राजेश मलकानियां, पंचकूला : हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण का ऑनलाइन सिस्टम परेशान और भ्रष्टाचार कम करने के बजाय बढ़ाता नजर आ रहा है। इस सिस्टम में यदि एक बार फाइल रिजेक्ट हो गई, तो दोबारा प्रोसेस करने के लिए फिर से धक्के खाने पड़ते है। इसलिए जब तक सेटिंग न हो, तब तक फाइल पास होने की संभावना बहुत कम रहती है। जेई, फिर उसके बाद असिस्टेंट, लीगल, अकाउंट्स ऑफिसर से होती हुई ईओ के पास जाती है, यदि यहा इनमें किसी भी जगह ऑब्जेक्शन लग गया, तो फिर फाइल का प्रोसेस दोबारा करना पड़ता है और फीस भी बार-बार जमा करवानी पड़ती है। जिसके चलते प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने वाले दोनों को परेशानी हो रही है। इतना ही नहीं, एचएसवीपी के संपदा अधिकारी के पद पर आज तक एचसीएस अधिकारी बैठता था, लेकिन पिछले लगभग 4-5 महीने से इस पद की जिम्मेदारी एक्सईएन को सौंप रखी है। यूं हो रही है परेशानी
रोहतक से एक व्यक्ति को अपनी प्रॉपर्टी का आवेदन करने के बाद समय दिया गया था, जिसके बाद दोनों पक्ष पंचकूला कार्यालय आ गए थे। यहा आकर बताया गया कि आपके मकान की फोटो क्लीयर नहीं थी, इसलिए ऑब्जेक्शन लगाकर उसे रद कर दिया गया है। इसके बाद इस व्यक्ति ने कहा कि जेई से मिलकर फोटो दिखा लें और आपका काम हो जाएगा। लोगों ने कहा कि इससे करप्शन कम नहीं, बल्कि बढ़ गया है। पहले ही उठाई थी मांग
हरियाणा प्रॉपर्टी डीलर वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि यह सिस्टम लागू होने से पूर्व उनकी मुलाकात प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक से हुई थी, जिन्होंने आश्वासन दिया था कि इस सिस्टम को शुरू होने से पहले प्रॉपर्टी डीलरों से खामियों को लेकर चर्चा की जाएगी, परंतु 29 जनवरी को यह सिस्टम शुरू कर दिया गया। किसी भी प्लॉट की परमिशन के बाद उसकी तहसील में रजिस्ट्री होती है। ऑनलाइन सिस्टम में पहले जेई द्वारा मौके पर निरीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट दी जाती थी, लेकिन अब प्रॉपर्टी बेचने वाले द्वारा अपने प्रॉपर्टी का आगे और पीछे का फोटो खींचकर डालना होता है, जिसके साथ ही फीस जमा हो जाती है और उसके बाद खरीदार और बेचने वाले को समय दे दिया जाता है। इस सिस्टम में ऑब्जेक्शन ऑनलाइन नहीं आते, जिस कारण जिस दिन खरीदार और बेचने वाले को बुलाया जाता है, उस दिन उसे वहा आकर पता चलता है कि उसका आवेदन ऑब्जेक्शन के कारण रद हो गया है, जिससे खरीदार और बेचने वाले दोनों का समय बर्बाद होता है। सेटिंग से ही हो रहीं फाइल क्लीयर
इस परेशानी से बचने के लिए कर्मचारी या अधिकारी से सेटिंग करनी पड़ रही है, ताकि फाइल आराम से ऊपर तक क्लीयर हो जाए। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अलॉटियों की परमिशन के लिए रोजाना 20 से 30 आवेदकों को बुलाया गया था, जिनमें से अधिकतर का भी काम नहीं हो पाता और लोगों को वापस लौटना पड़ता है। अब 50 प्रतिशत बना हो प्लॉट
सुरेश अग्रवाल ने बताया कि एचएसवीपी द्वारा अब प्लॉट आवंटन के बाद 50 प्रतिशत निर्माण अनिवार्य कर दिया है। पहले यह 10 प्रतिशत था, फिर 25 प्रतिशत कर दिया गया, लेकिन अब 50 प्रतिशत कर दिया है। अग्रवाल का कहना है कि यह नियम नए प्लॉटधारकों पर लागू होना चाहिए, परंतु अब पुराने प्लॉटधारकों पर यह नियम लागू करना गलत है। खरीदार को भी मिले ओटीपी
मौजूदा सिस्टम में प्लॉट बेचने वाले के पास प्राधिकरण द्वारा एक ओटीपी आता है। परमिशन के समय, एग्रीमेंट के साथ करवा लेते है, जिसके बाद आवेदन होता है। इसके बाद एक ओटीपी सेलर के पास आता है। रजिस्ट्री के बाद भी यह ओटीपी बेचने वाले के पास आता है, यदि बीच में खरीदार एवं बेचने वाले के बीच मनमुटाव हो जाता है, तो कई बार ओटीपी नंबर के कारण खरीदार को परेशानी होती है। इसलिए प्राधिकरण एवं तहसील से लिंक करके अंगूठे लगवा लेने चाहिए। फाइल मार्क करवाना गलत
तहसील में भी काउंटर पर फाइल जमा करवाने के बाद मार्क होने के लिए तहसीलदार के पास जाती है, जिसका कोई मतलब नहीं है। इससे स्पष्ट है कि यदि तहसीलदार मार्क कर देगा, तभी रजिस्ट्री होगी, वरना नहीं। तहसील ऑफिस में भी यह करप्शन को बढ़ावा देने के लिए एक खुला रास्ता छोड़ रखा है। फीडबैक भी लें सीएम
प्रॉपर्टी डीलरों का कहना है कि हम शुरू से ही लोगों की सुविधा के लिए काम कर रहे हैं। यदि यही सिस्टम चला तो भ्रष्टाचार कम होने के बजाय और बढ़ जाएगा और लोगों की परेशानी भी कम होने वाली नहीं है। मुख्यमंत्री को ऑनलाइन सिस्टम के बारे में फीडबैक लेनी चाहिए, ताकि लोगों को सही सुविधा मिल सके। शिकायतों को दूर करने का प्रयास
प्राधिकरण के सीए जे गणेशन का कहना है कि पारदर्शिता एवं भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने के लिए इस सिस्टम को शुरू किया गया है और भ्रष्टाचार पर अंकुश भी लगा है। हरियाणा सरकार के ई- गवनर्ेंस गुड गवर्नेस की नीति में एक और आयाम है। यदि लोगों की शिकायतें हैं, तो उन्हें दूर भी किया जा रहा है।
Posted By: Jagran