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हरियाणा में आइएएस और आइपीएस लॉबी में हो सकता है टकराव

हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान हिंसा के कारण पद से हटाए गए सीआइडी प्रमुख शत्रूजीत कपूर को बिजली निगम का चेयरमैन बनाने से अफसरों में अंदरखाने रोष है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2016 03:07 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2016 04:31 PM (IST)
हरियाणा में  आइएएस और आइपीएस लॉबी में हो सकता है टकराव

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान सीआइडी प्रमुख के पद से हटाए गए शत्रुजीत कपूर की मुख्यधारा में वापसी हर अधिकारी की जुबान पर है। पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के शिकार हुए आइपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर को अब बिजली निगमों में अपनी काबलियत साबित करनी होगी। इससे आइपीएए और आइएएस लॉबी में टकराव की आशंका है। इससे राज्य सरकार के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।

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बिजली निगमों के चेयरमैन पर हमेशा आइपीएस अधिकारी की नियुक्ति होती आई है। यह पहला मौका है, जब आइएएस अधिकारियों को नजर अंदाज करते हुए सरकार ने बिजली निगमों की हालत सुधारने के लिए आइपीएस अधिकारी पर भरोसा जताया है।

पूर्व सीआइडी प्रमुख को बिजली निगमों का चेयरमैन बनाने से आइएएस लॉबी खफा

बिजली निगमों में कपूर की नियुक्ति से आइएएस और आइपीएस लाबी में टकराव के हालात पैदा हो गए हैैं। कपूर शुरू से ही मुख्यमंत्री की पसंद रहे हैैं, लेकिन प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट में उठी अंगुली के कारण कपूर को सीआइडी प्रमुख के पद से हटाना पड़ा था। प्रकाश सिंह की रिपोर्ट पर सरकार भी एकमत नहीं है। इसी का लाभ उठाते हुए कपूर की मुख्यधारा में वापसी की राह आसान हुई है।

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अपनी जासूसी कराने के विवाद के बाद कपूर को पसंद नहीं करते, लेकिन उनके द्वारा ही प्रकाश सिंह की रिपोर्ट को कठघरे में खड़ा किया गया था। इसका फायदा यह हुआ कि सरकार के लिए कपूर को बिजली निगमों के चेयरमैन पद पर बैठाना आसान हो गया है।

कपूर की नियुक्ति के पीछे सरकार बिजली निगमों की जर्जर हालत, कर्ज और लाइन लॉस को सुधारने का तर्क दे रही है, लेकिन आइएएस लाबी कपूर की नियुक्ति से खुश नहीं है और सरकार के इस फैसले को अपनी काबलियत पर सवाल खड़ा होने के रूप में ले रही है। बिजली निगमों का घाटा करीब 32 हजार करोड़ तक पहुंच चुका है। कर्ज की सीमा भी लगातार बढ़ती जा रही है। लाइन लॉस 20 से 70 फीसद तक है।


हरियाणा सचिवालय से लेकर जिला मुख्यालयों तक में अफसरों के बीच सिर्फ कपूर की नियुक्ति की ही चर्चाएं हैैं, मगर जितने भरोसे से सरकार ने कपूर को नई नियुक्ति दी है, उससे लग रहा कि कपूर सरकार की मंशा पर खरा उतरने का कोई मौका नहीं चूकने वाले हैैं।

कपूर से पहले भारती अरोड़ा और ओपी सिंह पर भी खेले गए थे दांव

प्रदेश सरकार ने किसी आइपीएस अधिकारी को उसकी ड्यूटी से अलग चार्ज देने का प्रयोग तीसरी बार किया है। पिछली हुड्डा सरकार में आइपीएस अधिकारी ओपी सिंह खेल निदेशक के पद पर लगाए गए थे। दूसरा प्रयोग मनोहर सरकार ने आइपीएस अधिकारी भारती अरोड़ा के मामले में किया। भारती को राई स्थित स्पोट्र्स स्कूल के निदेशक पद पर तैनात किया गया। अब तीसरा प्रयोग शत्रुजीत कपूर के रूप में हुआ है, जिन्हें बिजली निगमों के चेयरमैन-निदेशक के तकनीकी पदों पर जिम्मेदारी सौंपी गई है। कपूर से पहले के प्रयोग बहुत अच्छे रहे हैैं, इसे आइएएस लाबी मानने को तैयार नहीं है।

जाट आंदोलन के बाद से आइएएस और आइपीएस में मतभेद

प्रकाश सिंह की रिपोर्ट के आधार पर आइएएस और आइपीएस अधिकारियों के बीच पहले से ही रिश्ते खराब हैैं। आइएएस अधिकारी जहां दंगों के लिए आइपीएस को दोषी मानते हैैं, वहीं आइपीएस अधिकारियों ने इसका दोष आइएएस अधिकारियों के सिर मढ़ रखा है। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पांच आइपीएस अधिकारियों से जवाब तलब कर मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंप चुके हैैं, जबकि चार आइएएस अधिकारियों का जवाब आना बाकी है। एक आइएएस अनीता यादव अपना जवाब कार्मिक विभाग की सचिव नीरजा शेखर को सौंप चुकी हैैं।


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