने में एफआइआर दर्ज की गई थी। अशोक खेमका पर आरोप है कि वर्ष 2010 में हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के एमडी पद पर रहते हुए प्रथम श्रेणी के दो अधिकारियों की गलत ढंग से नियुक्तियां की गईं। यह दोनों अधिकारी मैनेजर रैंक के हैं। हरियाणा वेयर हाउस कार्पोरेशन के एमडी संजीव वर्मा की शिकायत पर यह एफआइआर दर्ज की गई थी।
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अशोक खेमका वर्तमान में हरियाणा के विज्ञान एवं तकनीक विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं। हाई कोर्ट में खेमका ने दलील दी की वह प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं और उनके विरुद्ध सीधे एफआइआर कराना सर्विस रूल्स के खिलाफ है। संजीव वर्मा ने खेमका के विरुद्ध दो शिकायतें पंचकूला पुलिस को दी थी, जिन्हें एक एफआइआर में ही मर्ज कर दिया गया था।
यही नहीं, अशोक खेमका ने भी संजीव वर्मा पर मानहानि व उत्पीड़न के आरोप में पंचकूला थाने में ही एफआइआर दर्ज कराई है। खास बात यह है कि अशोक खेमका के साथ एफआइआर दर्ज कराने के लिए गृह मंत्री अनिल विज भी थाने पहुंचे थे। विज ने खेमका व वर्मा की सुलह कराने का भी प्रयास किया, लेकिन उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली।
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